भारत से पंगा लेना पड़ा महंगा, इंडिया विरोधी आरोपों ने ट्रूडो की डुबाई लुटिया!

Justin Trudeau: ट्रूडो ने भारत के खिलाफ जो आरोप लगाए हैं, उनका इस्तेमाल बढ़ती घरेलू चुनौतियों और अपनी पार्टी के भीतर असंतोष से ध्यान हटाने के लिए किया गया.;

Update: 2025-01-07 08:32 GMT

Justin Trudeau resignation: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) के इस्तीफे के पीछे एक कारण भारत के खिलाफ उनके विवादास्पद आरोप हैं. खासतौर पर कनाडा में एक सिख मंदिर के बाहर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में. आलोचकों का तर्क है कि भारत के खिलाफ ट्रूडो के चौंकाने वाले आरोपों ने शायद उनके पतन का मार्ग प्रशस्त किया.

बता दें कि अपने नेतृत्व को लेकर महीनों तक बढ़ते असंतोष के बाद ट्रूडो (Justin Trudeau) ने सोमवार (6 जनवरी) को अपने इस्तीफे की घोषणा की. 53 वर्षीय ट्रूडो (Justin Trudeau) ने पार्टी के भीतर असंतोष और उनके खिलाफ कम जनमत रेटिंग के बीच पद छोड़ने का फैसला किया है. हालांकि, उनके आलोचकों का मानना ​​है कि उन्होंने भारत के खिलाफ आरोपों का इस्तेमाल गिरती अर्थव्यवस्था, उनकी पार्टी के भीतर असंतोष और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों सहित बढ़ती घरेलू चुनौतियों से ध्यान हटाने के लिए किया था. यह कदम उनके लिए उल्टा पड़ सकता है. क्योंकि आज ट्रूडो (Justin Trudeau) अपनी लिबरल पार्टी के भीतर तेजी से अलग-थलग पड़ रहे हैं.

महंगी राजनीतिक चालें

कई हाई-प्रोफाइल लिबरल पार्टी के सांसदों ने सार्वजनिक रूप से ट्रूडो (Justin Trudeau) को पद छोड़ने के लिए कहा है. जबकि दिसंबर में उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे ने ट्रूडो की सरकार को झटका दिया. फ्रीलैंड ने अपने त्यागपत्र में ट्रूडो (Justin Trudeau) और उनकी "महंगी राजनीतिक चालों" की आलोचना की. सितंबर 2023 में ट्रूडो का राजनीतिक संकट और गहरा गया. जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारत पर हमला करते हुए दावा किया कि वे कनाडाई आत्मा पर आपराधिक गतिविधियों को प्रायोजित कर रहे हैं. उन्होंने भारत सरकार पर कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया. हालांकि, भारत ने इस आरोप को "बेतुका" बताते हुए खारिज कर दिया. ट्रूडो (Justin Trudeau) के इस दावे की कि भारत आपराधिक गतिविधियों को प्रायोजित करता है, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी आलोचना की गई.

भारत-कनाडा संबंधों को झटका

इन आरोपों के बाद भारत-कनाडा संबंधों को भारी झटका लगा. लेकिन ट्रूडो (Justin Trudeau) के दावों से कूटनीतिक नतीजे कनाडा में उनके नेतृत्व के लिए गंभीर थे, जहां भारतीयों की अच्छी खासी आबादी थी. निज्जर के दावे के बाद नई दिल्ली ने छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और ओटावा में अपने दूत को वापस बुला लिया. क्योंकि कनाडा ने निज्जर मामले में भारतीय अधिकारियों से "हितधारक" के रूप में पूछताछ करने का प्रयास किया था. इसके अलावा, कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों, जिसमें टोरंटो के पास एक हिंदू मंदिर पर हमला भी शामिल है, के बाद ट्रूडो सरकार की आलोचना हुई, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में और भी गिरावट आई.

भारत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा नामित आतंकवादी निज्जर की हत्या से किसी भी तरह के संबंध को खारिज कर दिया और ट्रूडो (Justin Trudeau) के प्रशासन पर राजनीतिक लाभ के लिए खालिस्तानी समर्थकों को खुश करने का आरोप लगाया. रिपोर्ट के अनुसार, यह व्यापक रूप से माना जाता है कि ट्रूडो ने खालिस्तानी समूहों को खुश करने के लिए उनके वोट हासिल करने की उम्मीद में भारत-कनाडा संबंधों का त्याग किया है. उनकी सरकार ने खालिस्तानी चरमपंथियों को संरक्षण दिया और कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दिखाई गई उदारता ने इन समूहों को न केवल भारतीय राजनयिकों बल्कि कनाडाई हिंदुओं को भी निशाना बनाने के लिए पर्याप्त साहसी बना दिया.

सुरक्षा विश्लेषक जो एडम जॉर्ज ने पिछले साल एक कनाडाई अखबार में कहा था कि खालिस्तानी चरमपंथियों को खुश करने का ट्रूडो का फैसला अज्ञानता में नहीं, बल्कि "जानबूझकर अंधेपन और पक्षपातपूर्ण लाभ" में निहित है. आखिरकार, नई दिल्ली ने दशकों से ओटावा को कनाडा में फ्रिंज मूवमेंट की अवैध गतिविधियों के बारे में बार-बार चेतावनी दी थी, जिसमें 1985 में एयर इंडिया बम विस्फोट में इसकी संलिप्तता भी शामिल थी, जो कनाडा का सबसे घातक आतंकवादी हमला था.

खालिस्तानी समर्थकों को खुश करना जी20 शिखर सम्मेलन जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बैठकों सहित कई आदान-प्रदानों के बावजूद, कनाडा भारत को हत्या से जोड़ने वाले कोई निर्णायक सबूत देने में विफल रहा. मोदी सरकार ने जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) पर अपने राजनीतिक लाभ के लिए कनाडा के भीतर खालिस्तानी समर्थकों को खुश करने का आरोप लगाया. हालांकि, यह रणनीति उल्टी पड़ती दिख रही है, कई कनाडाई इसे राष्ट्रीय मुद्दों से ध्यान भटकाने के रूप में देख रहे हैं.

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