विजयन का आरोप: SIR के जरिये NRC लागू करने की कोशिश, लोकतंत्र खतरे में

केरल के सीएम पिनराई विजयन ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगाया, कहा SIR लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा प्रहार है।

Update: 2025-10-28 10:38 GMT

SIR 2 Kerala : केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंगलवार (28 अक्तूबर) को चुनाव आयोग (ECI) और भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न्स (NRC) को “पिछले दरवाज़े से लागू” करने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR ) की प्रक्रिया के जरिए मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फेरबदल की जा रही है, जो लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए गहरा खतरा है।

लोकतंत्र की नींव से छेड़छाड़

मुख्यमंत्री विजयन ने एक कड़े बयान में कहा कि SIR प्रक्रिया के ज़रिए NRC को पिछला दरवाज़े से लागू करने की आशंका लगातार बढ़ रही है। यह कोशिश केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में मतदाता सूची में हेराफेरी करने की दिशा में दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि यह कदम देश के लोकतांत्रिक ढांचे के साथ छेड़छाड़ के समान है और इससे लाखों लोगों का मताधिकार छीना जा सकता है।


कानूनी रूप से असंगत और राजनीतिक रूप से प्रेरित

विजयन ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की योजना 2002–2004 की मतदाता सूचियों को आधार बनाकर पुनरीक्षण करने की है, जबकि ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और ‘मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार संशोधन वर्तमान सूची के आधार पर ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये न केवल कानूनी रूप से असंगत, बल्कि स्पष्ट रूप से राजनीतिक रूप से प्रेरित कदम है।


बिहार का उदाहरण: 65 लाख नाम हटे

विजयन ने कहा कि SIR पहल बिहार में हुई मतदाता नामों की बड़े पैमाने पर विलोपन की पुनरावृत्ति जैसी है, जहाँ प्रक्रिया के पहले चरण में लगभग 65 लाख नाम हटाए गए थे। उन्होंने चेतावनी दी कि जो बिहार में हुआ और अब अन्य राज्यों तक फैलाया जा रहा है, वह संविधान के अनुच्छेद 326 का उल्लंघन है, जो प्रत्येक नागरिक को मत देने का अधिकार देता है।


चुनाव आयोग की मंशा संदिग्ध

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अत्यंत अनियमित है कि चुनाव आयोग मौजूदा मतदाता सूची को दरकिनार कर पुरानी सूची के आधार पर संशोधन करना चाहता है। उन्होंने बताया कि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने पहले ही आयोग को सूचित किया था कि स्थानीय निकाय चुनाव निकट होने के कारण इतने बड़े पैमाने पर संशोधन व्यावहारिक रूप से असंभव है।

फिर भी आयोग के ज़ोर देने पर विजयन ने कहा कि “यह हठपूर्वक रवैया आयोग की नीयत पर गहरा संदेह पैदा करता है।”


2024 के नारे का मज़ाक बना दिया

विजयन ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2024 के नारे “वोटिंग जैसा कुछ नहीं, मैं ज़रूर वोट दूंगा” का हवाला देते हुए कहा, “जो लोग वही संदेश फैला रहे थे, उन्होंने ही बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए। यह विरोधाभास असली मंशा को उजागर करता है।”


जल्दबाज़ी में चल रही है प्रक्रिया

मुख्यमंत्री ने कहा कि इतनी व्यापक प्रक्रिया को शुरू करने से पहले विस्तृत तैयारी, परामर्श और पारदर्शिता आवश्यक थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। उन्होंने ये भी का कि जब इसकी संवैधानिक वैधता सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के रूप में विचाराधीन है, तब इतनी जल्दबाज़ी से इसे लागू करना इस बात का प्रमाण है कि इसका उद्देश्य जनादेश को विकृत करना है।

उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग जैसे संस्थानों को “सत्तारूढ़ दल के कठपुतली” में नहीं बदला जा सकता।


केरल एकजुट होकर करेगा विरोध

विजयन ने बताया कि केरल विधानसभा ने हाल ही में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें चुनाव आयोग से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी विधानसभा, राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर, इस खतरनाक मिसाल पर चिंता व्यक्त कर चुकी है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए केरल एक स्वर में बोल रहा है।

मुख्यमंत्री ने देशभर के नागरिकों और लोकतांत्रिक संगठनों से भी अपील की कि जो भी लोकतंत्र को महत्व देता है, उसे इस प्रयास का एकजुट होकर विरोध करना चाहिए। यह किसी दल विशेष का मामला नहीं, बल्कि सार्वभौमिक मताधिकार की रक्षा का प्रश्न है।


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