हरियाणा मेंं कभी तीनों 'लाल' का था जलवा, आज कहां है उनका परिवार

हरियाणा की सियासत पर चर्चा जब होती है तो तीन लाल यानी देवी लाल, भजन लाल और बंसी लाल का जिक्र होता है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-09-02 04:48 GMT

Haryana Assembly Election 2024:  हरियाणा में  2024 में किसकी सरकार बनेगी इसका फैसला आठ अक्टूबर को हो जाएगा। चंडीगढ़ की लड़ाई के लिए बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने हैं तो वहीं इंडियन नेशनल लोकदल, जेजेपी के साथ आम आदमी पार्टी भी ताल ठोंक रही है। हालांकि इन सबके बीच हम आपको 1980 के दशक की तस्वीर पेश करेंगे जिसकी चर्चा आज भी होती है। 1980 के दशक में हरियाणा की सियासत में तीन बड़े चेहरे बंसी लाल, देवी लाल और भजन लाल हुआ करते थे। बंसी लाल को हरियाणा के विकास का निर्माता तो भजन लाल को राजनीति का चाणक्य कहा जाता था। इसके साथ ही चौधरी देवी लाल राज्य की राजनीति से निकल केंद्र की सत्ता में आए और देश के डिप्टी पीएम भी बने। इन तीनों लाल के बारे में कहा जाता है कि जहां एक तरफ जनता की नब्ज को समझने में माहिर थे। वहीं राजनीति के शतरंज पर बेहतरीन चाल भी चला करते थे।  यहां पर हम तीनों लाल के वंशजों की बात करेंगे जो सियासत में सक्रिय हैं। 

चौधरी देवी लाल
सबसे पहले बात चौधरी देवी लाल की। 1985 से 1990 का वो दौर आपको याद होगा जब राजीव गांधी सरकार के खिलाफ वी पी सिंह ने मोर्चा खोल रखा था। मोर्चेबंदी का फायदा यह हुआ कि 1976 में जनता पार्टी की सरकार के बाद कोई गैर बीजेपी सरकार(जनता दल) केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई और देवी लाल को डिप्टी पीएम बनने का मौका मिला। यह बात अलग है कि वी पी सिंह की सरकार लंबे समय तक नहीं चल सकी। सरकार के गिरने के साथ ही जनता दल में कई फांड़ हुए और देवी लाल ने हरियाणा का रुख कर लिया और इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी का गठन कर लिया।

सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद पार्टी की कमान ओम प्रकाश चौटाला के हाथ आई। चौटाला सूबे के सीएम भी बने। लेकिन टीचर भर्ती घोटाला में नाम सामने आने के बाद उनकी सियासत को ग्रहण लगा। और उसका असर परिवार पर भी पड़ा। ओम प्रकाश चौटाला के दोनों बेटों की राह भी अलग हो गई। अभय चौटाला जहां इनेलो की अगुवाई कर रहे हैं वहीं अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला जेजेपी पार्टी बनाकर 2019 में सत्ता में आए हालांकि आम चुनाव से पहले उनकी राह बीजेपी से अलग हो गई। 

बंसी लाल

बंसी लाल को हरियाणा के विकास का दूत कहा जाता है। हालांकि अगर सियासत देखें तो वो भी परिवार को आगे ही बढ़ाते रहे। बंसी लाल की बहू किरण चौधरी हाल ही मेों कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। बंशी लाल के बारे में कहा जाता है कि वो राजनीति के ककहरे को सियासी फायदे में कैसे बदला जा सकता है उसके मास्टर थे। अगर उनके परिवार की सियासत की बात करें तो कांग्रेस में इस परिवार का दबदबा रहा। लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ताकतवर होने के बाद असर कम हुआ। किरण चौधरी और हुड्डा के बीच अदावत किसी से छिपी नहीं। बेहतर राजनीतिक नतीजों को हासिल करने के लिए किरण चौधरी अब बीजेपी में हिस्सा हैं जो उनके सियासी करियर के लिहाज से अहम माना जा रहा है। हालांकि अब तक कि सियासी यात्रा को देखें तो यह परिवार अपनी विरासत को शीर्ष तक ले जाने में नाकाम रहा है। 

भजन लाल

देवी लाल और बंसी लाल की तरह हरियाणा की राजनीति में भजन लाल की जगह रही है। देवी लाल, और बंसी लाल प्रभावी जाट समाज से आते थे वहीं इनका नाता गैर जाट समाज से था। भजन लाल के बारे में कहा जाता है कि मुश्किल हालात से वो सरकार को बाहर निकाल लाते थे। नरसिम्हाराव की सरकार उसका उदाहरण है। भजन लाल लेकिन हरियाणा की राजनीति में जिस ऊंचाई तक पहुंचे वहां तक उनके दोनों बेट चंद्र मोहन और कुलदीप बिश्नोई नहीं पहुंच सके। चंद्र मोहन डिप्टी सीएम बने लेकिन फिजा की मोहब्बत में ऐसे डूबे की चांद मोहम्मद हो गए। लेकिन उसका असर यह हुआ कि उनकी सियासत डगमगा गई। वहीं दूसरे बेटे कुलदीप बिश्नोई राजनीति में सक्रिय हैं और उनके बेटे आदमपुर सीट से विधायक है। भजन लाल ने जीवन भर कांग्रेस की राजनीति की। हालांकि उनके बेटों ने अपने राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाने के लिए अलग अलग राजनीतिक दलों का चुनाव किया। 

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