12 दिन के संघर्ष में सभी पक्षों ने किया जीत का दावा, सवाल- फिर हारा कौन?

12 दिन की इज़राइल-ईरान जंग के बाद सीजफायर घोषित हुआ। तीनों पक्ष अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। सवाल यही है अगर सभी जीते तो हार किसके हाथ लगी ?;

Update: 2025-06-24 16:29 GMT
इज़राइल और ईरान के बीच संघर्ष 12 दिन तक चला।

Iran Israel War: बहुत पुरानी कहावत है कि युद्ध शुरू करना आसान होता है, लेकिन रोकना सबसे कठिन। यह कहावत इज़राइल, ईरान और अमेरिका के बीच 12 दिन चले भीषण युद्ध पर पूरी तरह साबित होती है। भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धविराम (सीज़फायर) की घोषणा की हो, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। तीनों ही पक्ष अमेरिका, ईरान और इज़राइल इस युद्ध को अपनी अपनी जीत बता रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है। अगर सभी जीत गए तो आखिर हारा कौन?

परमाणु खतरे पर काबू, इज़राइल का दावा

इज़राइल ने दावा किया कि उसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निर्णायक रूप से तबाह कर दिया है। फोर्डो, नतांज और इस्फहान जैसे तीनों प्रमुख परमाणु ठिकानों पर बमबारी कर उसे निष्क्रिय कर दिया गया। इज़राइली पीएम नेतन्याहू को देश में हीरो की तरह सम्मान मिल रहा है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि रेडिएशन न फैलने का मतलब है कि परमाणु ठिकानों को आंशिक नुकसान ही हुआ।

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ईरान का पलटवार: झुके नहीं, डटे रहे

ईरान ने भी युद्ध के बाद अपनी जीत का दावा किया। तेहरान की सड़कों पर लोग जश्न मना रहे थे कि उन्होंने अमेरिका और इज़राइल दोनों को चुनौती दी। ईरान भले ही 20 से अधिक सैन्य कमांडर और 14 शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक खो चुका है, फिर भी वह कहता है कि “हमने घुटने नहीं टेके, अमेरिका-इज़राइल सत्ता परिवर्तन में नाकाम रहे।

डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति, नोबेल की ओर एक और कदम?

सीज़फायर के पीछे अमेरिका की कूटनीति रही। ट्रंप का दावा है कि उन्होंने एक और बड़ा युद्ध टाल दिया। वे इस पूरे प्रयास को शांति की दिशा में अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, जानकार मानते हैं कि यदि यह सुलह ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती, तो ट्रंप इतिहास में मध्य पूर्व को युद्ध में झोंकने वाले राष्ट्रपति के रूप में भी देखे जा सकते हैं।

अब भी क्यों मंडरा रहा है खतरा?

सीज़फायर की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद फिर से मिसाइलें दागी गईं।

इज़राइल ने तेहरान में रडार सिस्टम पर हमला किया।

ईरान का बाबोलसर एयर डिफेंस अलर्ट पर है, धमाके हुए हैं।

दोनों पक्षों के पास अब भी व्यापक सैन्य क्षमता और राजनीतिक तनाव बरकरार है।

वास्तविकता: कोई निर्णायक जीत नहीं

इस युद्ध में किसी की निर्णायक जीत नहीं हुई। ईरान की परमाणु क्षमता को पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सका। इज़राइल खामेनेई की सत्ता को गिरा नहीं पाया और अमेरिका मध्य पूर्व में स्थायी शांति स्थापित नहीं कर सका।

एक युद्ध, तीन जीत लेकिन अस्थिरता स्थाई

ईरान इज़राइल युद्ध साबित करता है कि मध्य पूर्व में सिर्फ रॉकेट या बम नहीं गिरते, वहाँ राजनीतिक एजेंडे, धार्मिक भावनाएं और वैश्विक कूटनीति टकराती हैं। अभी तो युद्ध थमा है, शांत नहीं हुआ। आने वाले दिनों में एक चिंगारी फिर इस पूरे क्षेत्र को जला सकती है।

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