दिल्ली चुनाव में खर्च का खेल: कांग्रेस आगे, नतीजों में बीजेपी भारी

ADR की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस ने प्रचार और सोशल मीडिया पर बीजेपी से ज्यादा खर्च किया, फिर भी एक भी सीट नहीं जीत पाई।

Update: 2025-12-17 15:29 GMT
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ADR Report On Delhi Elections : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या चुनाव जीतने के लिए सिर्फ पैसा काफी है?

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट इसका जवाब साफ तौर पर “नहीं” में देती है।

सबसे पहले खर्च का पूरा गणित समझिए

ADR के मुताबिक दिल्ली विधानसभा चुनाव में 

बीजेपी का कुल खर्च: 57.65 करोड़ रुपये

कांग्रेस का कुल खर्च: 46.19 करोड़ रुपये

आम आदमी पार्टी का खर्च: 14.5 करोड़ रुपये

खर्च के मामले में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही, लेकिन नतीजों में उसका नाम दूर दूर तक नहीं दिखा।

प्रचार में कांग्रेस आगे, फिर भी फायदा क्यों नहीं?

पार्टी प्रचार पर कांग्रेस ने 40.13 करोड़ रुपये खर्च किए। बीजेपी ने 39.14 करोड़ रुपये। यानी कांग्रेस ने बीजेपी से भी ज्यादा प्रचार किया। इसके बावजूद कांग्रेस 70 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई। यह बताता है कि प्रचार की मात्रा ज्यादा थी, लेकिन संदेश और जमीन पर पकड़ कमजोर रही।

सोशल मीडिया पर प्रचार में पैसा बहा, लेकिन वोट नहीं आए

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डिजिटल कैंपेन में कांग्रेस सबसे आगे रही

कांग्रेस: 5.95 करोड़ रुपये

AAP: करीब 3 करोड़ रुपये

बीजेपी: सिर्फ 5.26 लाख रुपये

सोशल मीडिया पर भारी निवेश के बावजूद कांग्रेस का मैसेज मतदाताओं तक असरदार तरीके से नहीं पहुंच पाया।

नतीजों ने खर्च की थ्योरी पलट दी

चुनावी नतीजे साफ हैं

बीजेपी: 48 सीटें

आम आदमी पार्टी: 22 सीटें

कांग्रेस: 0 सीट

खास बात यह है कि कांग्रेस और AAP दोनों ने सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, फिर भी नतीजे जमीन-आसमान के फर्क वाले रहे।

फंड जुटाने में भी कांग्रेस पीछे

चुनाव के लिए जुटाए गए कुल फंड में 

बीजेपी: 88.7 करोड़ रुपये

कांग्रेस: 64.3 करोड़ रुपये

AAP: 16.1 करोड़ रुपये

यानी बीजेपी के पास न सिर्फ ज्यादा संसाधन थे, बल्कि उनका इस्तेमाल भी ज्यादा प्रभावी रहा।

कम खर्च, ज्यादा असर: AAP का मॉडल

AAP ने सीमित बजट में चुनाव लड़ा

प्रचार: 12.12 करोड़ रुपये

उम्मीदवारों पर खर्च: 2.4 करोड़ रुपये

कम खर्च के बावजूद 22 सीटें जीतकर AAP ने दिखा दिया कि संगठन, स्थानीय मुद्दे और विश्वसनीयता ज्यादा मायने रखते हैं।

2020 के मुकाबले खर्च क्यों बढ़ा?

2025 चुनाव में खर्च में बड़ा उछाल दिखा

कांग्रेस का खर्च 161% बढ़ा

बीजेपी का खर्च 20.5% बढ़ा

AAP ने उल्टा करीब 32% कम खर्च किया

यानी कांग्रेस ने पिछली हार से सबक लेने के बजाय खर्च बढ़ाया, रणनीति नहीं।

खर्च का हिसाब देना क्यों जरूरी है?

कानून के मुताबिक, हर पार्टी को चुनाव खत्म होने के 75 दिन के भीतर चुनाव आयोग को पूरा खर्च विवरण देना होता है। दिल्ली चुनाव 2025 के लिए यह अंतिम तारीख 26 अप्रैल 2025 थी। इसी डेटा के आधार पर ADR ने यह विश्लेषण किया।

पैसा नहीं, पकड़ चुनाव जिताती है

दिल्ली चुनाव 2025 का सबसे बड़ा सबक साफ है। करोड़ों रुपये का प्रचार भी तब बेकार हो जाता है, जब पार्टी की जमीन पर पकड़ और रणनीति कमजोर हो। कांग्रेस की बुरी तरह से हुई हार और AAP का कम खर्च में अच्छा प्रदर्शन सफलता इसी सच्चाई की तस्दीक करती है।


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