नीतीश कैबिनेट में राजनीतिक वंशजों का वर्चस्व, परिवारवाद विरोधी रुख पर सवाल
नीतीश कुमार ने खुद को परिवारवाद का विरोधी कहा, लेकिन उनकी नई कैबिनेट और गठबंधन सहयोगियों की संरचना दर्शाती है कि बिहार की राजनीति में वंशवाद की पकड़ मजबूत है। जनता और राजनीतिक विश्लेषक अब यह देखने को उत्सुक हैं कि नीतीश का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन होगा और क्या उनका परिवार राजनीति में कभी कदम रखेगा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस सप्ताह रिकॉर्ड 10वीं बार शपथ ली। वह अक्सर खुद को “परिवारवाद” (Dynastic Politics) का कट्टर विरोधी बताते रहे हैं। लेकिन 20 नवंबर को उनके साथ शपथ लेने वाली नई 26 सदस्यीय कैबिनेट इस दावे से बिल्कुल अलग तस्वीर पेश करती है। कई मंत्रियों का राजनीतिक वंशज होना इस बात का सबूत है कि बिहार की राजनीति में वंशवाद की पकड़ अभी भी मजबूत है। नीतीश ने बार-बार दावा किया कि उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी भी राजनीतिक पद की मांग नहीं की, फिर भी उनकी सरकार पार्टी और गठबंधन के माध्यम से राजनीतिक विरासत को मजबूत करती रही है।
राजनीतिक उत्तराधिकारी हुए मंत्रिमंडल में शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया, ने देखा कि कैबिनेट में कई मंत्री राजनीतिक परिवारों की पत्नियां, बेटे, बेटियां और बहुएं हैं। यह तब है जब नीतीश और मोदी दोनों ने लगातार कांग्रेस और राजद पर परिवारवाद का आरोप लगाया था। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान मोदी ने परिवार-प्रधान पार्टियों को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया था। लेकिन इस कैबिनेट में शामिल कई छोटे सहयोगी दल, जैसे हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) भी प्रमुख राजनीतिक परिवारों के नियंत्रण में हैं।
मुख्य राजनीतिक वंशज और उनके पोर्टफोलियो
सम्राट चौधरी (BJP): तारापुर से चुने गए, मंगर का पारंपरिक परिवारिक क्षेत्र। पहले भी उप मुख्यमंत्री रहे। गृह विभाग की जिम्मेदारी मिली है, जो नीतीश के पास 2005 से थी।
संतोष सुमन (HAM): केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बड़े बेटे। HAM के राष्ट्रीय अध्यक्ष, लंबे समय से मंत्रिपद पर।
दीपक प्रकाश (RLM): पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बड़े बेटे। चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन कैबिनेट में शामिल।
नितिन नबिन (BJP): पूर्व नेता नवीन कुमार सिन्हा के बेटे।
रमा निषाद (BJP): पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी, पूर्व केंद्रीय मंत्री जय नारायण प्रसाद निषाद की बहू।
श्रेयसी सिंह (BJP): पूर्व केंद्रीय मंत्री दिविजय सिंह की बेटी।
अशोक चौधरी (JD(U)): पूर्व कांग्रेस मंत्री महावीर चौधरी के बेटे।
विजय कुमार चौधरी (JD(U)): पूर्व कांग्रेस विधायक जगदीश प्रसाद चौधरी के बेटे।
सुनील कुमार (JD(U)): पूर्व मंत्री चंद्रिका राम के बेटे।
लेसी सिंह (JD(U)): सामता पार्टी के पूर्व नेता की विधवा।
इनमें से कई मंत्री लंबे समय से नीतीश के करीबी और विश्वसनीय सहयोगी रहे हैं।
वंशवाद पर विरोध और विरोधाभास
बिहार की राजनीति में NDA और BJP अक्सर RJD पर परिवारवाद का आरोप लगाते हैं। लेकिन नई कैबिनेट में शामिल अधिकांश मंत्री यही प्रथा अपनाते दिख रहे हैं।
RJD भी परिवारवाद में पीछे नहीं
लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी MLC हैं। छोटे बेटे तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता बनने वाले हैं। बड़ी बेटी मिसा भारती सांसद हैं। बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पूर्व मंत्री हैं। लेकिन नीतीश कुमार का परिवार राजनीति में अभी तक शामिल नहीं हुआ है। उनके बेटे निशांत कुमार के राजनीति में आने की अफवाहें कभी साकार नहीं हुईं। हालांकि, NDA की बड़ी जीत के बाद फिर आवाजें उठी हैं कि निशांत को JD(U) की बागडोर संभालनी चाहिए। नीतीश अब 74 वर्ष के हैं और अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।