भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय वार्ता : क्या इस वजह से तो चीन ने नहीं किया समझौता

BRICS सम्मलेन में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक हुई, जो 50 मिनट तक चली. चीन और भारत के बीच हुए समझौते को लेकर यही कयास लगाए जा रहे हैं कि चीन अपनी परिस्थितयों की वजह से समझौते को लेकर आगे बढ़ा है. वो कब तक भरोसा बनाये रखता है ये देखना होगा.

Update: 2024-10-23 19:03 GMT

India China Bilateral Talks : रूस में चल रहे BRICS समिट के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई, जो लगभग 50 मिनट तक चली. दोनों देशों के प्रमुखों के बीच ये मौका 5 साल बाद आया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के राष्ट्रपति से स्पष्ट कहा कि ''सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों की नींव बनी रहनी चाहिए. मुझे पूरा विश्वास है कि हम खुले मन से बात करेंगे और हमारी चर्चा कंस्ट्रक्टिव होगी.''


चीन के राष्ट्रपति ने कहा 
दोनों देशो के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में सीमा विवाद को जल्द से जल्द निपटाने, आपसी सहयोग और आपसी विश्वास को बनाए रखने पर जोर दिया गया. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि ' दोनों देशों को अपने मतभेदों को उचित तरह से संभालना चाहिए . विकास को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों को कम्युनिकेशन और आपसी सहयोग को मजबूत करना चाहिए. संबंध स्थिर बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए, ताकि दोनों देश अपने विकास लक्ष्यों को पूरा कर सकें.'

मोदी ने कहा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम 5 साल बाद औपचारिक रूप से बैठक कर रहे हैं. सीमा पर उत्पन्न हुई समस्याओं ओर जो सहमती बनी है, उसका हम स्वागत करते हैं. सीमा पर शांति बनाये रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.

क्या गिरती अर्थव्यवस्था और अमेरिकी चुनाव को ध्यान में रखते हुए चीन ने किया भारत से समझौता
अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर चीन पर विश्वास किया जाए या नहीं? इसका संकेत खुद प्रधानमंत्री की बातों में भी देखने को मिला जिन्होंने चीनी राष्ट्रपति से स्पष्ट शब्दों में कहा कि आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों की नींव बनी रहनी चाहिए. इसके पीछे की मुख्य वजह है चीन का विश्वासघाती रवैया, जो वो कई वर्षों से अपनाता आया है. लेकिन जानकारों का मानना है कि चीन द्वारा समझौता करने के पीछे कुछ अहम परिस्थितियां हैं, जैसे :-
1 चीन की गिरती अर्थव्यवस्था.
2 व्यापर में भारत से मिल रही चुनौती, जिसकी वजह से अब कई देश चीन से अपना कारोबार समेट कर भारत की तरफ रुख कर रहे हैं, सबसे अहम उदहारण एप्पल का है.
3 चीन ने इस बात का भरसक प्रयास किया कि वो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपनी करेंसी युआन को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में खड़ा कर सके लेकिन ऐसा हो न सका, वजह चीन पर अन्य देशों का भरोसा न होना.
4 अमेरिका में चुनाव है, डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के खिलाफ देश में मुद्दा बनाया है, जिसका सीधा असर अमेरिका और चीन के बीक व्यापारिक सम्बन्ध को लेकर भी है. डोनाल्ड ट्रम्प ने ये भी एलान किया है कि अगर उनकी सरकार आती है तो चीन के साथ व्यापर करने के दौरान चीन पर ड्यूटी भी लगायी जायेगी.
5 भारत और चीन के बीच भी व्यापर कम हुआ है, इसका असर भी चीन की अर्थ व्यवस्था पर पड़ा है.

इन्हीं सब कारणों को चीन और भारत के बीच हुए समझौते की वजह समझा जा रहा है. देखना ये होगा कि चीन भरोसा बनाये रखता है या फिर अपनी फितरत दिखाता है.


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