‘मैं चायवाला हूं, चाय मजदूरों के लिए काम नहीं करूंगा तो कौन करेगा? नामरूप में बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां कांग्रेस ने दशकों तक चाय समुदाय को भूमि अधिकार नहीं दिए, वहीं उनकी सरकार ने उन्हें जमीन और सम्मानजनक जीवन दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को असम में चाय समुदाय के लिए अपनी सरकार की पहलों का बचाव करते हुए खुद को 'चायवाला' बताते हुए कहा कि अगर मैं चाय मजदूरों के लिए काम नहीं करूंगा तो कौन करेगा? यह टिप्पणी उन्होंने असम के नामरूप में एक जनसभा को संबोधित करते हुए की, जहां उन्होंने 10,600 करोड़ रुपये की अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना के भूमि पूजन के बाद लोगों को संबोधित किया। उनके इस बयान पर सभा में मौजूद लोगों ने जोरदार तालियां बजाईं।
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि उसने दशकों तक चाय बागान मजदूरों को भूमि अधिकार देने से वंचित रखा। मोदी ने कहा कि भाजपा सरकार ने चाय मजदूरों को न केवल भूमि का स्वामित्व दिया, बल्कि उन्हें सम्मानजनक जीवन भी सुनिश्चित किया, जबकि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में उन्हें बुनियादी अधिकारों से लगातार दूर रखा।
वित्तीय समावेशन पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि जनधन योजना के तहत असम में चाय बागान मजदूरों के लिए 7.5 लाख बैंक खाते खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली से जुड़ने के बाद अब इन मजदूरों को सीधे उनके खातों में धनराशि का लाभ मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार चाय बागान क्षेत्रों में स्कूलों, सड़कों, बिजली, पानी और अस्पतालों का विस्तार कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया दिल्ली यात्रा के दौरान उन्होंने उन्हें असम की प्रसिद्ध काली चाय भेंट की थी। उन्होंने कहा कि मैंने गर्व के साथ राष्ट्रपति पुतिन को असम की ब्लैक टी भेंट की। असम के सम्मान को बढ़ाने वाला हर प्रयास हमारी सरकार की प्राथमिकता है।
विपक्ष पर हमला तेज करते हुए प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह वोट बैंक मजबूत करने के लिए असम की जमीन और जंगलों में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मतदाता सूचियों की शुद्धता के लिए किए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभ्यास का भी विरोध कर रही है। मोदी ने कहा कि विपक्ष को न असम की चिंता है, न यहां के लोगों की और न ही उनकी पहचान की। उन्हें सिर्फ सत्ता से मतलब है। वे अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देते हैं, इसी वजह से मतदाता सूचियों की शुद्धता का विरोध करते हैं।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि जहां कांग्रेस ने दशकों तक चाय समुदाय को भूमि अधिकार नहीं दिए, वहीं उनकी सरकार ने उन्हें जमीन और सम्मानजनक जीवन दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति के लिए “राष्ट्रविरोधी सोच” को बढ़ावा देती है। मोदी ने यह भी याद दिलाया कि जब उनकी सरकार ने प्रख्यात असमिया संगीतकार डॉ. भूपेन हजारिका को भारत रत्न से सम्मानित किया था, तब कांग्रेस ने इसका खुलकर विरोध किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने टिप्पणी की थी कि ‘मोदी गायकों और कलाकारों को भारत रत्न दे रहे हैं’। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने असम में सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना का भी विरोध किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भी हम असम के सम्मान को बढ़ाने वाला कोई काम करते हैं, कांग्रेस को सबसे ज्यादा तकलीफ होती है और विपक्ष पर बाधाएं खड़ी करने का आरोप लगाया। अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि असम को तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति के जहर से बचाना जरूरी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि भाजपा असम की पहचान और सम्मान की रक्षा के लिए “ढाल बनकर” खड़ी है।
उन्होंने कहा कि असम की पहचान, असम की संस्कृति और असम का भविष्य — इन सबकी रक्षा उन लोगों से करनी होगी जो अवैध घुसपैठियों को स्थानीय समुदायों के लिए खतरा नहीं, बल्कि वोट बैंक मानते हैं। इस बयान पर भी सभा में मौजूद लोगों ने जोरदार समर्थन जताया। देश के विकास में क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वी भारत देश के विकास का ग्रोथ इंजन बनेगा और असम तथा पूर्वोत्तर को भारत के भविष्य की आर्थिक वृद्धि का केंद्र बताया।