पश्चिम बंगाल SIR, अन्य मुद्दे : बंगाल सरकार और चुनाव आयोग के बीच टकराव में कूदे राज्यपाल
बढ़ते टकराव में चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को सोमवार (11 अगस्त) दोपहर 3 बजे तक की समयसीमा दी है, ताकि उन अधिकारियों को निलंबित किया जा सके जिन पर मतदाता सूची में काल्पनिक नाम जोड़ने और डेटा सुरक्षा से समझौता करने का आरोप है।;
चुनाव आयोग और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच प्रमुख प्रशासनिक फैसलों को लेकर संभावित टकराव की समयसीमा तय हो गई है, वहीं राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने हस्तक्षेप करते हुए सहमति बनाने का आह्वान किया है। विवाद का केंद्र राज्य का स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) को लेकर अड़ियल रवैया, चुनाव आयोग द्वारा चिह्नित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई से इनकार, और मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय में रिक्तियों के लिए राज्य द्वारा प्रस्तावित नामों को आयोग द्वारा अस्वीकार करना है।
11 अगस्त की डेडलाइन
चुनाव आयोग ने सोमवार 11 अगस्त दोपहर 3 बजे तक राज्य सरकार को आदेश दिया है कि आरोपित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और अनुपालन रिपोर्ट सौंपी जाए। शुक्रवार को मुख्य सचिव मनोज पंत को भेजे गए ईसी के पत्र में कहा गया, “अब तक आयोग को कोई अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। आवश्यक कार्रवाई तुरंत की जाए और 11 अगस्त दोपहर 3 बजे तक रिपोर्ट दी जाए।”
ERO और AERO का निलंबन
ईसी ने दो इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ERO) और दो असिस्टेंट EROs को निलंबित करने का आदेश दिया है। साथ ही, दोषी अधिकारियों और एक डाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को कहा है। सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार इस आदेश को मानने के मूड में नहीं है और इससे बचने के तरीके तलाश रही है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। जानकारों का कहना है कि चुनावी कार्यों में लगे ऐसे अधिकारी चुनाव आयोग के प्रतिनियुक्त माने जाते हैं और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13CC के तहत आयोग के नियंत्रण और अनुशासन में होते हैं।
मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस संभव
यदि अनुपालन नहीं हुआ तो ईसी मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस भेज सकता है या अदालत जा सकता है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए इन अधिकारियों को बचाना एक राजनीतिक मजबूरी माना जा रहा है। मुख्यमंत्री ने हाल में आरोप लगाया था कि सरकारी अधिकारियों को धमकाया जा रहा है और कहा, “हम निलंबन नहीं होने देंगे… डरो मत।”
टीएमसी का आरोप
टीएमसी प्रवक्ता देबांशु भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि ईसी की सिफारिश जमीनी स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों को डराने की चाल है। ईसी अपने SIR प्लान को आगे बढ़ा रहा है, जबकि राज्य सरकार इसका विरोध कर रही है।
सीईओ की रिपोर्ट पर आपत्ति
राज्य सरकार ने मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज अग्रवाल की कथित रिपोर्ट पर नाराजगी जताई, जिसमें उन्होंने ईसी को बताया कि राज्य SIR के लिए तैयार है। गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती ने इस पर स्पष्टीकरण मांगा कि राज्य सरकार से न तो परामर्श किया गया और न ही सूचित।
SIR लागू होने की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, जल्द ही SIR लागू करने की अधिसूचना जारी होगी और तैयारी शुरू हो चुकी है। टकराव को टालने के लिए राज्यपाल ने दोनों पक्षों से मतभेद दूर कर सहमति बनाने का आग्रह किया है।
सीईओ कार्यालय में रिक्तियां और नया विवाद
ईसी ने डिप्टी सीईओ, असिस्टेंट सीईओ और जॉइंट सीईओ के खाली पदों के लिए राज्य सरकार द्वारा भेजे गए नौ WBCS रैंक अधिकारियों के नाम यह कहते हुए खारिज कर दिए कि उनके पास चुनावी कार्य का अनुभव नहीं है। इन पदों को तुरंत भरना जरूरी है क्योंकि एक साल से भी कम समय में विधानसभा चुनाव होने हैं। अब देखना यह है कि यह टकराव कितनी दूर तक जाएगा।