क्या हटाए जाएंगे 1 करोड़ वोटर? यूपी पंचायत चुनाव से पहले सियासी घमासान

आधिकारिक रूप से उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ़ से कोई बयान नहीं दिया गया है। मतदाता सूची से डुप्लीकेट संदिग्ध नामों को हटाने और वोटर लिस्ट की विसंगतियों को दूर करने के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं।;

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-09-02 09:23 GMT
यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर चल रही है तैयारी

क्या बिहार में वोटर लिस्ट के मुद्दे पर मचा घमासान यूपी पहुंचने वाला है? क्या यूपी पंचायत चुनाव से पहले मतदाता सूची दुरुस्त करने के लिए एसआईआर( SIR) यूपी में सियासी तापमान बढ़ाएगा? विपक्षी दलों की मानें तो पंचायत चुनाव की वोटर लिस्ट से एक करोड़ से ज़्यादा नाम काटने की तैयारी है।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पहले ही भाजपा और चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठा दिया है। वहीं मंगलवार से अयोध्या और कई जिलों में राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची के सत्यापन का काम शुरू करवा दिया है।

उत्तर प्रदेश में अगले साल की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। विधानसभा का सेमीफाइनल माने जाने वाले पंचायत चुनाव की वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने पर विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं। हालांकि आधिकारिक रूप से उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission, Uttar Pradesh) की तरफ़ से कोई बयान नहीं दिया गया है पर डुप्लीकेट नामों को हटाने और वोटर लिस्ट की विसंगतियों को दूर करके के लिए ज़िलाधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं।

अयोध्या में वोटर लिस्ट के सत्यापन का काम दो सितंबर से शुरू हो गया। कहा जा रहा है कि सिर्फ अयोध्या में 2.6 लाख संदिग्ध नाम मतदाता सूची में हैं। इनका सत्यापन बीएलओ के माध्यम से कराया जाएगा।ऐसे ही सत्यापन पूरे प्रदेश में जिला निर्वाचन अधिकारियों( जिलाधिकारियों) की देखरेख में कराया जाएगा। पंचायत चुनाव की वोटर लिस्ट विधानसभा और लोकसभा चुनाव से अलग होती है और इसके पुनरीक्षण की ज़िम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग की होती है।

AI की रैंडम चेकिंग में बड़े पैमाने पर डुप्लीकेट नामों को आशंका

जानकारी के अनुसार बिहार में मचे हंगामे के बीच यूपी पंचायत चुनाव को लेकर चल रही तैयारी के तहत राज्य निर्वाचन आयोग ने टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हुए एआई ( AI) से वोटर लिस्ट के नामों की जांच करायी तो बड़े पैमाने पर डुप्लीकेट नाम की आशंका सामने आई। यहां तक कि 10 प्रतिशत नामों के डुप्लीकेट या संदिग्ध होने की आशंका है। ऐसे में अब उन नामों का बीएलओ के माध्यम से सत्यापन (वेरिफिकेशन) कराया जाएगा। कहा जा रहा है कि जो संदिग्ध या डुप्लीकेट नाम चिह्नित किए गए हैं उनमें कई तरह के नाम हो सकते हैं।

कुछ वोटर ऐसे हैं जिनका नाम एक से ज़्यादा ग्राम पंचायतों में दर्ज़ हैं। वहीं कुछ नाम ऐसे हैं जो एकदम एक जैसे हैं । उनके बारे में डिटेल्स भी एक जैसी हैं। कहीं सरनेम आगे है तो कहीं पीछे, कहीं उम्र में दो अंकों में से एक डिजिट ( अंक) को बदल दिया गया है।कहीं एक ही व्यक्ति की उम्र, लिंग, पिता का नाम एक जैसे हैं पर पता अलग-अलग है। वहीं कुछ ऐसे भी नाम हैं जिन्होंने शहर में वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करा लिया है लेकिन अभी तक गांव में भी गांव में भी वोटर लिस्ट में नाम दर्ज है। बिहार में हो रहे बवाल के बीच यूपी राज्य निर्वाचन आयोग की इस तैयारी और AI से जांच करवाने की बात सामने आते ही सपा ने सवाल उठा दिया जबकि अभी इस तरह के नामों का सत्यापन मौके पर जा कर बीएलओ( BLO) को करना है।

अखिलेश यादव और संजय सिंह ने सवाल उठाए

वोटर लिस्ट को एआई के जरिए से जांच करवाकर 1 करोड़ से ज़्यादा नाम काटने का आरोप लगाते हुए समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठा दिया है। विपक्ष आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार दिख रहा है। अखिलेश यादव ने कहा है कि ‘जब जुगाड़ आयोग AI से सवा करोड़ का अपना घपला पकड़ सकता है तो फिर हमारे द्वारा दिये गये 18000 में से केवल 14 एफ़िडेविट का जवाब देने के बाद बचे 17986 एफ़िडेविट्स का क्यों नहीं?’

सपा इस पर जल्दी ही रणनीतिक तरीके से विरोध करने वाली है। वहीं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने यह कहा है कि ‘यूपी के लोग अपने वोट के अधिकार को बचाने के लिए सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो जाएं।वोट चोरी का नारा अब बिहार के बाद यूपी में भी गूंजेगा।’

समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह का कहना है ‘देखिए चुनाव आयोग तो अपना काम करेगा और राजनीतक दल अपना काम करेंगे।हम लोग यह जानते हैं कि न फ़र्ज़ी वोटरों को वोट डालने का मौक़ा मिलना चाहिए न ही किसी का वोट कटना चाहिए।जो अधिकार संविधान से मिले हैं वो होना चाहिए।हमारे यहाँ जो जिम्मेदार लोग हैं वो इस बात को देखेंगे।’

बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है ‘अखिलेश यादव अब जानबूझ कर ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं जिससे बाद में अपनी हार को जस्टिफाई कर सकें।किसी भी चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को अपडेट करने का काम आयोग का होता है।उसमें राजनीतिक दल सहयोग करते हैं।लेकिन सपा के पास बूथ लेवल पर संगठन का ऐसा कोई नेटवर्क नहीं है इसलिए वो ये सब अनर्गल बात कर रहे हैं।’

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