परिवहन कर्मचारियों की चेतावनी, 5 अगस्त से राज्यभर में ठप होंगी बसें

कर्नाटक की सभी परिवहन निगमों के कर्मचारी 5 अगस्त से वेतन और सुविधाओं की मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे चुके हैं।;

Update: 2025-07-16 10:46 GMT

कर्नाटक की चारों राज्य परिवहन निगमों — जिनमें कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) और बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (BMTC) शामिल हैं — के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है।

5 अगस्त से शुरू होगी हड़ताल

यह अनिश्चितकालीन हड़ताल 5 अगस्त से शुरू होने वाली है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों की वेतन वृद्धि सहित अन्य लंबित मांगों को पूरा कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाना है।

श्रमिक संगठनों का आरोप: सरकार ने अनदेखी की

श्रमिक यूनियनों की संयुक्त कार्रवाई समिति ने आरोप लगाया है कि सरकार ने परिवहन कर्मचारियों की शिकायतों को लगातार नजरअंदाज किया है। समिति के नेताओं ने सरकार के प्रति गहरी नाराजगी जताई और कहा कि उन्हें हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

हालांकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक सप्ताह के भीतर बैठक आयोजित करने का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई चर्चा नहीं हुई है। श्रमिक नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगें पूरी नहीं कीं, तो 5 अगस्त से राज्यभर में बस सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी जाएंगी।

मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:

38 महीनों का लंबित वेतन तुरंत भुगतान किया जाए।

परिवहन कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी के रूप में मान्यता दी जाए और समान वेतन दिया जाए।

निगमों के निजीकरण और भ्रष्टाचार को रोका जाए तथा कर्मचारियों के शोषण पर लगाम लगे।

सभी कर्मचारियों को कैशलेस मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

कर्मचारियों को उनकी वैधानिक छुट्टियाँ दी जाएं।

नई वेतन संरचना को 1 जनवरी 2024 से लागू किया जाए।

कर्मचारियों के लिए कैंटीन सुविधाएं बेहतर की जाएं।

2020 और 2021 की हड़तालों के दौरान दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएं।

इलेक्ट्रिक बस संचालन में निगम के ड्राइवरों की ही तैनाती हो।

इलेक्ट्रिक बसों के रखरखाव को निजी ठेकेदारों को सौंपने की प्रक्रिया रद्द की जाए।

‘शक्ति योजना’ का हवाला, सरकार पर अनदेखी का आरोप

श्रमिक नेताओं ने यह भी कहा कि ‘शक्ति योजना’ जैसी सफल योजनाओं के ज़रिए परिवहन कर्मचारियों ने सरकार को राजस्व और जनसमर्थन दिलाया है। इसके बावजूद, सरकार ने उनकी मांगों को पूरी तरह अनदेखा कर दिया है।

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