‘अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के बारे में भारत की चिंताओं से अवगत कराया’: विदेश सचिव मिसरी ढाका में

दोनों पक्षों ने उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और क्षेत्रीय एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए परामर्श और सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।;

Update: 2024-12-09 15:40 GMT

India Bangladesh : भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदू समुदाय, के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की है। सोमवार (9 दिसंबर) को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ढाका में बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। बैठक में सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हुए हालिया हमलों पर भी चर्चा हुई।


भारतीय विदेश सचिव की उच्चस्तरीय यात्रा
विक्रम मिस्री बांग्लादेश का दौरा करने वाले पहले उच्चस्तरीय भारतीय अधिकारी हैं, जिन्होंने हाल ही में हुए राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के बीच यह यात्रा की। उनकी मुलाकात अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से भी हुई।
मिस्री ने बैठक के दौरान भारत-बांग्लादेश संबंधों को "सकारात्मक, रचनात्मक और पारस्परिक रूप से लाभकारी" बनाए रखने की भारत की मंशा पर जोर दिया। उन्होंने कहा: "हमने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित अपनी चिंताओं पर चर्चा की। भारत को बांग्लादेश से एक समग्र और रचनात्मक दृष्टिकोण की उम्मीद है।"

बढ़ते तनाव और हिंसा का मुद्दा
हाल के सप्ताहों में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। मंदिरों पर हमले और धार्मिक नेताओं की गिरफ्तारी ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है। विशेष रूप से, हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और हिंदू मंदिरों पर हमलों को लेकर भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। ढाका ने दावा किया कि हिंसा राजनीतिक असंतोष का परिणाम है और इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश की जा रही है।

भारत ने जताई साथ काम करनी की इच्छा
भारत ने बांग्लादेश में स्थिरता और समावेशिता को बनाए रखने के लिए अंतरिम सरकार के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की। विदेश मंत्रालय ने कहा: "हमने आपसी विश्वास और सम्मान के आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाने की अपनी मंशा दोहराई है।" मिस्री ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के संबंध जन-केंद्रित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच व्यापार, ऊर्जा और विकास परियोजनाओं में आपसी सहयोग से बांग्लादेश के लोगों को सीधे लाभ मिलेगा।

चुनौतियाँ और संभावनाएँ
बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक परिवर्तनों ने दोनों देशों के संबंधों को जटिल बना दिया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और उनके भारत जाने के बाद स्थिति और संवेदनशील हो गई। वर्तमान अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने आरोप लगाया है कि भारतीय मीडिया बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है। वहीं, भारत का रुख स्पष्ट है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

संवाद रहेगा जारी
भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को स्थिर और रचनात्मक बनाए रखने के लिए लगातार संवाद जारी रहेगा। विदेश सचिव स्तर की वार्ता ने कुछ हद तक विश्वास बहाली का काम किया है। हालांकि, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच दोनों देशों के लिए आगे की राह चुनौतियों से भरी है। बांग्लादेश में हालिया घटनाएं भारत के लिए न केवल रणनीतिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं।


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