फ़र्ज़ी रेप केस दर्ज करवाने के लिए बिहार-झारखंड से भी लाते थे लड़कियां : SIT
कोर्ट ने फ़र्ज़ी रेप मुकदमे कर रंगदारी वसूलने वाले वकील अखिलेश दुबे की न्यायिक रिमांड मंज़ूर की।मामले में कई अहम खुलासे हो सकते हैं। जाँच की आँच कई ‘बड़ों’ पर आ सकती है।अखिलेश दुबे पर वक़्फ़ की सम्पत्ति पर क़ब्ज़ा करने का भी आरोप लगा है।;
Kanpur Akhilesh Dubey Case : उत्तर प्रदेश जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बेहतर कानून व्यवस्था के लिए जाना जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में हर दिन अपराधों की नई ‘मोडस ऑपरेंडी’ भी सामने आ रही है। ऐसा ही एक मामला प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर से सामने आया है, जिसमें एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश हुआ है जो व्यापारियों, पूंजीपतियों के ख़िलाफ़ दुष्कर्म के झूठे मुकदमे दर्ज करवाकर वसूली करता था। गौरकरने वाली बात ये है कि अब तक की जांच में ये खुलासा हुआ है कि इस गिरोह के तार कई सफ़ेदपोश लोगों से भी जुड़े हैं, जिनकी सरपरस्ती में इस गिरोह ने न जाने कितने ही लोगों को रेप के फर्जी मामलों में फंसाकर उनसे 100 करोड़ से भी ज्यादा की रकम वसूल ली है। मामले की जांच में जुटी SIT का ये भी दावा है कि इस मामले में गिरफ़्तार आरोपी एडवोकेट अखिलेश दुबे और उसके सहयोगी लवी मिश्रा ने इस बात का खुलासा भी किया है कि ये गिरोह शिकार को फंसाने के लिए दूसरे राज्यों से गरीब लड़कियों को लाया करता था और फिर उन लड़कियों का जाल बिछा कर अमीरों को रेप के फ़र्ज़ी मुकदमे में फंसाया जाता था।
पुलिस के बड़े अधिकारी भी संदेह के घेरे में
पुलिस का दावा है कि इस ब्लैक मेलिंग के ज़रिए अखिलेश दुबे गैंग ने कई सौ करोड़ की संपत्ति खड़ी कर की ली थी। अब SIT इस बात की जांच कर रही है कि इस गिरोह का मनोबल बढ़ाने वाले वो बड़े पुलिस अधिकारी कौन कौन है, जिनकी काली कमाई को इस गोरोह ने ‘इन्वेस्ट’ भी किया है। यही वजह भी रही कि इस गिरोह की कई शिकायत मिलने के बावजूद भी पुलिस के इन संदिग्ध आलाअधिकारियों ने अब तक इन पर कोई कार्रवाई तक नहीं की।
अखिलेश दुबे को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
दुष्कर्म के झूठे मुकदमे में फंसाकर रंगदारी वसूलने के मामले में चर्चित एडवोकेट अखिलेश दुबे पर शिकंजा कसता जा रहा है। एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं, जिससे प्रतीत होता है कि ये सब अपराध बड़े ही सुनियोजित और पेशेवर तरीके से अंजाम दिया जा रहा था। कानपुर के कारोबारी सुरेश पाल से ढाई करोड़ की रंगदारी मांगने के मामले में अखिलेश दुबे को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। बृहस्पतिवार को अखिलेश दुबे और उसके सहयोगी लवी मिश्रा को कानपुर में एसीजेएम डिवीज़न 6 ने अभियोजन पक्ष की अर्जी स्वीकार करते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
सांसद अशोक रावत ने जाँच के लिए लिखा था पत्र, IAS और IPS के शामिल होने का जताया था अंदेशा
कानपुर के कारोबारी सुरेश पाल ने किदवईनगर थाने में शिकायत की थी कि उनको सामूहिक दुष्कर्म के झूठे मुकदमे में फंसाया गया है। सुरेश पाल ने यह भी पुलिस को शिकायत की थी कि इसके लिए अधिवक्ता अखिलेश दुबे ने ब्लैक मेल करते हुए ढाई करोड़ की रंगदारी मांगी है। इस केस के बाद पुलिस हरकत में आई।हालाँकि इससे पहले कानपुर के बीजेपी नेता रवि सतीजा से 50 लाख की रंगदारी मांगने और नहीं देने पर दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट में फँसाने के मामले में अखिलेश दुबे को जेल भेजा गया था। इस गिरफ्तारी के बाद भाजपा सांसद अशोक रावत ने कानपुर के पुलिस कमिश्नर से शिकायत कर इस बात का आरोप लगाया था कि इस गिरोह में बड़ी संख्या में आईएएस-आईपीएस शामिल हैं और उस मामले की जांच करायी जाए।
भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में की थी शिकायत
भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश संयोजक रवि सतीजा ने पिछले दिनों गोरखपुर में मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में जा कर शिकायती पत्र का एक बंडल मुख्यमंत्री को सौंपा था। दावा है कि शिकायत में इस बात के साक्ष्य दिए गए थे कि अखिलेश दुबे और लवी मिश्रा और उनके गैंग कानपुर के व्यापारियों और उद्योगपतियों को डरा धमकाकर उनके ख़िलाफ़ रेप के फ़र्ज़ी मुकदमे दर्ज करवाकर वसूली कर रहे हैं। आरोप यह भी है कि इस गोरखधंधे में यूपी पुलिस के कई अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने इस प्रकरण में मुख्यमंत्री से कार्रवाई करने की माँग की थी, जिसपर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार को लखनऊ तलब किया था। कानपुर के पुलिस कमिश्नर ने सारे साक्ष्य मुख्यमंत्री के सामने रखे थे उसके बाद मुख्यमंत्री ने सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था।
एसआईटी की जांच में अब तक हुए कई अहम खुलासे
इसके बाद सक्रिय हुई पुलिस को अखिलेश दुबे के ख़िलाफ़ जाँच में कई ख़ौफ़नाक बातें सामने आई हैं। कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने DCP क्राइम के नेतृत्व में SIT का गठन किया था। एसआईटी में शामिल एडीसीपी क्राइम अंजलि विश्वकर्मा ने इस गिरोह के ख़िलाफ़ पुलिस को मिले तथ्यों को मीडिया के सामने रखा। जाँच में रेप के आठ ऐसे मामले मिले हैं, जिनमे केस दर्ज़ कराने में अखिलेश दुबे गैंग की भूमिका रही है पर आरोप लगाने वाली महिलाएँ अब तक लापता हैं।
बिहार और झारखंड से प्रलोभन देकर झूठे मुकदमे के लिए लाते थे लड़कियां
जाँच में इस बात का भी पता चला है कि रेप का झूठा मुकदमा दर्ज करवाने के लिए झारखंड और बिहार से गरीब लड़कियों को लाया जाता था। साथ ही स्थानीय मलिन बस्तियों से भी लड़कियों को रुपयों का लालच देकर इस काम के लिए तैयार किया जाता था। जाँच में की बस्ती की तीन ऐसी लड़कियां सामने आई हैं, जिन्होंने एक से ज़्यादा लोगों पर रेप का आरोप लगाया है। भाजपा नेता रवि सतीजा के जिस मामले में अखिलेश दुबे और लवी मिश्रा गिरफ्तार हुए थे, उस मामले में भी नाबालिग लड़की के साथ रेप का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया था। जिस लड़की ने अपनी नाबालिग बहन के रेप का आरोप लगाया था, जाँच में वो बिहार की रहने वाली पायी गयी।
कई बड़े आ सकते हैं जाँच के दायरे में
फ़िलहाल अखिलेश दुबे गैंग के खुलासे होने के बाद कई अधिकारियों तक भी जाँच की आँच पहुँच सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कानपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी( केडीए) के एक अधिकारी ने रवि सतीजा से मदद भी मांगी है। कुछ लोगों से एसआईटी ने पूछताछ की है कुछ और लोगों से पूछताछ होने वाली है। जांच में यह बात भी सामने आई है कि कई बड़े नेता अखिलेश दुबे के करीबी हैं। इसके लिए कॉल डिटेल्स भी खंगाली का रही है। कहा जा रहा है कि कानपुर के साकेत नगर में उसके ऑफिस में बड़े बड़े अधिकारियों और नेताओं का आना जाना था। इस बीच अखिलेश दुबे पर कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम के पास वक़्फ़ सम्पत्ति क़ब्ज़ा करने का भी आरोप लगा है, जिसका उसने अपने भाई के नाम से पट्टा करवाया था। अखिलेश दुबे की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर एक्शन भी हो सकता है।इस बीच भाजपा नेता रवि सतीजा ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस से सुरक्षा की माँग की है।