यूपी में निवेश के लिए अब दूसरे राज्यों में मिलेगी सुविधा, 5 शहरों में बनेंगे इन्वेस्ट यूपी के सैटेलाइट ऑफिस

दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बंगलुरु और हैदराबाद में बैठकर उत्तर प्रदेश में इंडस्ट्री लगा सकते हैं। उद्यमी-वन ट्रिलियन इकॉनमी के लक्ष्य के लिए योगी सरकार ने निवेश आकर्षित करने का नया प्लान तैयार किया है।

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-10-24 11:19 GMT
देश के पाँच बड़े शहरों में खुलेंगे इन्वेस्ट यूपी के ऑफिस

अगर आप बेंगलुरु में आईटी सेक्टर में अपना कारोबार करते हैं और यूपी में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो अब यूपी जाकर इसका होमवर्क करने की ज़रूरत नहीं। उसी तरह मुंबई में वित्तीय सेवाओं को प्रदान करने वाली कंपनी का विस्तार यूपी में करना चाहते हैं तो इसके लिए मुंबई में ही सारी सुविधा और जानकारी मिलेगी। यूपी सरकार ने उत्तर प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए एक नया प्लान तैयार किया है। इसके तहत अब दूसरे राज्यों में रहकर भी यूपी में निवेश किया जा सकता है या कोई उद्यम स्थापित किया का सकता है। देश में पाँच बड़े औद्योगक शहरों को इसके लिए चुना गया है।

देश के बड़े औद्योगिक केंद्रों में होगा  ‘इन्वेस्ट यूपी’ का ऑफिस-

उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास विभाग के इन्वेस्ट यूपी का ऑफ़िस अब सिर्फ़ यूपी में नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी होगा। उत्तर प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए यह प्लान तैयार किया गया है। पहले चरण में बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई और नई दिल्ली में ‘इन्वेस्ट यूपी’ के सैटेलाइट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन ऑफिस खोले जाएंगे। इसमें निवेशकों को वो सारी जानकारी और सुविधाएं मिलेंगी जो उत्तर प्रदेश में निवेश करने के लिए ज़रूरी हैं।इस पहल का उद्देश्य देश के बड़े औद्योगिक केंद्रों से पूंजी निवेश को सीधे उत्तर प्रदेश तक लाना है। निवेशकों को यूपी की नीतियों के बारे में जानकारी देने और यहाँ इंडस्ट्री और निवेश की संभावनाओं से उनको जोड़ने के लिए ये कार्यालय काम करेंगे।

यूपी में इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए औद्योगिक विकास विभाग ने Invest UP के तहत इसका प्रस्ताव तैयार किया है। यूपी के मुख्यमंत्री ने इन्वेस्ट यूपी के पुनर्गठन को मंज़ूरी देते हुए यूपी के बाहर भी इनका ऑफिस खोलने को हरी झंडी दे दी। तैयार प्रस्ताव के अनुसार पाँच शहरों में खोले जाने वाले ऑफिस में एक जनरल मैनेजर, एक असिस्टेंट जनरल मैनेजर, दो उद्यमी मित्र, दो एग्जिक्यूटिव और दो ऑफिस असिस्टेंट की नियुक्ति को भी मंज़ूरी दी गई है। सभी पांचों कार्यालयों पर शुरू में कुल 12 करोड़ रुपये से ज़्यादा की वार्षिक धनराशि व्यय होगी। यूपी सरकार धीरे-धीरे इसका विस्तार करेगी।

इन शहरों में अलग-अलग सेक्टरों पर किया जाएगा फोकस-

यूपी सरकार की योजना के अनुसार हर शहर में खोले जाने वाला सैटेलाइट ऑफिस उस क्षेत्र में उद्यम की संभावना पर फोकस करेगा। इसके लिए अलग से रणनीति बनायी गई है। जैसे मुंबई ऑफिस ख़ास तौर पर वित्तीय सेवाओं, इंफ्रास्ट्रक्चर, फिनटेक और ईएसजी फंड पर ज़्यादा फोकस करेगा। जबकि बेंगलुरु ऑफिस जीसीसी, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर, ईवी और डीपटेक सेक्टर पर फोकस करेगा। आईटी इंडस्ट्री पर ख़ासतौर पर ज़ोर दिया जाएगा। यूपी के नोएडा जैसे क्षेत्र में इसकी संभावना के बारे में जानकारी दी जाएगी। वहीं चेन्नई ऑफिस दूसरे क्षेत्रों के साथ ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर निर्माण उद्योगों में निवेश आकर्षित करने के लिए अलग से रणनीति बनाकर काम करेगा। हैदराबाद ऑफिस फार्मा, डेटा सेंटर, हेल्थटेक और एंटरप्राइज़ेज़ पर केंद्रित रहेगा। नई दिल्ली ऑफिस से देश-विदेश में संपर्क की रणनीति पर फोकस किया जाएगा। यह ऑफिस यूपी के साथ एशिया-यूरोपीय संघ सुविधा कार्यालय के रूप में काम करेगा।

ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस के लिए राज्य सरकारों और उद्यमियों से संपर्क का लक्ष्य-

हालाँकि यूपी में इन्वेस्टमेंट को बढ़ाने के इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन से निवेशकों तक पहुँचने की पहल की गई है। इसमें निवेश प्रस्ताव लेकर निवेशक पहुंचते हैं। लेकिन योगी सरकार की इस सैटेलाइट दफ़्तर की रणनीति से निवेशक यूपी में नहीं आएँगे बल्कि यूपी सरकार निवेशकों के बीच पहुँचेंगी।’ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को देखते हुए यह प्लान अहम है। यूपी में निवेश बढ़ाने के लिए दूसरे राज्यों में सरकार और उद्यमियों से बातचीत औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों की टीम उन राज्यों में जाकर करती रही है। लेकिन अब वहीं पर दफ्तर होने से निवेश प्रस्तावों का फॉलो-अप हो पाएगा।विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ‘ हैंड होल्डिंग ‘ और निवेशकों का कॉन्फिडेंस बढ़ाने की दृष्टि से यह ऑफिस कारगर साबित होंगे ।

सैटेलाइट ऑफिस दूसरे राज्य के निवेशकों और यूपी सरकार में बीच सेतु के रूप में काम करेगा। उद्योग जगत के विशेषज्ञ और जीएसटी ग्रेवांस सेल के सदस्य मनीष खेमका कहते हैं ‘ यूपी सरकार ने उन राज्यों को ऑफिस बनाने के लिए चुना है जो इंडस्ट्री स्टेट हैं। यानि सबसे ज़्यादा निवेश इन राज्यों से आ सकता है। वहाँ के उद्यमियों को इससे सुविधा होगी और बेसिक जानकारी और तैयारी वो अपने राज्य में ही कर पाएंगे। प्लान बहुत अच्छा है पर इन दफ्तरों का परफॉरमेंस तय करेगा कि कितना निवेश आकर्षित होगा।’

निवेशकों को ज़मीन उपलब्ध कराने की चुनौती-

दरअसल यूपी ने ‘वन ट्रिलियन इकॉनमी’ के लक्ष्य पर काम करने के लिए 2018 में इन्वेस्टर्स समिट की शुरुआत की थी। यूपी को उद्योग और निवेश को दृष्टि से ‘ बीमारू राज्य ‘ की छवि से बाहर निकालकर निवेश के लिए उद्यमियों को माहौल देने के लिए कई योजनाएं तैयार की गईं। पर इसमें कई चुनौतियाँ भी हैं। निवेशकों और इंडस्ट्री के लिए सबसे अहम ज़रूरत ज़मीन उपलब्ध कराने की होती है। इन्वेस्ट यूपी में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए भूमि की उपलब्धता (लैंड बैंक) का डेटा इकट्ठा करेगा। सरकार के लिए इसकी व्यवस्था करना ज़रूरी है। हर इंडस्ट्री के लिए ज़मीन के नॉर्म्स हैं।इसके अनुसार यूपी सरकार को निवेशकों के लिए त्वरित रूप से इसकी व्यवस्था करनी होगी। पिछले कुछ समय से कई प्रोजेक्ट्स भूमि अधिग्रहण और किसानों के विरोध की वजह से चर्चा में रहे हैं। ऐसे में पहले से आए निवेश प्रस्तावों के लिए ज़मीन की व्यवस्था करना सरकार के लिए चुनौती है। दूसरी चुनौती उन प्रोजेक्ट्स को लेकर है जो पहले से पाइपलाइन में हैं। उनको पहले सुविधाएं देना भी विभाग की जिम्मेदारी है।फिलहाल हर जिले में 50-50 एकड़ भूमि बैंक बनाने के निर्देश जिलाधिकारियों को दिए गए हैं।

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