वेनेजुएला से ट्रंप की सीधी भिड़ंत, लेकिन क्यों रूस और चीन हैं खामोश
अमेरिकी प्रतिबंधों से तबाह वेनेजुएला पर अब ट्रंप का आक्रामक रुख। चीन-रूस का समर्थन प्रतीकात्मक रह गया, मादुरो सियासी तौर पर अकेले पड़ते दिख रहे हैं।
Venezuela Crisis: वेनेजुएला के खिलाफ अब डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। इससे पहले बिना युद्ध अमेरिका ने वेनेजुएला को आधुनिक इतिहास की सबसे भीषण आर्थिक तबाही की ओर धकेल दिया है। 1990 के दशक के अंत में, वेनेजुएला की राजधानी काराकास रोज़ाना 36 लाख बैरल तेल का उत्पादन कर रही थी। देश की 95 प्रतिशत कमाई तेल के निर्यात से होती थी। लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों और वर्षों की कुप्रबंधन नीति के चलते आज तेल उत्पादन 10 लाख बैरल प्रतिदिन से भी नीचे आ चुका है। तेल से मिलने वाले कर राजस्व में भारी गिरावट आई—जो सरकार की आय का मुख्य स्रोत था। बजट घाटा भरने के लिए जब सेंट्रल बैंक ने नोट छापने शुरू किए और आयात महंगे होते चले गए, तो 2018 में महंगाई 10 लाख प्रतिशत से भी ऊपर पहुंच गई।
वेनज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो (Nicolas Maduro) के लिए यह सवाल आज सबसे अहम बन चुका है आख़िर उनके असली दोस्त हैं कौन? चीन और रूस जिन पर मादुरो की सरकार सालों से निर्भर रही अब पहले जैसे मज़बूत साथी नहीं दिखते। जो रिश्ता कभी राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य समर्थन की मज़बूत नींव पर टिका था, आज वह लगातार अनिश्चित होता जा रहा है। इस रिश्ते की नींव पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज़ के दौर में पड़ी थी शावेज़ जो मादुरो के राजनीतिक गुरु भी थे। कई वर्षों तक चीन और रूस ने वेनेज़ुएला की समाजवादी सरकार को खुला समर्थन दिया। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और रूस का समर्थन अब ज़्यादातर प्रतीकात्मक रह गया है।
ठोस सैन्य या आर्थिक मदद की जगह सिर्फ़ ज़ुबानी समर्थन
जानकार कहते हैं कि आज रूस (Russia) या चीन (China) किसी के पास भी वेनेज़ुएला की पूरी तरह रक्षा करने की कोई ठोस वजह नहीं है। उनके मुताबिक रूस यूक्रेन युद्ध में उलझा है, और चीन राष्ट्रपति ट्रंप के साथ वैश्विक स्तर पर टकराव कम करने की कोशिश कर रहा है। रूस ने कहा हम वेनेज़ुएला का समर्थन करते हैं। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। चीन ने भी सैन्य मदद का कोई संकेत नहीं दिया। बीजिंग ने सिर्फ़ बाहरी हस्तक्षेप पर आपत्ति जताई और संयम बरतने की अपील की।विशेषज्ञ मानते हैं मादुरो का खुला समर्थन करना चीन–अमेरिका के बीच हाल की कूटनीतिक प्रगति को ख़तरे में डाल सकता है।
आज निकोलस मादुरो पहले से कहीं ज़्यादा अकेले हैं। विशेषज्ञों का मानना है चीन और रूस दोनों जानते हैं कि मादुरो सरकार को देश के भीतर जनसमर्थन बेहद कम है। जुलाई 2024 के चुनावों में धांधली के गंभीर आरोप लगे। विपक्ष ने ऐसे रिकॉर्ड जारी किए जिनमें उनकी जीत का दावा किया गया। रूस और चीन भले ही अमेरिकी कार्रवाई की आलोचना करते रहें लेकिन ज़मीन पर समर्थन अब सिर्फ़ बयानों तक सीमित है। जानकार कहते हैं कि मादुरो का समय धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है।