शम्भू बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन स्थगित, सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम
किसान नेता पंढेर ने कहा कि सरकार किसानों के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाती आ रही है. हम बातचीत के लिए तैयार हैं. अगर 24 घंटे में सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक रुख नहीं रहता है तो फिर आगे प्रदर्शन और तरह से होगा.;
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-12-06 14:40 GMT
Shambhu Border Farmers Agitation : पंजाब और हरियाणा के किसानों का दिल्ली कूच शुक्रवार को शंभू बॉर्डर पर भारी हंगामे और झड़प के बीच रुक गया। शुक्रवार सुबह से जारी संघर्ष शाम को जाकर थमा लेकिन 24 घंटे के अल्टीमेटम के साथ। इससे पहले शुक्रवार सुबह से शुरू हुए पुलिस और किसानों के बीच हुए टकराव में 8 किसान घायल हुए, जिनमें से 2 की हालत गंभीर बताई जा रही है। प्रदर्शनकारी किसानों ने बैरिकेड्स पार करने की कोशिश की, जिसके जवाब में सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके बाद किसान नेताओं ने प्रदर्शन स्थगित करने का निर्णय लिया और सरकार को अपनी मांगों पर कार्रवाई के लिए 24 घंटे का समय दिया।
किसान नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “हम सरकार से टकराव नहीं चाहते, लेकिन हमारे साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार क्यों किया जाता है? हमने देश को भुखमरी से बचाने के लिए बहुत योगदान दिया है। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो हम फिर से प्रदर्शन करेंगे।” उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों की ओर से बातचीत के लिए दरवाजे खुले हैं, लेकिन सरकार को जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे।
दिल्ली कूच के दौरान टकराव
शुक्रवार को 101 किसानों के जत्थे ने शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच की शुरुआत की थी, लेकिन कुछ ही दूरी पर जत्थे को बहुस्तरीय बैरिकेड्स और भारी सुरक्षा बलों ने रोक दिया। किसानों ने बैरिकेड्स कूदने की कोशिश की, जिस पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और भीड़ को तितर-बितर कर दिया। झड़प के दौरान कई किसान घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया।
किसानों का सरकार पर आरोप
किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार उनके साथ नकारात्मक और शत्रुतापूर्ण रवैया अपना रही है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसक रूप से दबाने की कोशिश की जा रही है। किसान नेताओं ने यह भी कहा कि उनका आंदोलन देश के कल्याण के लिए है और वे इसे हर हाल में जारी रखेंगे।
हरियाणा पुलिस का रुख
हरियाणा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला दिया। पुलिस का कहना है कि शंभू बॉर्डर पर लगाए गए अवरोधक किसानों के कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक थे।
आगे की रणनीति पर नजर
किसान संगठनों ने सरकार से 24 घंटे में जवाब देने की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे प्रदर्शन को और व्यापक करेंगे। इस बीच, सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।