वीजा अपॉइंटमेंट अचानक रद्द, H-1B visa धारक भारत में फंसे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 26 दिसंबर के बीच तय वीज़ा अपॉइंटमेंट्स के अचानक रद्द होने से सैकड़ों नहीं, बल्कि संभवतः हजारों भारतीय प्रभावित हुए हैं।
दिसंबर महीने में अपने H-1B वर्क वीज़ा के नवीनीकरण के लिए भारत लौटे सैकड़ों भारतीय पेशेवर अब देश में फंसे हुए हैं। अमेरिका के कांसुलर कार्यालयों ने बिना पूर्व सूचना के उनकी वीज़ा अपॉइंटमेंट्स रद्द कर दीं और नई तारीखें कई महीनों बाद की दी गईं। इस अचानक फैसले से भारी अव्यवस्था पैदा हो गई है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि टेक कंपनी गूगल को अपने कुछ कर्मचारियों को यह सलाह देनी पड़ी कि वे अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचें, क्योंकि लंबे समय तक फंसे रहने का जोखिम बढ़ गया है।
हजारों भारतीय प्रभावित होने की आशंका
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 26 दिसंबर के बीच तय वीज़ा अपॉइंटमेंट्स के अचानक रद्द होने से सैकड़ों नहीं, बल्कि संभवतः हजारों भारतीय प्रभावित हुए हैं। इस बीच गूगल द्वारा जारी आंतरिक मेमो ने हालात की गंभीरता को और उजागर कर दिया है। गूगल हर साल लगभग 1,000 H-1B वीज़ा कर्मचारियों को नियुक्त करता है।
नई वीज़ा जांच नीति बनी वजह
रिपोर्ट के मुताबिक, अपॉइंटमेंट्स को आगे बढ़ाने का संबंध अमेरिका की नई वीज़ा जांच नीति से है। इस नीति के तहत अब वीज़ा आवेदकों के सोशल मीडिया प्रोफाइल और ऑनलाइन गतिविधियों की जांच की जा रही है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह “ऑनलाइन प्रेज़ेंस रिव्यू” उन आवेदकों की पहचान के लिए शुरू किया गया है, जो अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
H-1B प्रोग्राम पर बढ़ता विवाद
यह विवाद H-1B वीज़ा प्रोग्राम को लेकर जारी कई विवादों की ताज़ा कड़ी है। यह प्रोग्राम लंबे समय तक अमेरिका की इमिग्रेशन नीति की रीढ़ माना जाता रहा है, जिसके ज़रिए उच्च कौशल वाले विदेशी पेशेवर अमेरिका में काम और निवास कर सकते थे। H-1B वीज़ा धारकों में 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय हैं। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगी इस कार्यक्रम का लगातार विरोध करते रहे हैं, जिसे व्यापक एंटी-इमिग्रेशन नीति बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। सितंबर में ट्रंप प्रशासन ने नए H-1B वीज़ा आवेदनों पर 1 लाख डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) की अतिरिक्त फीस भी लगा दी थी।
अब तक की सबसे बड़ी अव्यवस्था
रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल की ओर से नियुक्त बाहरी कानूनी फर्म BAL Immigration Law ने गुरुवार को कर्मचारियों को ईमेल भेजकर चेतावनी दी कि जिन लोगों को अमेरिका में दोबारा प्रवेश के लिए वीज़ा स्टैंप की जरूरत है, वे फिलहाल देश न छोड़ें, क्योंकि वीज़ा प्रोसेसिंग में अब ज्यादा समय लग रहा है।
गूगल की ट्रैवल एडवाइजरी
गूगल ने इस मामले पर तुरंत कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया। हालांकि, सितंबर में ही गूगल की पेरेंट कंपनी Alphabet ने अपने कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचने की सलाह दी थी और H-1B वीज़ा धारकों से अमेरिका में ही रहने को कहा था।