घोटाला : पुरुषों ने भी उठा लिया महाराष्ट्र की लड़की बहन योजना का लाभ

इस खुलासे के बाद से महाराष्ट्र में राजनितिक भूचाल आ गया है, जहाँ विपक्ष इस मामले पर राज्य सरकार को घेरने की योजना बना रहा है तो वहीँ राज्य सरकार इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच कराने की बात कह रही है.;

Update: 2025-07-27 10:30 GMT

Scam In Ladki Behan Scheme : महाराष्ट्र सरकार की बहुचर्चित ‘लड़की बहन योजना’ में चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। इस योजना को खासतौर पर आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं की मदद के लिए शुरू किया गया था और इसी वजह से इसका नाम लड़की बहन योजना रखा गया, लेकिन सरकारी ऑडिट से पता चला है कि 14,000 से ज़्यादा पुरुषों ने फर्जी तरीके से खुद को महिला दिखाकर करोड़ों रुपये की सरकारी मदद हड़प ली।

यह योजना वर्ष 2024 में शुरू की गई थी, जिसके तहत 21 से 65 वर्ष की आयु की गरीब महिलाओं को हर महीने ₹1,500 की मदद दी जाती है। शर्त यह थी कि महिला का परिवार सालाना ₹2.5 लाख रुपये से कम कमाता हो। योजना का उद्देश्य था कि चुनावी साल में महिला वोटरों को राहत दी जा सके।


ऑनलाइन सिस्टम में हेरफेर, 21.44 करोड़ की धोखाधड़ी

महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) की जांच में खुलासा हुआ है कि 14,298 पुरुषों ने ऑनलाइन पोर्टल में गड़बड़ी कर खुद को महिला बताकर फर्जी पंजीकरण करवा लिया। इसके ज़रिए उन्हें अब तक करीब ₹21.44 करोड़ रुपये की सरकारी सहायता मिल चुकी थी।

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस मामले पर नाराजगी जताई और कहा:

“यह योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है, पुरुषों को इसका फायदा नहीं मिलना चाहिए। जिन्होंने गलत तरीके से पैसा लिया है, उनसे राशि वसूल की जाएगी। ज़रूरत पड़ी तो कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।”


सिर्फ पुरुष नहीं, और भी गड़बड़ियां सामने आईं

यह मामला यहीं खत्म नहीं होता। योजना में कई अन्य नियमों की भी खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई गईं, जिससे राज्य सरकार को बड़ा वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा:


तीन महिलाएं एक ही परिवार से:
योजना के नियमों के अनुसार, एक परिवार से केवल दो महिलाओं को ही लाभ मिल सकता है। लेकिन 7.97 लाख महिलाओं ने तीसरे सदस्य के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया, जिससे सरकार को लगभग ₹1,196 करोड़ का नुकसान हुआ।


उम्र सीमा पार की महिलाएं:
योजना की आयु सीमा 65 वर्ष तक निर्धारित थी, लेकिन 2.87 लाख महिलाओं को 65 वर्ष से ऊपर होते हुए भी लाभ मिल गया, जिससे ₹431.7 करोड़ का घाटा हुआ।


गाड़ी वाले परिवार भी लाभार्थी:
योजना में स्पष्ट है कि चारपहिया वाहन वाले परिवार अपात्र हैं, फिर भी 1.62 लाख ऐसी महिलाओं को योजना का लाभ मिला, जिनके घर में गाड़ी है।


सियासी बवाल और जांच की माँग

घोटाले के सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा:

“इन पुरुषों ने आवेदन कैसे भरे? किसने उन्हें तकनीकी मदद दी? किस कंपनी को पोर्टल की जिम्मेदारी दी गई थी? यह सब किसी गहरी साज़िश की ओर इशारा करता है। इस मामले की जांच एसआईटी या ईडी से कराई जानी चाहिए।”


सरकार ने मानी लापरवाही, उठाए कदम

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिसंबर 2024 में योजना की समीक्षा के आदेश दिए थे। इसके बाद जनवरी 2025 में महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने भी इस पर संज्ञान लिया और कहा कि

“सरकार इस योजना को पारदर्शी और गड़बड़ी-मुक्त बनाएगी।”

इसके तहत फरवरी 2025 तक 5 लाख अपात्र लोगों को लाभ सूची से बाहर कर दिया गया।


26.34 लाख अपात्र लाभार्थियों की पहचान, जून से लाभ रोका गया

महिला एवं बाल विकास विभाग ने राज्य सरकार के सभी विभागों से डेटा मंगवाया, ताकि अपात्र लोगों की पहचान की जा सके। सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने रिपोर्ट दी कि —

करीब 26.34 लाख लोग योजना का फायदा ले रहे थे, जबकि वे पात्र नहीं थे।

कुछ मामलों में एक ही परिवार के तीन से ज़्यादा लोग, कुछ मामलों में एक ही व्यक्ति ने कई योजनाओं का लाभ ले रखा था, और कुछ में पुरुषों ने महिला बनकर आवेदन किया था।

अदिति तटकरे ने ट्वीट कर जानकारी दी कि —

“जून 2025 से इन अपात्र 26.34 लाख लोगों का लाभ अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। वहीं, इस महीने के लिए 2.25 करोड़ सही लाभार्थियों को भुगतान किया जा चुका है।”

महाराष्ट्र की ‘लड़की बहन’ योजना को महिलाओं की आर्थिक मदद का ज़रिया बनाना था, लेकिन निगरानी की कमी और सिस्टम की खामियों ने इसे भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया। अब सवाल ये है कि क्या सरकार केवल बयानों तक सीमित रहेगी या वाकई दोषियों से वसूली और सज़ा का रास्ता अपनाएगी।


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