पब्लिक प्लेस में भूलकर भी न करें फोन चार्ज, हैकिंग का हो सकते हैं शिकार

आजकल फोन में पर्सनल से लेकर बैंकिग और कई तरह की जानकारियां मौजूद होती हैं. इसलिए अधिकतर स्मार्टफोन हैकर्स के निशाने पर रहता है.

Update: 2024-05-01 07:40 GMT

Mobile Hack: स्मार्टफोन आजकल इंसान की ऐसी जरूरत बन चुका है, जिसके बिना रह पाना मुश्किल है. हालांकि, जिस तरह से स्मार्टफोन का चलन बढ़ रहा है. उसी तरह मोबाइल फोन हैकिंग का खतरा भी बढ़ रहा है. क्योंकि आजकल फोन में पर्सनल से लेकर बैंकिग और कई तरह की जानकारियां मौजूद होती हैं. इसलिए कंप्यूटर या लैपटॉप से ज्यादा स्मार्टफोन हैकर्स के निशाने पर रहता है. आजकल “जूस जैकिंग” अपराध का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है. क्योंकि यह भी हैकिंग का ही एक तरीका है. इसमें हैकर्स पब्लिक प्लेस में लगे चार्जर के जरिए स्मार्टफोन को टारगेट करते हैं और सारी जानकारियां चुरा लेते हैं.

अक्सर लोग जब घर से लंबे समय तक बाहर होते हैं, तब उनको फोन चार्जिंग करने की जरूरत होती है. ऐसे में वह पब्लिक चार्जिंग पोर्ट जैसे- मॉल, रेस्टोरेंट, होटल, ट्रेन, रेलवे स्टेशन, होटल्स, एयरपोर्ट आदि में अपने फोन को चार्ज करते हैं और इन्हीं चार्जिंग पोर्ट्स में हैकर्स की नजर होती है. कोई इंसान अगर ट्रेन में सफर करते समय अपना फोन चार्ज करने के लिए पोर्ट पर लगाता है तो हैकर्स समय मिलते ही फोन में एक मैलवेयर इंस्टॉल कर देते हैं. यह मैलवेयर फोन से सारी जानकारियां चुरा सकता है. इस तरह से लोग “जूस जैकिंग” का शिकार बनते हैं.

इस तरह क्राइम को देते हैं अंजाम

लोगों को फोन चार्जिंग करने के लिए चार्जर के साथ एक डेटा केबल भी मिलती है. यह केबल फोन से डेटा ट्रांसफर करने के भी काम आती है. इसके जरिए ही हैकर्स फोन में मैलवेयर इंस्टॉल कर पाते हैं. वैसे तो जब भी केबल को लैपटॉप में फोन चार्जिंग के लिए कनेक्ट करते हैं तो उसमें पूछा जाता है कि आप इस केबल का इस्तेमाल किस तरह करना चाहते हैं. लेकिन कई लोग इस पॉप-अप पर ध्यान ही नहीं देते हैं और जूस जैंकिंग का टारगेट बन जाते हैं.

यह है बचाव का कारगर तरीका

वैसे तो सावधान रहकर भी जूस जैकिंग से बचा जा सकता है. लेकिन इससे बचने के लिए बाजार में एक प्रोडक्ट आता है, जिसको “प्राइवेसी केबल” कहते हैं. यह केबल जहां फोन को चार्ज करने के काम आती है. वहीं, इसको लगाने के बाद कोई आपके फोन से डेटा ट्रांसफर नहीं कर पाएगा. इस चार्जिंग केबल पर एक बटन होता है, जिसको ऑन करने के बाद डेटा ब्लॉक हो जाता है. वहीं, इसमें लगी एलईडी से यह पता चल जाता है कि डेटा ट्रांसफर हो रहा है कि नहीं.

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