बिहार में फिर लौटा 'जंगल राज'? गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या पर पड़ताल
Capital Beat के ताज़ा एपिसोड में पत्रकार फैज़ान अहमद, अशोक मिश्रा और सिद्धार्थ शर्मा ने पटना के पारस अस्पताल में दिनदहाड़े गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या और इसके बाद बिहार की कानून-व्यवस्था को लेकर उठे सवालों पर चर्चा की।;
बहुचर्चित वेब शो Capital Beat के ताज़ा एपिसोड में पत्रकार फैज़ान अहमद, अशोक मिश्रा और सिद्धार्थ शर्मा ने पटना के पारस अस्पताल में दिनदहाड़े गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या और इसके बाद बिहार की कानून-व्यवस्था को लेकर उठे सवालों पर चर्चा की। इस बहस में सामने आया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन में 'जंगल राज' जैसी स्थिति की वापसी की आशंका गहराती जा रही है।
CCTV में 'विक्ट्री साइन'
पटना के मशहूर पारस हॉस्पिटल के ICU में भर्ती चंदन मिश्रा, जिनके खिलाफ 24 आपराधिक मामले दर्ज थे, की हत्या ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। CCTV फुटेज में साफ दिखा कि पांच युवक हथियारों के साथ ICU में दाख़िल हुए, गोलियां चलाईं और फिर बाइक पर सवार होकर फरार हो गए। एक हमलावर द्वारा विजय चिह्न (Victory Sign) दिखाते हुए भागने की तस्वीरें वायरल हो गईं, जिससे पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
बिहार में अब सब कुछ बेलगाम
वरिष्ठ पत्रकार अशोक मिश्रा ने इस हत्या की तुलना हाल ही में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या से की और कहा कि बिहार में यह सब खुला खेल बन गया है। पुलिस की कार्यप्रणाली उलट-पुलट हो चुकी है। उन्होंने एक वरिष्ठ अधिकारी के उस बयान की भी आलोचना की, जिसमें कहा गया था कि “खेती के मौसम के बाहर किसान अपराध की ओर झुकते हैं।”
प्रशासनिक विफलता और सियासी चुप्पी
पैनल चर्चा में यह बात सामने आई कि बिहार में पुलिसिंग ढह चुकी है और शासन प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। अशोक ने कहा कि पिछले तीन महीनों में 100 से ज़्यादा हत्याएं हुई हैं, लेकिन पुलिस की कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो उसी दिन बिहार में थे, उन्होंने इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की — जिसे पत्रकार नीलू ने चौंकाने वाला बताया। अशोक ने याद दिलाया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी बिहार की इसी तरह की स्थिति पर मंच से खुलकर टिप्पणी की थी, जो मोदी के मौन से विपरीत है।
'जंगल राज' शब्द का इतिहास और हालात
फैज़ान अहमद ने बताया कि "जंगल राज" शब्द 1997 में पटना हाई कोर्ट में पानी भराव पर दायर एक PIL से जुड़ा था, न कि कानून-व्यवस्था से। उन्होंने कहा कि अब तो पुलिस खुद कह रही है कि ये हत्या का सीज़न है – क्या इसका कोई मतलब बनता है? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि एक कॉर्पोरेट अस्पताल में, जहां पुलिसकर्मियों को भी ID दिखाकर प्रवेश करना पड़ता है, वहां पांच हथियारबंद हमलावर बिना रोकटोक कैसे घुस और निकल सकते हैं?
अपराध के आंकड़े और प्रशासन की असफलता
सिद्धार्थ शर्मा ने आंकड़ों के जरिए बिहार की बिगड़ती स्थिति को रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि बिहार में 1.2 लाख पुलिस पद खाली हैं, जबकि केवल 1.1 लाख पुलिसकर्मी कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि जब पुलिस नहीं होगी तो अपराधी खुले घूमेंगे और आम जनता घरों में कैद हो जाएगी। इसका असर बिहार की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। बिहार की प्रति व्यक्ति आय मात्र ₹60,000 है, जबकि पंजाब में यह ₹1.75 लाख है।
चिराग पासवान आक्रामक
राजनीतिक मोर्चे पर नीलू ने सवाल उठाया कि जब चिराग पासवान खुलकर बोल रहे हैं तो BJP क्यों चुप है? अशोक ने कहा कि चिराग 2020 से ही नीतीश पर हमलावर हैं। अब अपराध को मुद्दा बनाकर वो सीटों की मांग कर रहे हैं – शायद NDA के अंदर बीजेपी की रणनीति का हिस्सा हैं। चिराग ने केवल अपराध ही नहीं, बल्कि शिक्षक नियुक्तियां, SC/ST योजनाएं और प्रशासनिक खामियों को भी उठाया है।
आख़िर में फैज़ान ने कहा कि जब तक बिहार में प्रशासनिक लकवा, अपराधियों का बोलबाला और राजनीतिक चुप्पी बनी रहेगी, तब तक 'जंगल राज' की छवि मिटने वाली नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बिहार इस बदनामी से कभी उबर पाएगा या अब 'जंगल राज' इसकी राजनीतिक पहचान बन चुकी है?