मुक्त व्यापार समझौता, ब्रिटेन देगा भारत को बाज़ार की खुली पहुंच
प्रधानमंत्री मोदी की लंदन यात्रा के दौरान भारत-ब्रिटेन FTA पर हस्ताक्षर होंगे। इससे व्हिस्की, कारें सस्ती होंगी और भारतीय निर्यातकों को बड़ा लाभ मिलेगा।;
Free Trade Agreement: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंदन यात्रा के दौरान गुरुवार को भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होंगे। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके ज़रिए जहां भारत से निर्यात होने वाले श्रम-प्रधान उत्पादों जैसे चमड़ा, जूते और वस्त्र सस्ते होंगे, वहीं ब्रिटेन से आने वाली व्हिस्की और कारों के आयात शुल्क में भी भारी कमी आएगी।
सरकारी आकलनों के अनुसार, इस समझौते से भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते के मुख्य बिंदु
भारत में घटेगा ब्रिटिश वस्तुओं पर शुल्क
Reuters के मुताबिक, भारत ब्रिटेन से आयात होने वाले लगभग 90% उत्पादों पर शुल्क कम करेगा।व्हिस्की और जिन (Gin) पर लगने वाला शुल्क 150% से घटाकर पहले 75% और फिर अगले 10 वर्षों में 40% तक लाया जाएगा। ब्रिटिश कारों पर वर्तमान में 100% से अधिक शुल्क लगता है, जो कोटा के तहत घटकर 10% तक हो सकता है।कॉस्मेटिक्स, मेडिकल डिवाइसेज, सैल्मन मछली, चॉकलेट्स और बिस्किट्स जैसे उत्पादों पर भी कम टैक्स लगेगा।
भारत को मिलेगा ब्रिटेन में बड़ा बाजार
भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, ब्रिटेन भारत के 99% उत्पादों को शुल्क-मुक्त (duty-free) पहुंच देगा, जो लगभग संपूर्ण व्यापार मूल्य को कवर करता है।
भारत और ब्रिटेन दोनों को कैसे फायदा?
भारत को लाभ
भारत से वस्त्र, जूते, रत्न-आभूषण, फर्नीचर, ऑटो पार्ट्स, रसायन, मशीनरी और खेल सामग्री के निर्यात पर ब्रिटेन में 0% शुल्क लगेगा। अभी ये शुल्क 4% से 16% तक है।योग प्रशिक्षकों, शेफ्स, संगीतकारों, बिजनेस विज़िटर्स और कॉन्ट्रैक्चुअल सर्विस प्रोवाइडर्स को ब्रिटेन में अस्थायी प्रवेश और काम करने की गारंटी मिलेगी।
ब्रिटेन में अस्थायी रूप से कार्यरत भारतीय कामगारों और उनके नियोक्ताओं को अगले 3 वर्षों तक सामाजिक सुरक्षा योगदान (social security contribution) से छूट मिलेगी। इससे सालाना करीब ₹4,000 करोड़ (463 मिलियन डॉलर) की बचत होगी।
ब्रिटेन को लाभ
भारत 2 अरब रुपये से अधिक मूल्य वाली गैर-संवेदनशील सरकारी निविदाओं (non-sensitive procurement tenders) में ब्रिटिश कंपनियों को भाग लेने की अनुमति देगा।ब्रिटिश सरकार के अनुमान के अनुसार, यह बाजार लगभग 40,000 निविदाओं और 38 अरब पाउंड सालाना मूल्य का है। यह समझौता न केवल व्यापार शुल्क में कटौती लाकर दोनों देशों की कंपनियों के लिए नए अवसर पैदा करेगा, बल्कि यह मानव संसाधन, सेवाएं और निवेश के क्षेत्र में भी मजबूत सहयोग की नींव रखेगा।