रेखा गुप्ता की बात की जाए तो वो मुख्यमंत्री के पद के लिए एक ऐसा नाम था, जिसे लेकर किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. दिल्ली में भाजपा के पास और भी कुछ नाम थे जो मुख्यमंत्री के दावेदार थे, जैसे प्रवेश वर्मा, जिन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को हराया था. इसके अलावा कुछ और भी नाम थे लेकिन इन सबके बावजूद रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया गया. रेखा गुप्ता जो एक निगम पार्षद से विधायक बनी और पहली बार विधायक बनते ही मुख्यमंत्री बन गयीं. वो अपने छात्र जीवन में वो डूसू की अध्यक्ष रहीं हैं. रेखा गुप्ता को महिला होने, संघ के करीबी होने और वैश्य समाज से आने का लाभ मिला.
छह महीने में दिल्ली सरकार के काम और जनता से किये चुनावी वादे
दिल्ली में भाजपा की सरकार को 6 महीने से ज्यादा का समय हो गया है. इस अवधि में भाजपा की दिल्ली सरकार के कामों की बात करें तो एक लम्बी फेहरिस्त ऐसी है, जो चुनावी वादों की है और वो अभी तक दिल्ली की जनता के लिया वादा ही बना हुआ है. जैसे महिलों को दिए जाने वाली आर्थिक मदद, त्यौहार पर दिया जाने वाला मुफ्त गैस सिलिंडर आदि. चुनाव से पहले ये वादा किया गया था कि भाजपा के सत्ता में आते ही शुरुआती 100 दिनों में उक्त वादों को पूरा कर दिया जायेगा. लेकिन अब 180 दिनों से ज्यादा का समय बीत चुका है. वादे अभी भी सपना ही बने हुए हैं.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने का आदेश दिया. इसके विरोध में डॉग लवर्स ने न केवल दिल्ली बल्कि देश भर में विरोध शुरू किया. इस बीच दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की भी आलोचना हुई और डॉग लवर्स ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दिल्ली सरकार अगर सही पक्ष रखती तो ऐसा आदेश नहीं आता. दरअसल रेखा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ये कहा था कि लोग आवारा कुत्तों से तंग आ चुके हैं और दिल्ली सरकार इस आदेश का पालन करेगी. इससे पहले भी रेखा गुप्ता ने सड़कों पर घुमने वाली गायों को लेकर कहा था कि अगर गाय खुली घुमती है तो फिर वो सही नहीं है और उन्हें सड़कों से हटाना चाहिए.
आखिर ऐसा क्या हुआ जो 6 महीने के कार्यकाल में ही दिल्ली सरकार को अपने ही लिए गए फैसलों के चलते आलोचना झेलनी पड़ी
दरअसल बीते 6 महीनों में कुछ ऐसे काम हुए, जिसे लेकर दिल्ली सरकार की छवि ऐसी बनी कि वो जनता के हित के लिए सही तरह से काम नहीं कर पा रही है. जैसे कि दिल्ली में अलग अलग झुग्गी बस्तियों पर बुलडोज़र चलाना. विपक्ष ख़ासतौर से आम आदमी पार्टी ने ये माहौल बनाया कि चुनाव से पहले ही आप ने बता दिया था कि अगर भाजपा की सरकार सत्ता में आती है तो फिर दिल्ली से झुग्गी बस्तियों को हटाएगी. अब सबके सामने है. वहीँ भाजपा की तरफ से ये कहा गया कि झुग्गी बस्तियों पर कार्रवाई अदालत के आदेश पर हुई है. सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है. तो इस पर आप और कांग्रेस ने ये सवाल उठाया कि अगर सरकार चाहती तो ये कार्रवाई रोकी जा सकती थी लेकिन दिल्ली की भाजपा सरकार की मंशा नहीं थी.
इस दौरान एंड ऑफ़ लाइफ व्हीकल (EOV) को लेकर भी दिल्ली सरकार की काफी किरकिरी हुई. दिल्ली सरकार ने आनन फानन में प्रदूषण की समस्या के खिलाफ लडाई को गंभीरता पूर्वक लड़ते हुए दिखाने के लिए पेट्रोल पम्प पर 10/15 साल पुराने वाहनों को इंधन देने से मना कर दिया गया और कनूनी कार्रवाई अलग से. लेकिन विपक्ष के गंभीर आरोपों और जनता के गुस्से को देखते हुए दो दिन बाद ही भाजपा सरकार ने अपने इस आदेश को वापस लिया और कहा ''वो सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बात रखेंगे कि इंजन की अवस्था को देखते हुए वाहन के चलने न चलने का निर्णय होना चाहिए, उम्र का कोई लेना देना नहीं है.''
वरिष्ठ पत्रकार रत्नेश मिश्र का कहना है कि एक महिला मुख्यमंत्री पर हमला निंदनीय है. लेकिन ऐसे हमलों की बात की जाए तो इसके पीछे की वजह है समाज में मानसिक तनाव का बढ़ना, ख़ास तौर से चुनावी वादों का पूरा न होना. या सरकार द्वारा जो काम जनता के लिए किये जाने हैं, उनका पूर्ण न हो पाना. ये एक बड़ी वजह लगती है ऐसी घटनों की. लेकिन ऐसी घटनाओं की जगह राजनीती में कतई नहीं है. जहाँ तक रेखा गुप्ता की लोकप्रियता की बात करें ये ठीक है कि वो भी मुख्यमंत्री के तौर पर नया चेहरा हैं लेकिन अभी उनके राजनितिक करियर की लम्बी उम्र है. शीला दीक्षित भी जब पहली बार मुख्यमंत्री बनी थीं तो उन्हें भी बहुत ज्यादा लोग नहीं जानते थे लेकिन वो 15 साल तक दिल्ली की सत्ता में रहीं. दिल्ली में विपक्ष के कुछ लोगों ने यहाँ तक कहा कि ये हमला प्रायोजित हैं, तो मेरा अपना मानना है कि ये भाजपा की संस्कृति नहीं है. मध्य प्रदेश में मोहन यादव और राजस्थान में भजन लाल शर्मा भी नए चेहरे हैं, जो मुख्यमंत्री बनाये गए. वो भी इस प्रकार से लोकप्रिय नहीं थे लेकिन ऐसी कोई घटना उनके साथ नहीं हुई.
आप की तरफ से क्या रही प्रतिक्रिया
वहीँ अगर आम आदमी पार्टी की बात करें तो इस हमले के बाद आप के सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल ने X पर की गयी अपनी पोस्ट में इस हमले की निंदा करते हुए लिखा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतभेद और विरोध स्वीकार्य है, लेकिन हिंसा के लिए कोई जगह नहीं हो सकती। मुझे विश्वास है कि दिल्ली पुलिस उचित कार्रवाई करेगी। आशा है कि मुख्यमंत्री पूरी तरह सुरक्षित और स्वस्थ रहेंगी। पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने भी हमले की निंदा की और लिखा कि मुख्यमंत्री पर हमला बेहद निंदनीय है।
लेकिन आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश के संयोजक सौरभ भरद्वाज ने इस पूरी घटना का आंकलन दिल्ली की भाजपा सरकार के 6 महीने के काम से जोड़ कर निकाला और कहा कि दिल्ली की जनता 6 महीने में ही भाजपा की सरकार से परेशान हो गई है. पहले मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हमला और फिर उनके कार्यक्रम में नारे बाजी.वहीँ आप विधायक ने इस हमले को नाटक बताया. किराड़ी से आप विधायक अनिल झा ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुए हमले को नाटक बताते हुए कहा कि लोगों के मुद्दों से संबंधित प्रश्नों से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने स्वयं एक आदमी के सहारे हमले का नाटक तैयार किया है। उनके ऊपर कोई हमला नहीं हुआ है। मैं उन्हें लंबे समय से जानता हूं। यह एक कहानी है और उन्होंने एक आदमी से यह नाटक करवाया है। जब रेखा गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष थीं, तब वह उपाध्यक्ष थे। हम एक विरोध प्रदर्शन में थे। उन्होंने मुझसे माचिस जलाने और अपने कुछ बाल जलाने को कहा ताकि वह दिखा सकें कि उन पर हमला हुआ है। पूरी ड्रामा कंपनी झूठ बोल रही है।
कांग्रेस ने क्या कहा
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुए हमले को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए निंदा की। लेकिन इस हमले की घटना की आड़ में कांग्रेस ने दिल्ली पुलिस पर निशाना साधा और इस सुरक्षा में चूक बताते हुए दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया. ये भी सवाल उठाया कि जिस राज्य ( दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है ) की मुख्यमंत्री ही सुरक्षित नहीं है तो फिर देर रात तक काम करने वाली महिला सुरक्षित कैसे रह सकती है.
हालाँकि दिल्ली विधानसभा के उपसभापति मोहन सिंह बिष्ट का कहना है कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की जिस प्रकार की कार्यशैली है. उससे कम समय में आम लोगों में उनकी विकास करने वाली नेत्री की छवि सामने आई है. निश्चित तौर पर अन्य राजनीतिक दल इसे लेकर घबराए हुए हैं. मेरा मानना है कि इस घटना के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की छवि मजबूत हुई है. वो दृढ़ निश्चयी महिला के तौर पर सामने आई हैं, जो अपने काम को और मजबूती से करती रहेंगी.