कड़वे लगने लगे तिरुपति मंदिर के लड्डू, इन जानकारियों से होंगे अनजान

क्या आस्था के नाम पर खिलवाड़ किया जाना चाहिए। जवाब बिल्कुल नहीं। लेकिन तिरुपति मंदिर के लड्डू वाले प्रसाद को लेकर विवाद उठ खड़ हुआ है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-09-20 07:20 GMT

Tirupati Temple Laddus: तिरुपति मंदिर, भारत के समृद्ध मंदिरों में से एक। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु या तो मन्नत मांगने जाते हैं या मुराद पूरी होने पर दर्शन के लिए। भगवान को प्रसाद के जरिए अपना समर्पण और आस्था दिखाते हैं। ये बात अलग है कि प्रसाद में दिया जाने वाला लड्डू विवादों के केंद्र में आ गया है। विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने जगन मोहन रेड्डी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा उनके जमाने में लड्डूओं नें जानवरों की चर्बी इस्तेमाल में लाई जाती थी। इसकी पुष्टि गुजरात के एक लैब ने की है। जिस घी में प्रसाद वाले लड्डू बनाए जाते हैं उनके बारे में कुछ और जानकारी बताएंगे जिससे आप अनजान होंगे। 

भगवान वेंकटेश्वर के पवित्र मंदिर में चढ़ाया जाने वाला 'लड्डू प्रसादम' अपने अनोखे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है जिसे पूरे भारत और विदेशों में श्रद्धालु पसंद करते हैं।  लड्डू मंदिर की रसोई में सावधानीपूर्वक तैयार किए जाते हैं, उसे पोटू के नाम से जाना जाता है ।तैयारी की प्रक्रिया को 'दित्तम' कहा जाता है जो लड्डू बनाने के लिए सामग्री को निर्धारित करती है। इस रेसिपी को इसके इतिहास में केवल छह बार बदला गया है। 2016 की TTD रिपोर्ट के अनुसार लड्डू में दिव्य सुगंध होती है। शुरुआत में, प्रसादम की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए बेसन और गुड़ की चाशनी से बनी बूंदी बनाई गई थी। बाद में, स्वाद और पोषण मूल्य दोनों को बढ़ाने के लिए बादाम, काजू और किशमिश मिलाए गए।

लड्डू प्रसादम के बारे में खास जानकारी

  • जिस रसोई में लड्डू बनते हैं उसे पोटू कहते हैं
  • लड्डू बनाने की प्रक्रिया को दित्तम कहा जाता है।
  • लड्डू बनाने की रेसिपी में अब तक 6 बार बदलाव
  • पहले बेसन और गुड़ की चाशनी से बूंदी बनाई जाती थी
  • बाद में  बादाम काजू, किशमिश मिलाए गए

प्रतिदिन बनने वाले लड्डुओं की संख्या और कमाई

टीटीडी प्रतिदिन तिरुमाला में लगभग 3 लाख लड्डू तैयार करता है और वितरित करता है, तथा लड्डू की बिक्री से प्रतिवर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये की कमाई करता है। तिरुपति लड्डू का इतिहास करीब 300 साल पुराना है, 1715 में शुरू हुई थी। 2014 में  तिरुपति लड्डू को जीआई का दर्जा मिला जिससे किसी और को उस नाम से लड्डू बेचने से रोक दिया गया। अत्याधुनिक खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला लड्डू के प्रत्येक बैच की गुणवत्ता सुनिश्चित करती है जिसमें काजू, चीनी और इलायची की सटीक मात्रा होनी चाहिए और इसका वजन ठीक 175 ग्राम होना चाहिए।

कैसे पता चला

जुलाई में लेूबोरेटरी टेस्ट में एआर डेयरी फूड्स द्वारा आपूर्ति किए गए घी में एनिमल फैट के बारे में जानकारी मिली और उसकी वजह से टीटीडी ने ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को घी आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंप दी गई। इससे पहले टीटीडी काली सूची में डाले गए ठेकेदार से घी के लिए 320 रुपये प्रति किलोग्राम का भुगतान कर रहा था। लेकिन अब इसे कर्नाटक से 475 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदता है। टीडीपी सरकार ने प्रयोगशाला रिपोर्ट जारी की जिसमें वाईएसआरसी शासन के दौरान आपूर्ति किए गए घी में लार्ड (सुअर की चर्बी), टैलो (गोमांस की चर्बी) और मछली के तेल सहित विदेशी वसा की उपस्थिति दिखाई गई। लड्डू के स्वाद के बारे में शिकायतों के बाद 23 जुलाई को किए गए विश्लेषण में नारियल, अलसी, रेपसीड और कपास के बीज जैसे वनस्पति स्रोतों से वसा भी पाई गई। जून में टीडीपी सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जे. श्यामला राव को टीटीडी का नया कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया था।

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