हुमायूं कबीर की संख्या बढ़ी, क्या वोट भी बढ़ेंगे? बंगाल में हैरान करने वाली राजनीति
हालांकि राज्य विधानसभा चुनाव अभी कुछ महीने दूर हैं, पहले उम्मीदवारों की सूची जारी करके कबीर अपने समर्थकों को जोड़ने, उम्मीदवारों को व्यवस्थित करने और मीडिया का ध्यान आकर्षित करने में पहले से ही सफल हो गए हैं।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में अब नाम ही बड़ा खेल बन गया है। 22 दिसंबर को भरतपुर से निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद जिले में अपनी नई पार्टी 'जनता उन्नयन पार्टी' का उद्घाटन किया। पार्टी के नाम से ज्यादा ध्यान राज्य विधानसभा चुनाव 2026 के लिए जारी पहले उम्मीदवारों की सूची में चार हुमायूं कबीर का नाम शामिल होने ने खींचा। कुल नौ उम्मीदवारों में से चार का नाम हुमायूं कबीर होने से राजनीति में एक नाटकीय मोड़ आ गया। कबीर का मानना है कि राजनीति में नाम सौभाग्य, रणनीति और जीत का टिकट सबकुछ हो सकता है।
जारी सूची के अनुसार, हुमायूं कबीर खुद भरतपुर और रेजिनगर से चुनाव लड़ेंगे। एक व्यवसायी हुमायूं कबीर भागवानगोला से, एक डॉक्टर हुमायूं कबीर रनिनगर से और एक हुमायूं कबीर किसी अन्य सीट से उम्मीदवार बनने की इच्छा रखता है
सभी ये निर्वाचन क्षेत्र मुर्शिदाबाद जिले में स्थित हैं। रेनिनगर से नामांकित हुमायूं कबीर 2016 में टीएमसी उम्मीदवार भी रह चुके हैं, लेकिन जीत नहीं पाए। जब उनसे पूछा गया कि एक ही नाम बार-बार क्यों है तो उन्होंने फोन पर The Federal को कहा कि हुमायूं कबीर मतलब लकी (सौभाग्यशाली) है।
अधिक हुमायूं कबीर, अधिक सौभाग्य?
शुरुआत में यह रणनीति सिर्फ नाम के माध्यम से चुनावी लाभ लेने जैसी दिखती है, लेकिन इसके पीछे गहराई से सोच-समझकर बनाई गई रणनीति है। राजनीतिक विश्लेषक और लेखक एमडी सादुद्दीन कहते हैं कि यह सिर्फ मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए नहीं है। इसका उद्देश्य है शक्ति और व्यक्तिगत ब्रांड की पहचान दिखाना है। कबीर का लक्ष्य 2026 विधानसभा चुनाव में कम से कम 90 सीटें जीतना है और कम से कम “किंगमेकर” के रूप में उभरना है। उनके अनुसार, अगर टीएमसी या बीजेपी सरल बहुमत हासिल कर लेती है तो वे उनके कई प्रस्तावों को रोक देंगे, जिनमें मुर्शिदाबाद के बेलडंगा में बाबर के नाम पर मस्जिद बनाने का विवादित प्रस्ताव भी शामिल है।
पार्टी का घोषणापत्र और झंडा
कबीर ने अपनी पार्टी का घोषणापत्र और झंडा भी जारी किया। पार्टी का झंडा पीला, हरा और सफेद रंग का है। बीते सालों में टीएमसी नेतृत्व के साथ मतभेद बढ़ने के बाद कबीर ने पार्टी की स्थानीय मुद्दों की अनदेखी और ग्राउंड-लेवल नेताओं की उपेक्षा पर खुलकर आलोचना की। बेलडंगा में मस्जिद की नींव रखने की घटनाओं ने टीएमसी को नाराज कर दिया और उन्हें निलंबित कर दिया। निलंबन के बाद भी कबीर ने इसे अवसर में बदल दिया और अपनी नई पार्टी का सार्वजनिक लॉन्च किया, यह संदेश देते हुए कि वे बंगाल राजनीति में एक बाधा डालने वाली ताकत बनना चाहते हैं।
हिंदू उम्मीदवारों को भी जगह
हालांकि, पार्टी को अधिकांशतः अल्पसंख्यक-केंद्रित माना जाता है, लेकिन कबीर ने हिंदू उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है:-
मनीषा पांडे: (मुर्शिदाबाद)
निशा चट्टोपाध्याय: (बैलीगंज)
इससे संकेत मिलता है कि कबीर सांप्रदायिक और क्रॉस-कम्युनिटी समर्थन दोनों को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं।
समय और रणनीति
हालांकि राज्य विधानसभा चुनाव अभी कुछ महीने दूर हैं, पहले उम्मीदवारों की सूची जारी करके कबीर अपने समर्थकों को जोड़ने, उम्मीदवारों को व्यवस्थित करने और मीडिया का ध्यान आकर्षित करने में पहले से ही सफल हो गए हैं।