AI और बड़े भाषा मॉडल में तमिल को शामिल करना क्यों है एक बड़ी चुनौती?
तमिल भाषा को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में शामिल करना आसान नहीं है क्योंकि इसमें डिजिटल डेटा की मात्रा कम है, भाषा की जटिलताएँ हैं। हालांकि, इन चुनौतियों को दूर किया जा सकता है।;
तमिल भाषा को ChatGPT जैसे AI सिस्टम उतनी कुशलता से क्यों नहीं संभाल पाते जितना कि अंग्रेज़ी को? जबकि पिछले कुछ वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक में जबरदस्त तरक्की हुई है, खासकर बड़े भाषा मॉडल्स (LLMs) की मदद से, तमिल अब भी इस क्षेत्र में कई खास चुनौतियों का सामना कर रही है।
इन कारणों को समझने के लिए हमें तकनीकी और भाषाई दोनों पहलुओं को देखना होगा जो तमिल के लिए AI परिदृश्य को प्रभावित करते हैं।
डिजिटल भाषा डेटा की भूमिका
LLMs आज के AI सिस्टम – जैसे कि ChatGPT, Google Gemini, Meta AI, और Claude का मूल इंजन हैं। ये मॉडल बड़ी मात्रा में डिजिटल टेक्स्ट डेटा पर प्रशिक्षित किए जाते हैं, जिसमें किताबें, वेबसाइट, लेख, और ऑनलाइन संवाद शामिल होते हैं। एक भाषा के लिए उपलब्ध डेटा की मात्रा और विविधता यह तय करती है कि AI मॉडल उसमें कितना प्रभावशाली प्रदर्शन करेगा।
तमिल में डिजिटल कंटेंट की कमी
AI की दुनिया में भाषाओं को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है- अच्छी तरह समर्थित (जैसे अंग्रेज़ी, चीनी), मध्यम रूप से समर्थित (जैसे तमिल) और कम संसाधनों वाली भाषाएं (जैसे कई आदिवासी या लुप्तप्राय भाषाएं)।
तमिल की स्थिति किसी भाषाई कमजोरी को नहीं दर्शाती, बल्कि यह बताती है कि वैश्विक डिजिटल डेटा इकोसिस्टम में तमिल की मौजूदगी कम है। उदाहरण के लिए, वैज्ञानिक, तकनीकी और व्यावसायिक क्षेत्रों में तमिल टेक्स्टबुक्स की भारी कमी है। ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जैसे YouTube, ब्लॉग, और सोशल मीडिया पर तमिल सामग्री अक्सर अनौपचारिक होती है, और औपचारिक/शैक्षणिक तमिल कम पाई जाती है।
सुपरवाइज़्ड लर्निंग और हाइब्रिड मॉडल
अधिकांश LLMs मुख्यतः बहुभाषी या उच्च संसाधन वाली भाषाओं पर प्रशिक्षित होते हैं। तमिल में सुधार के लिए इन्हें तमिल-विशेष डेटा से फाइन-ट्यून करना आवश्यक है। यदि डेटा की कमी है, तो एक रणनीति यह हो सकती है कि उपलब्ध सामग्री को व्याकरणिक और संरचनात्मक टैग के साथ एनोटेट किया जाए।
यह प्रक्रिया सुपरवाइज़्ड लर्निंग कहलाती है और इससे AI को तमिल की गहराई को समझने में मदद मिलती है। जब इसे आंकड़ा-आधारित प्रशिक्षण से जोड़ा जाता है, तो हमें एक हाइब्रिड मॉडल प्राप्त होता है, जिसमें कंप्यूटेशनल शक्ति और भाषाई ज्ञान दोनों होते हैं।
तमिल की AI दुनिया में भूमिका
तमिल एक प्राचीन भाषा है जिसकी साहित्यिक परंपरा और व्याकरणिक जटिलता हजारों वर्षों से चली आ रही है। यह भारत सरकार द्वारा क्लासिकल लैंग्वेज के रूप में मान्यता प्राप्त है।
AI युग में, तमिल को फिर से अपना उचित स्थान प्राप्त करना होगा, इस बार डिजिटल और बुद्धिमान सिस्टम्स के भीतर।
दिग्लोसिया: एक संरचनात्मक चुनौती
तमिल में एक अद्वितीय संरचनात्मक चुनौती है जिसे दिग्लोसिया कहते हैं, यानी भाषा की दो किस्में साथ-साथ चलती हैं:
शुद्ध साहित्यिक तमिल (செந்தமிழ்) और बोलचाल की तमिल। ये दोनों केवल शब्दावली ही नहीं, बल्कि व्याकरण और वाक्य विन्यास में भी भिन्न होती हैं। यदि AI मॉडल इन दोनों शैलियों के मिश्रित डेटा पर बिना भेदभाव के प्रशिक्षित होता है, तो यह अप्रासंगिक या असंगत उत्तर दे सकता है, जैसे किसी आधुनिक सवाल का उत्तर काव्यात्मक शैली में देना।
क्लासिकल तमिल और रूपात्मक जटिलता
तमिल साहित्य में प्राचीन ग्रंथों की भरमार है, जिनकी शब्दावली और व्याकरण वर्तमान तमिल से काफी अलग है। जब तक AI मॉडल को इन पुराने रूपों पर विशेष रूप से प्रशिक्षित नहीं किया जाता, तब तक वह साहित्यिक या सांस्कृतिक अनुसंधान में अधिक उपयोगी नहीं बन सकता।
इसके अलावा, तमिल एक मॉर्फोलॉजिकल रूप से समृद्ध भाषा है। एक क्रिया मूल (जैसे sel – जाना) के हजारों रूप हो सकते हैं:
उदाहरण –
sendraan (वह गया),
selgiraan (वह जा रहा है),
selvaan (वह जाएगा),
sellamaattaan (वह नहीं जाएगा) आदि।
समाधान क्या हो सकते हैं?
तमिल में AI प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं, मौजूदा LLMs को तमिल के लिए फाइन-ट्यून किया जाए जिसमें बोलचाल और लिखित तमिल दोनों शामिल हों। ऐसे स्मार्ट टोकनाइज़र विकसित किए जाएं जो तमिल की जोड़ात्मक संरचना (agglutinative structure) को सही से समझ सकें।
स्कूलों, कॉलेजों, और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर तकनीकी, शैक्षणिक और शोध लेखन में तमिल के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। तमिल की किताबों, पांडुलिपियों, सरकारी दस्तावेजों और ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण किया जाए।
व्याकरण सुधार, वर्तनी जांच, रूपात्मक विश्लेषण, और अनुवाद जैसे मुख्य NLP कार्यों के लिए गुणवत्तापूर्ण एनोटेटेड डेटासेट बनाए और साझा किए जाएं।