कोलकाता में TMC के स्टेज को सेना द्वारा हटाने पर बढ़ा विवाद, ममता बोलीं-सेना का सियासी दुरुपयोग

कोलकाता के मायो रोड पर अनुमति समाप्त होने का हवाला देकर सेना ने टीएमसी का मंच हटा दिया। जिसके बाद मामला तूल पकड़ गया। टीएमसी सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी ने इसे सेना का राजनीतिक दुरुपयोग कहा;

Update: 2025-09-01 13:27 GMT
दोपहर लगभग 3 बजे सेना का एक दस्ता स्थल पर पहुंचा और टीएमसी कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद मंच को हटाना शुरू कर दिया। (फ़ोटो: द फ़ेडरल)

सोमवार (1 सितम्बर) को भारतीय सेना ने खुद को एक राजनीतिक तूफ़ान के बीच पाया, जब उसने कोलकाता के मध्य मायो रोड पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के भाषा आंदोलन प्रदर्शन के लिए लगाए गए मंच को हटा दिया। सेना की इस कार्रवाई ने राजनीतिक विवाद को हवा दे दी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भाजपा-नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर सेना का राजनीतिक मकसद से दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। ये सब उस वक्त हुआ जब करीब दोपहर 3 बजे सेना का एक दस्ता मौके पर पहुंचा और टीएमसी कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद मंच को हटाना शुरू कर दिया।

ममता ने राज्यव्यापी विरोध मार्च का ऐलान किया

जैसे ही उन्हें इसकी खबर मिली, ममता बनर्जी तत्काल मौके पर पहुंचीं और मंगलवार (2 सितम्बर) को हर ब्लॉक और पंचायत स्तर पर राज्यव्यापी विरोध मार्च आयोजित करने की घोषणा की। उन्होंने केंद्र सरकार पर बंगाली भाषा और संस्कृति के अपमान के खिलाफ उठ रही आवाज़ों को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

हालांकि, ममता ने सावधानीपूर्वक सेना को बतौर संस्था सीधे कटघरे में नहीं खड़ा किया। “सेना दोषी नहीं है। वे हमारे मित्र और हमारा गर्व हैं। लेकिन उनका राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है, जो अस्वीकार्य है।”

उन्होंने आरोप लगाया, “यह रक्षा मंत्री (राजनाथ सिंह) के निर्देश पर और भाजपा के इशारे पर किया गया। वे राजनीतिक लाभ के लिए टीएमसी का मंच जबरन हटाना चाहते हैं।”

31 अगस्त तक थी अनुमति : सेना

सेना के सूत्रों ने कहा कि टीएमसी को कार्यक्रम के लिए रक्षा भूमि इस्तेमाल करने की अनुमति 31 अगस्त तक दी गई थी। उस अवधि की समाप्ति के बाद मंच हटाया गया।

सेना के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि अगर ऐसा था तो सेना को राज्य प्रशासन को सूचित करना चाहिए था, न कि खुद ही मंच हटाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी।

उन्होंने कहा, “मंच हटाना सेना का काम नहीं है, यह तो सजावट करने वाले (डेकोरेटर) का काम है।”

मुख्यमंत्री ने भी दोहराया कि अगर अनुमति को लेकर कोई आपत्ति थी, तो सेना को यह मुद्दा सिविल प्रशासन के साथ उठाना चाहिए था।

उन्होंने कहा, “टीएमसी खुद ही मंच हटा देती।”

ममता ने सवाल उठाया कि एक नागरिक राजनीतिक मसले में सैन्य हस्तक्षेप की जरूरत ही क्यों पड़ी और इसे लोकतांत्रिक मानकों का उल्लंघन बताया।

लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन

यह घटना भाजपा-शासित राज्यों में बंगाली प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच चल रही खींचतान का ताज़ा विवाद बन गई है।

सोमवार को शुरू हुए राज्य विधानसभा के विशेष सत्र में इस हमले की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया गया। आने वाले दो दिनों में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। इस विवाद में सेना की संलिप्तता ने राजनीतिक टकराव को एक नया आयाम दे दिया है।

Tags:    

Similar News