बिहार में प्रियंका गांधी की 'हर घर अधिकार यात्रा', महागठबंधन को मिलेगी नई रफ्तार
कांग्रेस की ‘हर घर अधिकार यात्रा’ विपक्षी महागठबंधन की तीसरी बड़ी यात्रा होगी। यह यात्रा जहां संगठन को मज़बूती देने की कोशिश करेगी, वहीं महिला वोटरों को टारगेट करके चुनावी समीकरण को भी साधने की कोशिश होगी।
बिहार की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता भले ही लंबा और चुनौतीपूर्ण हो, लेकिन विपक्षी 'महागठबंधन' (Grand Alliance) अब इस सफर को निर्णायक बनाने की तैयारी में है। राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' और तेजस्वी यादव की 'बिहार अधिकार यात्रा' के बाद अब कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी ‘हर घर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत करने जा रही हैं। सूत्रों का मानना है कि राहुल और तेजस्वी की यात्राओं से विपक्षी वोट बैंक में हलचल पैदा हुई है, बावजूद इसके कि कांग्रेस और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर मतभेद की खबरें सामने आई हैं। कांग्रेस अब इस बने हुए राजनीतिक मोमेंटम को कमजोर नहीं होने देना चाहती।
पटना में कांग्रेस की बड़ी बैठक
कांग्रेस ने 24 सितंबर को पटना में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की विस्तारित बैठक आयोजित करने का ऐलान किया है। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। हालांकि, सोनिया गांधी की मौजूदगी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पटना में इस बैठक का आयोजन यह संदेश देने के लिए किया जा रहा है कि कांग्रेस बिहार की राजनीति में वापसी और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह गंभीर है। इस बैठक में चुनाव आयोग द्वारा बिहार में चलाए जा रहे विशेष मतदाता सूची संशोधन अभियान (Special Intensive Revision) के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया जा सकता है। 25 सितंबर को CWC के कई सदस्य और बिहार कांग्रेस के नेता पटना में डोर-टू-डोर प्रचार अभियान भी चलाएंगे।
प्रियंका गांधी की यात्रा की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, प्रियंका गांधी 26 सितंबर से अपनी ‘हर घर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत कर सकती हैं। पहले इसे खगड़िया से शुरू करने की योजना थी, लेकिन भारी बारिश के कारण वहां का ग्राउंड जलमग्न हो गया है। ऐसे में अब यात्रा की शुरुआत मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) से होने की संभावना है। हालांकि, जगह बदलने से यात्रा का रूट भी बदला जा सकता है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि रूट चाहे बदले, लेकिन प्रियंका गांधी की 10 दिन लंबी यात्रा तय मानी जा रही है। यह यात्रा उन क्षेत्रों से होकर गुजरेगी, जहां राहुल गांधी की 17 दिवसीय यात्रा नहीं पहुंची थी। राहुल की यात्रा 38 में से 25 जिलों के 100 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों को कवर कर चुकी है। यात्रा की अंतिम रूपरेखा चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम घोषित करने के बाद तय की जाएगी।
क्या होगा प्रियंका गांधी का फोकस?
प्रियंका गांधी की यात्रा में महिलाओं को मुख्य रूप से फोकस किया जाएगा। ‘महिला संवाद’ कार्यक्रमों के जरिए वो आंगनबाड़ी सेविका, जीविका दीदी और ग्रामीण महिला समूहों से संवाद करेंगी। इसके अलावा कांग्रेस-राजद के संयुक्त घोषणापत्र में शामिल ‘माई बहिन मान योजना’ जैसे आर्थिक सहयोग वाले वादों को भी प्रमुखता से रखा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी हर दिन कुछ समय डोर-टू-डोर प्रचार और स्थानीय महिलाओं से बातचीत में बिताएंगी।
सहयोगी दलों की भूमिका पर सवाल
यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रियंका गांधी की यात्रा में RJD, CPI-ML, CPM, VIP जैसे सहयोगी दलों के नेता शामिल होते हैं या नहीं। राहुल गांधी की यात्रा के दौरान तो इन दलों की उपस्थिति रही थी, लेकिन तेजस्वी यादव की हालिया 'बिहार अधिकार यात्रा' में किसी सहयोगी नेता की मौजूदगी नहीं देखी गई थी, जिससे मतभेद की अटकलें तेज हो गई थीं। कांग्रेस नेताओं ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि ये यात्राएं एक-दूसरे को पूरा करने के लिए हैं, न कि प्रतिस्पर्धा के लिए।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि तेजस्वी यादव की यात्रा पहले से तय थी। वो उन इलाकों में जाना चाहते थे, जो राहुल की यात्रा में छूट गए थे, खासकर RJD के गढ़। मीडिया में जो यह प्रचार हो रहा है कि राहुल ने ध्यान खींच लिया इसलिए तेजस्वी अपनी यात्रा पर निकले — यह गलत और बीजेपी की चाल है। वहीं, एक वरिष्ठ RJD नेता ने कहा कि राहुल गांधी की यात्रा SIR और वोट चोरी जैसे मुद्दों पर केंद्रित रही, जबकि तेजस्वी यादव ने उसमें विस्तार करते हुए पलायन, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था जैसे राज्य विशेष के मुद्दे उठाए।
प्रियंका की यात्रा में शामिल हो सकते हैं ये बड़े नेता
सूत्रों के अनुसार, प्रियंका गांधी की यात्रा में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता शामिल हो सकते हैं, जिनमें अशोक गहलोत, सचिन पायलट, भूपिंदर हुड्डा, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी शामिल हैं।