मणिपुर: समझौते के 24 घंटे के भीतर फिर हुई हिंसा, मैतेई समुदाय के खाली पड़े घरों को जलाया
अधिकारियों ने बताया कि जिरिबाम के लालपानी गांव में एक खाली पड़े घर को शुक्रवार रात (2 अगस्त) हथियारबंद लोगों ने आग के हवाले कर दिया.
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-08-03 05:25 GMT
Manipur Violence: मणिपुर से एक बार फिर हिंसक झड़पों की सूचना आ रही है. यहाँ जिरीबाम इलाके में गोलीबारी की गई और एक खाली पड़े घर को आग लगा दी गई, जिससे जिले में सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयासों को झटका लगा है. ये घटना तब हुई जब मैतेई और हमार समुदायों के बीच समझौता हुए महज 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए हैं. अधिकारियों ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी.
अधिकारीयों के अनुसार हथियारबंद हमलावरों ने लालपानी गांव में एक खाली पड़े घर को शुक्रवार रात आग लगा दी.
एक अधिकारी ने बताया, "ये एक अलग-थलग बस्ती है, जिसमें मैतेई समुदाय के कुछ घर हैं और इनमें से अधिकांश को जिले में हिंसा भड़कने के बाद खाली कर दिया गया था. उपद्रवियों, जिनकी पहचान करने का काम जारी है, ने क्षेत्र में सुरक्षा खामियों का फायदा उठाकर आगजनी की."
उन्होंने बताया कि हथियारबंद लोगों ने गांव को निशाना बनाकर कई राउंड गोलियां भी चलायीं.
अधिकारीयों के अनुसार इस घटना के बाद सुरक्षा बलों को इलाके में तैनात कर दिया गया है.
गुरूवार को मैतेई और हमार समुदाय के बीच हुआ था समझौता
जानकारी के अनुसार मैतेई और हमार समुदायों के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को असम के कछार में सीआरपीएफ केन्द्र में आयोजित एक बैठक में एक समझौता किया था. बैठक का संचालन जिरीबाम जिला प्रशासन, असम राइफल्स और सीआरपीएफ के जवानों ने किया था. बैठक में जिले के थाडौ, पैते और मिजो समुदायों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे.
सभी सहभागी समुदायों के प्रतिनिधियों द्वारा जारी और हस्ताक्षरित एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, "बैठक में ये संकल्प लिया गया है कि दोनों पक्ष सामान्य स्थिति बहाल करने तथा आगजनी और गोलीबारी की घटनाओं को रोकने के लिए पूर्ण प्रयास करेंगे. दोनों पक्ष जिरीबाम जिले में कार्यरत सभी सुरक्षा बलों को पूर्ण सहयोग देंगे. दोनों पक्ष नियंत्रित और समन्वित आवागमन को सुविधाजनक बनाने पर सहमत हुए."
अगली बैठक 15 अगस्त को होगी
पिछले वर्ष मई से इम्फाल घाटी स्थित मैतेईस और समीपवर्ती पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं.
जातीय रूप से विविधतापूर्ण जिरीबाम, जो इम्फाल घाटी और आस-पास की पहाड़ियों में जातीय संघर्षों से काफी हद तक अछूता रहा है, इस साल जून में खेतों में एक किसान का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद हिंसा भड़क उठी. दोनों पक्षों की ओर से आगजनी की घटनाओं के कारण हजारों लोगों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में जाना पड़ा. जुलाई के मध्य में उग्रवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में सीआरपीएफ का एक जवान भी मारा गया. पीटीआई
(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)