सहभोज के बहाने मिले ब्राह्मण विधायक, यूपी में राजनीतिक हलचल तेज़
लखनऊ में ब्राह्मण विधायकों की एक दावत ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है।कहा जा रहा है कि यह बाटी चोखा दावत थी।पर इस डिनर -मीटिंग में ब्राह्मण समाज की वर्तमान स्थिति पर भी खुलकर बात हुई।दूसरी जातियों खासतौर पर बीजेपी के पिछड़ी जातियों पर राजनीतिक फोकस पर भी मंथन हुआ।
उत्तर प्रदेश में के शीतकालीन सत्र के बीच ब्राह्मण विधायकों की एक 'दावत’ ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। मंगलवार शाम को लखनऊ में बीजेपी के क़रीब तीस ब्राह्मण विधायक एक साथ बैठे।इस दावत या डिनर मीटिंग को ब्राह्मण पॉलिटिक्स से जोड़ कर देखा जा रहा है।बंद कमरे में हुई इस बैठक को ब्राह्मण समाज की एकजुटता का संदेश माना जा रहा है।
यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान पार्टी के क्षत्रिय विधायकों की दावत-मीटिंग चर्चा का विषय बनी थी यो वहीं अब ब्राह्मण विधायकों के ‘सह भोज’ ने इस ठंड में सियासी तापमान बढ़ा दिया है।मंगलवार रात कुशीनगर से बीजेपी विधायक पीएन पाठक के लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर आयोजित इस ‘सहभोज’ में 30 से ज़्यादा ब्राह्मण विधायक शामिल हुए।जो नाम सामने आ रहे हैं उसमें विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य शामिल हैं।कहा जा रहा है कि इस डिनर मीटिंग में बाटी-चोखा और साथ ही मंगलवार व्रत का फलाहार परोसा गया।रत्नाकर मिश्र, उमेश द्विवेदी,प्रकाश द्विवेदी, रमेश मिश्र, शलभमणि त्रिपाठी, विपुल दूबे, राकेश गोस्वामी, रवि शर्मा, विनोद चतुर्वेदी, विवेकानंद पाण्डेय, अंकुर राज तिवारी, विनय द्विवेदी, कैलाशनाथ शुक्ला, ज्ञान तिवारी जैसे MLA/MLC शामिल हुए।ख़ास बात यह है कि नृपेन्द्र मिश्र के बेटे MLC साकेत मिश्र भी इस दावत-बैठक में मौजूद थे।इस बैठक को ‘सहभोज’ का नाम देकर इसे सामाजिक आयोजन बताया जा रहा है लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे जातीय आधार पर शक्ति प्रदर्शन की कवायद मान रहे हैं।
राजनीतिक परिस्थिति कर चर्चा, ब्राह्मण समाज की भी चर्चा-
बैठक में शामिल विधायकों से संपर्क किया गया तो सबने माना कि विधानसभा का सत्र हो रहा है ऐसे में सभी विधायक लखनऊ में हैं।यह सिर्फ आपस में मिल बैठने का एक बहाना था। इसमें विपक्षी दलों के विधायक भी शामिल हुए। इस बैठक में चर्चा क्या हुई? यह पूछने पर पूर्वांचल के एक विधायक ने बताया कि इसमें आज की परिस्थितियों और कॉमन टॉपिक्स पर चर्चा हुई। साथ ही इस बात से इनकार नहीं किया कि राजनीतिक परिस्थितियों और ब्राह्मण समाज की स्थितियों पर भी चर्चा हुई।कहा तो यह भी जा रहा है कि दूसरी जातियों खासतौर पर बीजेपी के पिछड़ी जातियों पर राजनीतिक फोकस पर भी मंथन हुआ।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने ओबीसी और दलित जातियों पर फोकस बढ़ाया है तो वहीं बीजेपी के अंदर फॉरवर्ड जातियों ब्राह्मण और क्षत्रिय में एक तरह की होड़ शुरू हो गई है। दोनों समुदाय राज्य में प्रभावशाली हैं ऐसे में चुनाव से पहले दोनों अपनी ताक़त का प्रदर्शन करना चाहते हैं।
मॉनसून सत्र के दौरान क्षत्रिय विधायकों ने किया था सह-भोज-
इससे पहले विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान क्षत्रिय विधायकों ने एक होटल में डिनर मीटिंग की थी।उसको क्षत्रिय पॉलिटिक्स से जोड़ कर देखा गया था और शक्ति प्रदर्शन माना गया था।अब विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ब्राह्मण विधायकों की बैठक स दावत से भी राजनीति तेज़ जो गई है।विपक्ष इसे सत्ता पक्ष की आंतरिक कलह का संकेत बताकर बीजेपी को घेर सकता है।समाजवादी पार्टी पहले से ही जातिवादी राजनीति राजनीति करने का आरोप बीजेपी पर लगाती रही है।यूपी विधानसभा काशीतकालीन सत्र आज ख़त्म हो रहा है लेकिन इस दावत ने यूपी की सियासत में नई चर्चा छेड़ दी है।