ओम प्रकाश चौटाला का निधन: हरियाणा का किसान समुदाय खालीपन करेगा महसूस

Om Prakash Chautala: हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रहे चौटाला ने राज्य की राजनीति को आकार दिया, उन्हें लगातार असफलताओं का सामना करना पड़ा, पहले उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया गया और उसके बाद आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी दोषी ठहराया गया.;

By :  Gyan Verma
Update: 2024-12-20 16:28 GMT

Om Prakash Chautala passed away: हरियाणा (Haryana) के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) का शुक्रवार (20 दिसंबर) को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया. इसके साथ ही राजनीति के उस युग का अंत हो गया. जिसमें क्षेत्रीय दल और नेता राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाते थे. चौटाला ने अपने पिता चौधरी देवी लाल, जो भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री थे, की छत्रछाया में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की. उन्होंने तीसरे मोर्चे की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का नेतृत्व कर रहे थे, तब वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सदस्य भी थे.

हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री

अपनी राजनीतिक सूझबूझ और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने के लिए मशहूर चौटाला (Om Prakash Chautala) ने राज्य के परिवर्तनकारी दौर में हरियाणा की राजनीति को आकार देने में अहम भूमिका निभाई. हरियाणा (Haryana) के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके चौटाला (Om Prakash Chautala) ने अपना पहला पांच साल का कार्यकाल 1999 से 2005 के बीच पूरा किया, जब वे राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए का हिस्सा थे. हालांकि, चौटाला ने अपने शुरुआती वर्षों में मुख्य रूप से अपने पिता के मार्गदर्शन में काम किया. लेकिन उन्होंने इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के संगठनात्मक नेटवर्क के निर्माण और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. एक तरह से चौटाला अविभाजित INLD के अंतिम नेता थे. जिनकी राजनीति हरियाणा (Haryana) की ग्रामीण आबादी, मुख्य रूप से जाट समुदाय के इर्द-गिर्द घूमती थी, जिसने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपने राजनीतिक सफर में परिवार का साथ दिया.

कुरुक्षेत्र के राजनीतिक विश्लेषक कुशल पाल ने द फेडरल से कहा कि उनका निधन एक युग के अंत जैसा है. क्योंकि वे एकजुट आईएनएलडी और परिवार के अंतिम नेता थे. चौटाला (Om Prakash Chautala) के बेटों द्वारा पार्टी पर नियंत्रण करने के बाद, INLD और परिवार विभाजित हो गए और धीरे-धीरे हरियाणा (Haryana) में अपना राजनीतिक महत्व खो दिया. ओम प्रकाश चौटाला चौधरी देवीलाल के सबसे सफल बेटे थे, जिन्होंने उनकी मृत्यु के बाद उनकी विरासत को आगे बढ़ाया.

भ्रष्टाचार का दाग

चौटाला (Om Prakash Chautala) ने अपने राजनीतिक करियर के दौरान राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर काफी प्रभाव डाला. लेकिन वे हरियाणा के एकमात्र पूर्व मुख्यमंत्री भी थे, जिन्हें भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया गया और जेल की सजा काटी. हालांकि, वे जल्दी जेल से रिहा हो गए. लेकिन उनकी अनुपस्थिति में उनका परिवार और उनकी पार्टी में फूट पड़ गई. कुशल पाल ने कहा कि चौटाला (Om Prakash Chautala) एक ऐसे नेता थे, जो पार्टी और सरकार के रोज़मर्रा के कामों में शामिल होते थे. हालांकि, उन्हें अपने समुदाय का समर्थन हासिल था. लेकिन उनके खिलाफ़ भ्रष्टाचार के मामले उनके पतन का कारण बन गए.

हरियाणा (Haryana) के मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद चौटाला को पहला झटका 2008 में लगा, जब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया. साल 2013 में उन्हें नई दिल्ली की एक अदालत ने दोषी करार देते हुए 10 साल की जेल की सजा सुनाई. जाट नेता को दूसरा झटका मई 2022 में लगा. जब सीबीआई अदालत ने आय से अधिक संपत्ति मामले में उन्हें चार साल की जेल की सजा सुनाई. पंजाब विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर आशुतोष कुमार ने द फेडरल से कहा कि राज्य सरकार ने उनके नेतृत्व में अच्छा प्रदर्शन किया. लेकिन उनके दो बेटे उनकी सबसे बड़ी कमजोरी बन गए. पार्टी को मुख्य रूप से वे तीनों ही चलाते थे. उनके बेटों अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला के नेतृत्व में आईएनएलडी धीरे-धीरे एक परिवार और एक समुदाय तक सीमित हो गई.

किसानों के हितों से जुड़ाव

ऐसे समय में जब किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हरियाणा का कृषक समुदाय चौटाला (Om Prakash Chautala) के निधन से पैदा हुए शून्य को महसूस करेगा. क्योंकि उन्होंने किसानों और सरकार के बीच की खाई को पाटने में निर्णायक भूमिका निभाई थी. कुमार ने कहा कि आईएनएलडी, चौधरी देवी लाल और ओम प्रकाश चौटाला का मुख्य समर्थन ग्रामीण हरियाणा से आता था. आईएनएलडी संभवतः उन चंद पार्टियों में से एक थी. जो किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई थी और इसने ग्रामीण आबादी से ताकत हासिल की.

दिलचस्प बात यह है कि ग्रामीण आबादी और किसानों को प्राथमिकता देने के लिए गठित पार्टी ने हाल ही में संपन्न हरियाणा (Haryana) विधानसभा चुनावों में अपना सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन देखा. जहां इनेलो और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) कोई महत्वपूर्ण प्रभाव डालने में विफल रहीं. अभय चौटाला के नेतृत्व में इनेलो सिर्फ दो सीटें जीत सकी. जबकि 2019 में परिवार में फूट के बाद अजय चौटाला द्वारा गठित जेजेपी एक भी सीट नहीं जीत सकी. कुशल पाल ने कहा कि ओम प्रकाश चौटाला(Om Prakash Chautala) के बेटे और पोते परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने में विफल रहे हैं. परिवार के साथ-साथ पार्टी में भी विभाजन हुआ और आईएनएलडी अब पहले जैसी प्रभावशाली ताकत नहीं रही.

उम्र से संबंधित समस्याएं

पार्टी प्रवक्ता ने बताया कि चौटाला (Om Prakash Chautala) को गुरुग्राम स्थित उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ा और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया. लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्होंने दोपहर करीब 12 बजे मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली. चौटाला (Om Prakash Chautala) पिछले कुछ समय से उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे. उनके परिवार में दो बेटे और तीन बेटियां हैं. उनकी पत्नी स्नेह लता का पांच साल पहले निधन हो गया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और हरियाणा(Haryana) के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित कई नेताओं ने चौटाला के निधन पर शोक व्यक्त किया.

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