भारत बनेगा AI हब, टियर-2 और 3 शहरों में 570 लैब्स की तैयारी
भारत सरकार टियर-2 और 3 शहरों में 570 AI लैब्स स्थापित करेगी. डेढ़ लाख छात्रों को AI ट्रेनिंग और हजारों स्टार्टअप्स को नए अवसर मिलेंगे.;
भारत सरकार देश के 20 शहरों में AI लैब्स स्थापित करने की योजना बना रही है. अगले साल तक इन लैब्स की संख्या 200 तक और आने वाले दो वर्षों में यह आंकड़ा 500 से भी अधिक हो सकता है. इन लैब्स के जरिए युवाओं को AI (Artificial Intelligence) से जुड़े विषयों में प्रशिक्षित किया जाएगा. शुरुआती दौर में लगभग डेढ़ लाख छात्रों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा गया है.
AI Labs in India: भारत की हाइटेक दिशा में कदम
भारत तेजी से तकनीकी प्रगति की ओर बढ़ रहा है. आने वाले वर्षों में भारत के गांव और कस्बों को भी AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ा जाएगा. इस दिशा में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. सरकार ने 'India AI Mission' के तहत टियर 2 और टियर 3 शहरों में 20 से अधिक AI लैब्स बनाने की योजना बनाई है.
हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने लोकसभा में बताया कि अगले एक साल में AI लैब्स की संख्या 200 तक पहुंच जाएगी, जबकि दो वर्षों में यह संख्या 570 तक बढ़ जाएगी. माना जा रहा है कि आने वाले समय में भारत AI की दुनिया में अग्रणी भूमिका निभा सकता है.
AI लैब्स में क्या होगा?
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन लैब्स में छात्रों को 120 घंटे यानी 5 दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इस दौरान उन्हें डेटा एनोटेशन, डेटा एनालिटिक्स और डेटा साइंस जैसे विषयों पर ट्रेनिंग मिलेगी. सरकार हर लैब के लिए तीन साल में 68.98 लाख रुपये का फंड देगी.
इसके अलावा, 500 पीएचडी फेलो, 5000 पीजी और 8000 यूजी छात्रों को भी सहायता मिलेगी. कुछ राज्यों ने AI डेटा लैब्स के लिए ITI और पॉलिटेक्निक संस्थानों को नामित किया है. अब तक कर्नाटक ने 23, आंध्र प्रदेश ने 9, तेलंगाना ने 5 स्थानों को AI लैब्स के लिए नामित किया है. वहीं गोवा, पुडुचेरी, लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार ने एक-एक स्थान नामित किया है.
NIELIT के साथ साझेदारी
भारत सरकार इन AI लैब्स को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (NIELIT) के साथ मिलकर बनाएगी. विशेषज्ञों का मानना है कि AI इनोवेशन को केवल बड़े शहरों और IIT जैसे संस्थानों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि छोटे शहरों तक भी इसकी पहुंच होनी चाहिए. सरकार के इस कदम से निवेशकों और स्टार्टअप्स के लिए भी नए अवसर पैदा होंगे.
अराइज वेंचर्स की मैनेजिंग पार्टनर अंकिता वशिष्ठ का कहना है कि भारत में इंजीनियरिंग प्रतिभा की कमी नहीं है. टियर 2 और टियर 3 शहरों के लोगों को भी निवेश और AI इनोवेशन का अवसर मिलना चाहिए.
चुनौतियाँ और समाधान
EG इंडी के CEO आनंद फर्नांडिस ने AI लैब्स को स्थापित करने और चलाने में आने वाली चुनौतियों पर बात की. उन्होंने बताया कि छोटे शहरों में हाई-क्वालिटी डेटासेट तक पहुंच नहीं है. इसके अलावा, मिड-कैरियर प्रोफेशनल्स को अपस्किलिंग की जरूरत है. इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की भी कमी है.
कर्नाटक सरकार के Department of Electronics, Information Technology and Biotechnology की सचिव एकरूप कौर ने कहा कि छोटे शहरों में डीप टेक इंफ्रास्ट्रक्चर और AI रिसर्च के संसाधन सीमित हैं. स्टार्टअप्स को फंडिंग की भी कमी है. टैलेंट, रिसर्च और वास्तविक मार्केट अवसरों के बीच एक गैप है. इसे पाटने के लिए कर्नाटक सरकार ने ‘कौशल्या कर्नाटक’ और ‘NIPUNA’ जैसी पहल शुरू की है.