बेजुबानों को कैद क्यों? – दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरोध में उतरे डॉग लवर्स

दिल्ली के कनौट प्लेस में मंगलवार को डॉग लवर्स ने प्रदर्शन करते हुए इसे अमानवीय आदेश बताया और अपने अपने तर्क रखे. उनका कहना था कि बेजुबानों के साथ इस तरह का व्यवहार कहाँ का इन्साफ?;

Update: 2025-08-12 15:58 GMT

Supreme Court, Stray Dogs And Dog Lovers : सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने के आदेश के खिलाफ मंगलवार को राजधानी में विरोध प्रदर्शन हुआ। डॉग लवर्स ने कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर के सामने जमा होकर इस फैसले को अमानवीय बताया। पुलिस ने प्रदर्शन की अनुमति न होने का हवाला देते हुए कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।


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प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया कि क्या किसी एक व्यक्ति की गलती के आधार पर पूरी प्रजाति को अपराधी ठहराया जा सकता है? उनका कहना था कि यदि आठ हफ्तों में सभी कुत्तों को शेल्टर होम में रखा जा सकता है, तो समय रहते उनका वैक्सिनेशन और बंध्याकरण क्यों नहीं किया गया?

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवारे को ही दिल्ली-एनसीआर प्रशासन और नगर निगमों को निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सभी लावारिस कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखा जाए और उन्हें वापस न छोड़ा जाए। आदेश में बंध्याकरण को अनिवार्य किया गया है और आठ हफ्तों के भीतर शेल्टर होम तैयार करने को कहा गया है। अदालत ने यह भी चेतावनी दी है कि कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई में बाधा डालने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

डॉग लवर्स का आरोप है कि वर्षों से नगर निगम और सरकार समय पर वैक्सिनेशन और बंध्याकरण जैसे जरूरी कदम उठाने में नाकाम रही है। उनका कहना है कि यदि ये उपाय ईमानदारी से पहले किए जाते, तो आज की स्थिति पैदा ही न होती।

प्रदर्शन करने वालों में बड़ी संख्या में महिलायें और युवतियां थी। जो न केवल दिल्ली के अलग अलग हिस्सों से बल्कि फरीदाबाद आदि से भी आई थीं।


ज्ञात रहे कि सोमवार को आये इस आदेश पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गाँधी का भी बयान आया था. मेनका गाँधी ने इस आदेश की कड़ी आलोचना करते हुए इसे “गुस्से में लिया गया आदेश” बताया। उन्होंने कहा कि यह अमल योग्य नहीं है, क्योंकि दिल्ली में पर्याप्त सरकारी शेल्टर होम नहीं हैं। उन्‍होंने सुझाव दिया कि इस पर काम करने के लिए लगभग 3 000 शेल्टर होम, 1.5 लाख कर्मी, और रु 10 000–15 000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।

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