तमिलनाडु करूर भगदड़ मामला: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को फटकार लगाई, TVK बोला- ‘हम घटनास्थल से नहीं भागे’

TVK ने दोहराया कि DMK सरकार ने साजिश के तहत करूर रैली में भगदड़ कराई थी, वहीं AIADMK ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को तमिलनाडु सरकार के लिए “बड़ा झटका” बताया, जबकि DMK का कहना है कि TVK को उसके “गलत आचरण” से बरी नहीं किया गया है।

Update: 2025-10-13 10:29 GMT
SC ने कहा, विजय या उनकी पार्टी की बात सुने बिना आदेश देना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन था

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने आदेश में मद्रास हाईकोर्ट की कार्यवाही को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया, क्योंकि ये आदेश विजय या उनकी पार्टी के प्रतिनिधियों को सुने बिना जारी किए गए थे।

SC का फैसला TVK के लिए ‘राजनीतिक राहत’

तमिलनाडु के करूर में हुई भगदड़ की जांच सीबीआई को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को तमिझगा वेत्रि कझगम (TVK) के लिए एक “राजनीतिक राहत” के रूप में देखा जा रहा है।

TVK ने फिर से यह दोहराया है कि मद्रास हाईकोर्ट ने उसके प्रमुख विजय की आलोचना करते हुए न्यायिक सीमा लांघी थी और यह कि DMK सरकार ने जानबूझकर 27 सितंबर की रैली में अराजकता फैलाने की साजिश रची थी।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया, फटकार लगाई

सोमवार (13 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के एकल जज द्वारा दिए गए विवादास्पद आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें TVK प्रमुख और अभिनेता-राजनीतिज्ञ विजय की आलोचना की गई थी। इस भगदड़ में 41 लोगों की मौत हुई थी।

सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट की कार्यवाही प्राकृतिक न्याय के खिलाफ थी क्योंकि विजय या उनकी पार्टी को सुना ही नहीं गया था।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में विजय पर यह आरोप लगाया था कि “वह भगदड़ के दौरान गायब हो गए” और उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इन टिप्पणियों को रद्द करते हुए कहा कि यह अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर था, क्योंकि याचिका मदुरै बेंच के अधिकार क्षेत्र में आती थी।

‘विजय समय पर पहुँचे थे’ — TVK महासचिव

दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट परिसर से बाहर आते हुए TVK महासचिव आधव अर्जुना ने राहत और नाराज़गी दोनों जाहिर की।

उन्होंने कहा, “हमने बेहद पीड़ादायक दिन झेले हैं। तमिलनाडु के कई जिलों में हमारी यात्रा शांतिपूर्वक चली, लेकिन करूर में एक योजनाबद्ध हमला हुआ।”

अर्जुना ने विजय की देरी से पहुंचने की बात को खारिज करते हुए कहा, “कार्यक्रम का समय दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक का था, जिसे DMK ने राजनीतिक लाभ के लिए छिपाया। विजय समय पर पहुँचे थे। करूर सीमा पर स्थानीय पुलिस ने हमारा स्वागत किया — ऐसा किसी अन्य जिले में नहीं हुआ।”

‘पुलिस ने कार्यकर्ताओं से आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया’

अर्जुना ने आरोप लगाया कि पुलिस ने पार्टी को निर्धारित जगह पर रैली करने को मजबूर किया और कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया।

उन्होंने कहा कि विजय ने स्वयं प्यासे समर्थकों को पानी बांटा और एंबुलेंस के लिए रास्ता बनाया।

अर्जुना ने कहा, “हम करूर से भागे नहीं थे। पुलिस ने दंगे की आशंका दिखाकर हमें एंट्री नहीं दी। हमारे कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज कर उन्हें आतंकवादी की तरह ट्रीट किया गया।” 

उन्होंने आरोप लगाया कि DMK सरकार ने TVK को पंगु बनाने के लिए यह सब किया।

‘हाईकोर्ट की आलोचना के पीछे DMK का हाथ’

TVK का कहना है कि हाईकोर्ट जज द्वारा विजय की राजनीतिक एंट्री और नेतृत्व पर की गई आलोचना के पीछे DMK का हाथ है।

अर्जुना बोले, “मद्रास हाईकोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि याचिका दाखिल होते ही जांच और फैसला एक ही दिन में दे दिया गया। यह हमें स्तब्ध कर गया।”

वरिष्ठ पत्रकार श्याम ने कहा,“सुप्रीम कोर्ट का आदेश हाईकोर्ट के लिए एक झटका है। विजय को सुने बिना आदेश देना प्रक्रिया का दुरुपयोग था। अब तक यह भी साफ नहीं है कि हाईकोर्ट ने विशेष तौर पर किन बातों की आलोचना की थी।”

पूर्व जज ने सुप्रीम कोर्ट की सराहना की

मद्रास हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज वल्लिनायगम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सराहना करते हुए कहा कि सीबीआई जांच को सेवानिवृत्त जज की देखरेख में कराना “उदाहरणीय कदम” है।

उन्होंने कहा, “यह मामला राजनीति, मानवीय संवेदनाओं और निष्पक्ष जांच के अधिकार – तीनों को जोड़ता है।” 

DMK बोली — TVK निर्दोष नहीं ठहराई गई

DMK के कानूनी प्रवक्ता अधिवक्ता सरवनन ने कहा, “हाईकोर्ट की प्रक्रिया में त्रुटि हमारी ज़िम्मेदारी नहीं है। जांच एजेंसी बदली है, लेकिन कोर्ट ने TVK को निर्दोष नहीं ठहराया। सीबीआई जांचें राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर करती हैं — इसलिए हम इसका विरोध करते हैं। अब विजय और TVK शायद बीजेपी के प्रभाव में आ जाएं।”

AIADMK ने फैसले को ‘न्याय की जीत’ बताया

AIADMK सांसद इनबदुरई ने इस निर्णय को “तमिलनाडु सरकार के लिए करारा झटका” बताया। उन्होंने कहा, “DMK ने सीबीआई जांच का घोर विरोध किया था। यह फैसला दिखाता है कि सुप्रीम कोर्ट को राज्य पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है।”

यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को पुनर्स्थापित करता है और तमिलनाडु की राजनीति में चल रही बदले की राजनीति पर बहस को फिर से जगा देता है, जहाँ TVK की लोकप्रियता आगामी चुनावों से पहले और बढ़ सकती है।

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