2 नक्शों के जरिए इशारा कर गए नेतन्याहू, इन 3 देशों को क्यों कहते हैं अभिशाप
संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने दो नक्शों को दिखाया था। एक पर The curse और दूसरे पर The Blessing लिखा था।
Israel Hezbollah News: इजरायल इस समय दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहा है। एक तरफ फिलिस्तीन में हमास के खिलाफ तो दूसरी तरफ लेबनान में हिजबुल्ला के खिलाफ। हिजबुल्ला के खिलाफ ताजा कार्रवाई में उसका चीफ नसरल्लाह मारा जा चुका है। नसरल्लाह के खात्मे को इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने जरूरी बताया। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली में कहा कि वो यहां आना नहीं चाहते थे। लेकिन जिस तरह से इजरायल को गलत तरीके से दुनिया के सामने पेश किया जा रहा है वैसी सूरत में यहां आना जरूरी था। उन्होंने दो नक्शे भी पेश किए। एक नक्शे पर सीरिया, इराक और ईरान का नक्शा बना हुआ था जिसके ऊपर Curse यानी अभिशाप लिखा हुआ था तो दूसरी तरफ मिस्र, सूडान और सऊदी अरब की तस्वीर जिसे वरदान कहा।
इजरायल के लोगों ने इन दोनों पर खास प्रतिक्रिया भी दी है। मैं प्रधानमंत्री और देश के नेता को एक बेहतरीन भाषण के लिए बधाई देता हूं, जिसमें उन्होंने सरल सत्य प्रस्तुत किया: यह प्रकाश बनाम अंधकार, अच्छाई बनाम बुराई और आशीर्वाद बनाम अभिशाप है।हम संकोच नहीं करेंगे, हम सुस्त नहीं होंगे, हम हार नहीं मानेंगे।जब तक विजय नहीं मिल जाती और अपहृत लोगों की वापसी नहीं हो जाती।राष्ट्र के जीवन में सबसे चुनौतीपूर्ण अवधि में से एक में यहूदी लोगों के नेता; उठो, उठो, उठो।क्योंकि आपके पास एक मजबूत शक्ति है,आपके पास आत्मा के पंख हैं,शूरवीर चील के पंख हैं।नेत्ज़ा इजरायल झूठ नहीं बोलेगा।
इजरायल ने इरादे किए साफ
किसी को भी भ्रम न हो: हम हिजबुल्लाह पर तब तक हमला करना बंद नहीं करेंगे, जब तक कि हम अपने निवासियों को सुरक्षित उनके घरों में वापस नहीं भेज देते। इन सबके बीच प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से खास बात कही गई थी जिसमें यह बताया गया कि युद्ध विराम की खबर - सच नहीं है। यह एक अमेरिकी-फ्रांसीसी प्रस्ताव है, जिस पर प्रधानमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी।उत्तर में लड़ाई को कम करने के कथित निर्देश के बारे में खबर भी सच्चाई के विपरीत है। प्रधानमंत्री ने आईडीएफ को पूरी ताकत से और उनके सामने पेश की गई योजनाओं के अनुसार लड़ाई जारी रखने का निर्देश दिया।साथ ही, गाजा में लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक कि युद्ध के सभी लक्ष्य हासिल नहीं हो जाते।'
इराक, सीरिया और ईरान अभिशाप क्यों
अब यहां सवाल है कि बेंजामिन नेतन्याहू इराक, सीरिया और ईरान को अभिशाप क्यों बताते हैं। जैसे सामान्य सी धारणा होती है कि यदि आपका कोई नुकसान करे तो वो आपका दुश्मन है, और आपके दुश्मन को मदद करने वाले उससे भी बड़ा दुश्मन। यह तो सबको पता है कि फिलिस्तीन को लेकर इजरायल का नजरिया क्या है। हमास जैसे संगठन ने जब इजरायल के खिलाफ सीधी लड़ाई छेड़ी तो जाहिर सी बात थी कि इजरायली फोर्स की तरफ से प्रतिक्रिया आती। इजरायल का स्पष्ट मानना है कि हमास को इतनी ताकत कहीं और से नहीं बल्कि ईरान, इराक और सीरिया से मिल रही है। नेतन्याहू के इस दावे को हिजबुल्ला और यमन का हुती आतंकी संगठन पुष्ट भी करता है। हिजबुल्ला के लड़ाके, फिलिस्तीन के गाजा में हमास को लॉजिस्टिक सपोर्ट के साथ साथ दूसरी सुविधाएं मुहैया कराते रहे हैं। लिहाजा आज की तारीख में ईरान, इराक और सीरिया सबसे बड़े दुश्मन हैं।
सूडान, मिस्र और सऊदी अरब वरदान क्यों
अब सूडान, मिस्र और सऊदी अरब भी सीरिया, ईरान और इराक की तरह इस्लामी देश हैं लेकिन इजरायल को परेशानी है। इसका भी सामान्य तर्कशास्त्र के जरिए जवाब है। जब तक आपको कोई नुकसान ना पहुंचाए या अहित ना करे वो आपका दुश्मन नहीं हो सकता। अगर भौगोलिक तौर पर देखें को मिस्र सुडान अफ्रीका महाद्वीप के हिस्से हैं और इजरायल के लिए वो समभाव वाला नजरिया पेश करते रहे हैं। मिस्र कुछ मामले में अपवाद है। सिनाई को लेकर इजरायल से टक्कर हुई थी। लेकिन उसके बाद से किसी तरह का तनाव नहीं हुआ। जहां तक सऊदी अरब की बात है, पंथ के स्तर पर ये ईरान और इराक से अलग है। दूसरी बात कि इराक और ईरान के पास तेल का भंडार है जो सऊदी को टक्कर दे सकता है, लिहाजा सऊदी की कोशिश रहती है कि ये दोनों देश उस हद तक ताकतवर ना हो जिससे उसे खतरा पैदा हो सके। ऐसे में इजरायल इन तीनों देशों को खुद के लिए वरदान मानता है।