कनाडा भारतीय छात्रों के लिए कितना सेफ? वापस बुलाए गए भारतीय राजदूत ने बताई चौंकाने वाली सच्चाई!
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के संबंध तल्ख हो चुके हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारतीय डिप्लोमेट्स के इसमें शामिल होने का आरोप लगाते रहे हैं.
Hardeep Singh Nijjar murder: खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के संबंध तल्ख हो चुके हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारतीय डिप्लोमेट्स के इसमें शामिल होने का आरोप लगाते रहे हैं. इसी कड़ी में कनाडा में भारत के हाई-कमिश्नर रहे संजय वर्मा को पिछले सप्ताह वहां की सरकार द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में ‘पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट’ घोषित कर दिया गया था. उनके साथ पांच अन्य इंडियन डिप्लोमेट को भी ‘पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट’ घोषित किया गया था. इसके बाद दोनों देशों के संबंध काफी बिगड़ गए और भारत ने संजय वर्मा समेत अन्य डिप्लोमेट को वापस भारत बुला लिया. ऐसे में संजय वर्मा ने भारतीय छात्रों को चेतावनी दी है कि वे अपने आस-पास के बारे में जागरूक रहें और कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों के कट्टरपंथीकरण के कोशिशों का विरोध दर्ज करें. बता दें कि भारतीय छात्र हायर एजुकेशन या बेहतर नौकरी के अवसरों के लिए कनाडा जाते हैं.
एक इंटरव्यू में संजय वर्मा ने कनाडा में सामाजिक स्थिति, विशेष रूप से युवा भारतीय छात्रों पर खालिस्तानी तत्वों के प्रभाव के बारे में चिंता जताई. उन्होंने कहा कि गैर-खालिस्तानी छात्रों को धमकाया जा रहा है और यहां तक कि गिरोह में शामिल होने के लिए दबाव भी डाला जा रहा है. वहां गए कई मासूम बच्चे अपराधी, गैंगस्टर, खालिस्तानी अपराधी बन गए हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन छात्रों पर स्थानीय खालिस्तानी समूहों का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
अभिभावकों को चेतावनी
संजय वर्मा ने कहा कि इस समय कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों से बड़े भारतीय समुदाय को खतरा है. इनमें भारतीय छात्र भी शामिल हैं (जिनकी संख्या 2023 तक लगभग 319,000 थी). वहां कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए, नौकरियां कम हैं. इसलिए छात्रों को पैसे और भोजन की पेशकश की जाती है और इस तरह खालिस्तानी आतंकवादी और चरमपंथी उन्हें नापाक योजनाओं के साथ प्रभावित करते हैं. संजय वर्मा ने उन कठोर वास्तविकताओं के बारे में भी गहरी चिंता व्यक्त की, जिनका सामना भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कनाडा जाने पर करना पड़ता है. वर्मा ने कहा कि घटिया जीवन स्तर, कम रोजगार और कनाडा में खालिस्तानी तत्वों का बढ़ता प्रभाव कनाडा में भारतीय छात्रों के लिए समस्याएं पैदा करता है.
बता दें कि कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीयों के लिए दो शीर्ष गंतव्य हैं. अगस्त की शुरुआत में संसद में भारतीय सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, आज की तारीख में 2024 में 13,35,878 भारतीय छात्र विदेश में उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं. चालू वर्ष में उनमें से 4,27,000 कनाडा में और 3,37,630 अमेरिका में पढ़ रहे हैं.
संजय वर्मा का कहना है कि छात्र तंग जगहों में रहने को मजबूर हैं. भारतीय छात्र ऐसे संस्थानों में दाखिला ले लेते हैं, जहां उन्हें कम से कम कक्षाएं दी जाती हैं, जिससे उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कम वेतन वाली नौकरियां करनी पड़ती हैं. वे पूरे सप्ताह एक दुकान पर दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं. कई छात्र अपनी योग्यता के बावजूद कैब ड्राइवर या अन्य अजीब भूमिकाएं करने के लिए मजबूर हैं, जो उनकी मूल आकांक्षाओं से अलग है.
संजय वर्मा ने कनाडा की न्याय व्यवस्था की आलोचना की. कनाडा के व्यवहार को "बेकार" बताते हुए संजय वर्मा ने कहा कि भारत को धोखा दिया गया है और एक ऐसे देश द्वारा सबसे गैर-पेशेवर तरीके से व्यवहार किया गया है, जिसे एक मित्रवत लोकतंत्र माना जाता है. विपक्षीय संबंधों के लिए यह सबसे गैर-पेशेवर दृष्टिकोण है. एक राजनयिक के हाथों में कूटनीतिक उपकरण उपलब्ध हैं. उन उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता था. बजाय इसके कि किसी देश के शीर्ष दूत और अन्य राजनयिकों से पूछताछ की जाए.
वर्मा ने कहा कि कट्टरपंथी खालिस्तानियों की संख्या केवल 10,000 है और लगभग 8 लाख की सिख आबादी में उनके समर्थकों की संख्या शायद 1 लाख है. वर्मा ने कहा कि समर्थन पाने के लिए वे वहां आम सिखों को धमकाते हैं, जिसमें 'हमें पता है कि आपकी बेटी कहां पढ़ रही है' जैसी धमकियां शामिल हैं।" खालिस्तानियों ने कनाडा में खालिस्तान को एक व्यवसाय बना दिया है. खालिस्तान के नाम पर वे मानव तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी, बंदूक चलाना और सब कुछ करते हैं.वे इसके माध्यम से और गुरुद्वारों के माध्यम से भी बहुत पैसा कमाते हैं और वे उस पैसे का कुछ हिस्सा सभी नापाक कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं.