बंगाल SIR: BJP का यू-टर्न, गड़बड़ियों का आरोप; जांच की मांग

भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपकर 26 से 28 नवंबर के बीच जोड़े गए लगभग 1.25 करोड़ नए मतदाता नामों की जांच की मांग की है।

Update: 2025-12-03 05:40 GMT
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पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया पर भाजपा ने अप्रत्याशित रूप से अपना रुख बदल दिया है। पहले चुनाव आयोग (EC) द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची अपडेट अभियान का समर्थन करने वाली पार्टी अब बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप लगा रही है, जो इस प्रक्रिया को लेकर उसके राजनीतिक असहजता का संकेत है। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपकर 26 से 28 नवंबर के बीच जोड़े गए लगभग 1.25 करोड़ नए मतदाता नामों की जांच की मांग की है। भाजपा ने कहा कि तीन दिनों में मतदाता संख्या 5.50 करोड़ से 7.75 करोड़ हो जाना 'असामान्य और सांख्यिकीय रूप से असंभव' है।

स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग

अधिकारी ने कहा कि संदिग्ध प्रविष्टियों की जांच चुनाव आयोग की तकनीकी टीम या विशेष पर्यवेक्षकों से कराई जानी चाहिए। गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा अब उन्हीं चिंताओं को दोहरा रही है, जो पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और अन्य दल उठा चुके हैं कि कई पात्र मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं, खासकर मतुआ और अन्य संवेदनशील समुदायों के। दो दिन पहले राज्य भाजपा अध्यक्ष सामिक भट्टाचार्य की अगुवाई में एक और प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में EC अधिकारियों से मिलकर मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे। उन्होंने मतुआ समुदाय और BLO कर्मियों जैसी कमजोर श्रेणियों के लिए सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने की मांग की। भट्टाचार्य ने EC की SIR प्रक्रिया की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त को दिल्ली से निगरानी करने की बजाय कोलकाता आकर हालात का जायजा लेना चाहिए।

BLO पर दबाव

भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि BLO कर्मचारियों पर सत्तारूढ़ दल का दबाव है और आयोग को उनकी परिस्थितियों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। राजनीतिक विश्लेषक निर्मल्या बनर्जी के अनुसार, भाजपा का यह यू-टर्न दो कारणों से है—पहला पार्टी को लग रहा है कि SIR प्रक्रिया उसके पक्ष में नहीं जा रही; दूसरा मतुआ समुदाय की नाराजगी और BLO की मौतों से राजनीतिक नुकसान की आशंका बढ़ रही है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2 दिसंबर तक 46 लाख SIR फॉर्म “अनकलेक्टेबल” दर्ज हुए हैं। वहीं 2,208 बूथ ऐसे हैं जहां एक भी अनकलेक्टेबल फॉर्म नहीं है—ये बूथ मुख्यतः TMC गढ़ माने जाते हैं।

मतुआ क्षेत्रों से सबसे ज्यादा ‘अनकलेक्टेबल’ फॉर्म

सूत्रों के मुताबिक, अनकलेक्टेबल फॉर्म का बड़ा हिस्सा मतुआ और हिंदीभाषी बहुल इलाकों से आ रहा है, जो भाजपा का मजबूत वोटबैंक हैं। उत्तर 24 परगना में सबसे ज्यादा लगभग 7% अनकलेक्टेबल फॉर्म दर्ज हुए। बराकपुर में यह संख्या 15% से अधिक है, जो 75% हिंदीभाषी आबादी वाला इलाका है। इसके विपरीत, जिन 2,208 बूथों में एक भी फॉर्म अनकलेक्टेबल नहीं है, उनमें अधिकतर दक्षिण 24 परगना, पुरुलिया, मुर्शिदाबाद और मालदा में हैं। ये जिले TMC के मजबूत गढ़ माने जाते हैं। भाजपा के आंतरिक आकलन के अनुसार, बोंगांव और रानाघाट लोकसभा क्षेत्रों के कई विधानसभा क्षेत्रों में 25–40% मतदाता जोखिम में पड़ सकते हैं, यदि SIR प्रक्रिया सही ढंग से न चली।

तनाव और विरोध

SIR प्रक्रिया के दौरान बढ़ते तनाव और तेज़ी से होती फील्ड-वर्क गतिविधियों के बीच हादसे भी बढ़े हैं। राज्य सरकार के अनुसार, अब तक 39 मौतें, जिनमें 4 BLO भी शामिल, SIR से जुड़ी बताई गई हैं। कई BLO ने कथित तौर पर अत्यधिक कार्यभार और मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या की है। इन घटनाओं ने BLO संगठनों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष अली हुसैन ने कहा कि इतनी मानवीय त्रासदी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए राज्य अध्यक्ष ने CEC से बंगाल आकर खुद हालात देखने की मांग की है। राजनीतिक विश्लेषक अमल सरकार का कहना है कि TMC जिस तरह खुद को मतुआ और अन्य कमजोर समुदायों के रक्षक के रूप में पेश कर रही है, उससे भाजपा अपने रुख में बदलाव करने को मजबूर हुई है।

ममता सरकार की सहायता घोषणा

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार (2 दिसंबर) को घोषणा की कि SIR से जुड़ी मौतों या आत्महत्या के मामलों में मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। इसके अलावा SIR से जुड़े तनाव के कारण बीमार पड़े 13 लोगों को 1 लाख रुपये की मदद मिलेगी।

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