कर्नाटक में कांग्रेस को मिला हथियार, कोविड घोटाले के जरिए बीजेपी को घेरा

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई फाइलें गायब हैं, जिनके बारे में बार-बार पूछने के बावजूद उन्हें उनके सामने नहीं लाया गया।

Update: 2024-09-06 05:03 GMT

Karnataka Politics: कर्णाटक में भूमि आवंटन घोटाले का आरोप झेल रही कांग्रेस सरकार ने अब भाजपा की घेराबंदी शुरू कर दी है. राज्य की कांग्रेस सरकार ने कोविड-19 के दौरान प्रदेश की भाजपा सरकार पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है. कर्नाटक के मंत्री एचके पाटिल ने गुरुवार (5 सितंबर) को कहा कि न्यायमूर्ति जॉन माइकल कुन्हा पैनल ने कोविड-19 प्रबंधन पर अपनी रिपोर्ट में राज्य की पिछली भाजपा सरकार के दौरान 'करोड़ों रुपये' की अनियमितताओं का उल्लेख किया है. विधि एवं संसदीय मामलों का प्रभार संभाल रहे पाटिल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मुख्य सचिव शालिनी रजनीश, मुख्य सचिव के अतिरिक्त मुख्य सचिव और कुछ अन्य अधिकारियों की एक टीम को सौंपी गई है, जो इसका विश्लेषण कर एक महीने में रिपोर्ट सौंपेगी.


सिद्धारमैया ने मुद्दा उठाया
मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कोविड-19 महामारी के दौरान अनियमितताओं पर न्यायमूर्ति माइकल डी'कुन्हा आयोग की रिपोर्ट से संबंधित विषय उठाया.
उन्होंने बताया कि पांच से छह खंडों में रिपोर्ट सौंपी गई है. "जस्टिस डी'कुन्हा ने सैकड़ों करोड़ रुपये की अनियमितताओं का जिक्र किया है. फाइलों के गुम होने का भी जिक्र है. रिपोर्ट में लोक लेखा समिति की रिपोर्ट और कई विवरणों को ध्यान में रखा गया है. विवरणों का विश्लेषण करने के बाद उठाए जाने वाले कदमों और अन्य जानकारियों का खुलासा किया जाएगा." मुख्य सचिव और सीएम के प्रधान सचिव तथा कुछ अन्य अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. एक महीने के भीतर वे रिपोर्ट सौंप देंगे.
पाटिल के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कैबिनेट को बताया कि जांच पैनल ने तीन टिप्पणियां की हैं. "जस्टिस डी'कुन्हा ने गंभीर टिप्पणियां की हैं. सैकड़ों-हजारों करोड़ रुपये की हेराफेरी, गलत प्रबंधन और कदाचार हुआ है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई फाइलें गायब हैं, जिन्हें बार-बार पूछने के बावजूद उनके सामने नहीं लाया गया," मंत्री ने कहा.

'सैकड़ों करोड़ का गबन'
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट की जांच की जाएगी तथा उन अधिकारियों की भी जांच की जाएगी जिन्होंने सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समक्ष फाइल नहीं लाई. पाटिल ने कहा, "बहुत जल्द, शायद एक महीने से भी कम समय में रिपोर्ट की जांच की जाएगी और उसे मुख्यमंत्री तथा मंत्रिमंडल को सौंप दिया जाएगा." मंत्री ने आगे कहा, "जांच अभी पूरी नहीं हुई है. हमने फिर से छह महीने का समय दिया है. न्यायमूर्ति डी'कुन्हा की प्रारंभिक रिपोर्ट मुख्यमंत्री को दे दी गई है. हमने छह महीने का और समय दिया है." सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की मात्रा के बारे में उन्होंने कहा कि यह सैकड़ों करोड़ रुपये का है.
जब अधिकारी जांच रिपोर्ट का विवरण सामने लाएंगे तो उसे जनता के साथ साझा किया जाएगा.

न्यायिक जांच
न्यायिक जांच का आदेश अगस्त, 2023 में दिया गया था और इसे भाजपा के सत्ता में रहने के दौरान कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं, उपकरणों की खरीद और ऑक्सीजन की आपूर्ति में कथित अनियमितताओं की जांच सौंपी गई थी.  सरकारी आदेश में कहा गया है कि उसने लोक लेखा समिति द्वारा जुलाई-अगस्त में अपनी रिपोर्ट में दवाओं, उपकरणों की खरीद और ऑक्सीजन कुप्रबंधन के संबंध में लगाए गए आरोपों को गंभीरता से लिया है, जिसके कारण लोगों की मौत हुई.
आदेश के अनुसार, संबंधित विभागों को जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज तथा कार्यालय संचालन के लिए आवश्यक स्टाफ, स्थान, स्टेशनरी, वाहन और उपकरण सहित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी. सत्तारूढ़ कांग्रेस राज्य में पिछली भाजपा सरकार के दौरान कोविड प्रबंधन में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाती रही है. उसने सत्ता में आने पर अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच कराने का वादा किया था.

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)


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