'कोल्हान के टाइगर' चंपई सोरेन अब BJP का होंगे हिस्सा, JMM से क्यों बढ़ी दूरी

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता और पूर्व सीएम अब बीजेपी का हिस्सा होंगे। सभी कयासों पर विरोम लगाते हुए वो 30 अगस्त को भगवा परिवार का हिस्सा बनेंगे।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-08-27 01:37 GMT

Champai Soren News: सियासत में अगर संवेदना की जगह होती तो शायद कोल्हान का टाइगर कहे जाने वाले चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के हिस्सा रहे होते। लेकिन सियासत का अंतिम लक्ष्य किसी तरह से सत्ता के शीर्ष पर पहुंचना और या बने रहना होता है। मामला सिर्फ डेढ़ महीने पहले का है। हेमंत सोरेन की जब जुलाई महीने में बेल पर जेल से रिहाई हुई तो तस्वीर साफ थी कि चंपई सोरेन के दिन लद चुके हैं। तीन जुलाई को झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दल की बैठक हुई, हेमंत सोरेन को नेता चुना गया और वो फिर से सीएम बने। यह सब जेल से रिहाई के महज दो दिन के भीतर हुआ। चंपई सोरेन कहते हैं कि उन्हें इस बात का दुख नहीं था कि हेमंत जी सीएम बने। दुख इस बात का था कि सीएम रहते हुए विधायक दल की मीटिंग बुलाने की जिम्मेदारी थी। लेकिन वो दर्शक की तरह बने रहे और यही बात ना सिर्फ नागवार लगी बल्कि दुखी और अपमानित महसूस किए। 

30 अगस्त को बीजेपी में शामिल होंगे चंपई सोरेन

विधानसभा चुनावों से पहले, पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता चंपई सोरेन 30 अगस्त को रांची में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले हैं। यह फैसला तब आया है जब दिग्गज नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें अपमानित महसूस हुआ और आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों से पहले सभी विकल्प खुले हैं।असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा बिस्वा ने कहा, "झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हमारे देश के एक प्रतिष्ठित आदिवासी नेता, चंपई सोरेन जी ने कुछ समय पहले माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी से मुलाकात की। वह आधिकारिक तौर पर 30 अगस्त को रांची में BJP4India में शामिल होंगे। इससे पहले, सोरेन ने कहा था कि उन्हें अपने आत्मसम्मान पर आघात लगा जब मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन के जमानत पर रिहा होने के बाद उनसे झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए कहा गया।

जेएमएम से मोहभंग हुआ
अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि कोल्हान के टाइगर का जेएमएम से मोहभंग हो गया। उसके पीछे की कहानी समझने के लिए हमें हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को देखना होगा। करप्शन के मामले में जब हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हुई तो सवाल ये था कि झारखंड की कमान कौन संभालेगा। हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का मामला करीब करीब तय था। लेकिन ऐन वक्त पर उनकी भाभी सीता सोरेन ने अंड़गा लगा दिया और उस सूरत में ऐसे शख्स की तलाश शुरू हुई जो हेमंत सोरेन का वफादार हो। चंपई सोरेन हर तरह से फिट बैठते थे और उन्हें झारखंड की कमान सौंप दी गई।

चंपई का चयन जेएमएम के विधायक दल की बैठक में हुआ था. लेकिन उनका चयन उनकी योग्यता से कहीं अधिक वफादारी और कृपा पर था। अब बात जब कृपा की हो तो उसकी मियाद कृपा करने वाले पर निर्भर करती है। जब जुलाई के महीने में हेमंत सोरेन जेल से बाहर निकले तो यह तो तय था कि चंपई सोरेन के दिन खत्म हो चुके हैं। जो चंपई सोरेन सूबे के सीएम हुआ करते थे वो अब एक कैबिनेट मंत्री के हैसियत से काम करने लगे। इस तरह के हालात में किसी के लिए काम करना मुश्किल होता।

चंपई सोरेन के जेएमएम से तलाक पर गुरुजी यानी शिबू सोरेन की पार्टी को कितना नुकसान होगा। यह तो आने वाला समय बताएगा। चंपई का शिबू सोरेन से रिश्ता तबसे था जब वो झारखंड राज्य के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। यानी साथ संघर्ष के दिनों का था। लेकिन सियासत तो नदी की तरह है जिसमें पानी ठहरता नहीं है।

चंपई सोरेन की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भले ही जवानी के दिनों में संघर्ष की बलि चढ़ गई हो। लेकिन उम्र के इस मोड़ पर उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य चमकता हुआ नजर आया। अब यदि बीजेपी के नजरिए से देखें तो पार्टी के पास कोई संथाल चेहरा नहीं था। चंपई सोरेन के जरिए पार्टी उस कमी को पूरी कर सकती है। यानी कि इस पूरे प्रकरण में पहली नजर में बीजेपी को लाभ होता नजर आ रहा है। 

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