London: वेंबली के गुजराती इलाके में पान थूकने से गंदगी, परिषद ने लगाया जुर्माना
किंग्सबरी के नागरिकों ने यह चेतावनी लगाई है, लेकिन समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि स्थानीय परिषद ब्रेंट काउंसिल ने लगभग 12,000 रुपये का फाइन लागू किया है।
उत्तर-पश्चिम लंदन के एक इलाके किंग्सबरी में बड़ी संख्या में गुजराती समुदाय के लोग रहते हैं। वहां सार्वजनिक स्थानों पर पान और पान मसाला चबाकर थूकने की आदत अब स्थानीय प्रशासन की चिंता का विषय बन गई है। ऐसे में एक छोटे से प्लेकार्ड पर बड़े गुजराती अक्षरों में लिखा है कि 'Thukwani manai che' (थूकना मना है)। इसके नीचे लिखा है कि सार्वजनिक रूप से थूकना हमारी समुदाय और स्थानीयता पर कलंक है। यह नोटिस सिर्फ भारतीयों के लिए नहीं है, बल्कि उन लोगों के लिए है, जो तंबाकू युक्त पान या पान मसाला चबाकर फुटपाथ और इमारतों पर लाल-भूरी लार फैलाते हैं।
अब जुर्माना भी
किंग्सबरी के नागरिकों ने यह चेतावनी लगाई है, लेकिन समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि स्थानीय परिषद ब्रेंट काउंसिल ने इस प्रथा पर GBP 100 (लगभग 12,000 रुपये) का स्पॉट फाइन लागू किया है। परिषद के अनुसार, उन्हें सालाना GBP 30,000 (लगभग 36 लाख रुपये) खर्च करने पड़ते हैं फुटपाथ और इमारतों की सफाई पर। अब परिषद ने तीन “हॉटस्पॉट” चिन्हित किए हैं और बैनर लगाए हैं: “Don’t mess with Brent, because we will catch you and fine you”, जिसमें गुजराती में “थूकवानी मना है” लिखा गया है।
ब्रेंट काउंसिल का कहना है कि कुछ पान के दाग इतने जिद्दी हैं कि सफाई जेट्स भी उन्हें पूरी तरह नहीं हटा पाते और केवल पेंटिंग के जरिए ही उन्हें ढकना पड़ता है, जो अतिरिक्त खर्च है। परिषद ने यह भी वादा किया है कि सड़क पर और अधिक प्रवर्तन अधिकारी तैनात किए जाएंगे।
वेंबली, जहां iconic Wembley फुटबॉल स्टेडियम स्थित है, अब गुजराती गेट्टो में बदल चुका है। यह क्षेत्र ब्रेंट बोरो का सबसे अधिक प्रभावित इलाका है। ईलिंग रोड, वेंबली में गुजराती दुकानें जैसे साड़ी, किराना, फूड स्टॉल और हाल ही में बना एक बड़ा मंदिर भी पान की दुकानों की वजह से समस्या का केंद्र बन गया है। यहां फुटपाथ पर “No paan spitting” के संकेत तक स्प्रे पेंट किए गए हैं।
यूगांडा से आए गुजराती
पहले यहां भारत से आए कुछ गुजराती रहते थे, लेकिन जब यूगांडा से आए गुजराती शरणार्थियों ने वेंबली में बसना शुरू किया, तब क्षेत्र की आबादी में तेज़ वृद्धि हुई। मिलेनियम तक, दूसरी पीढ़ी के प्रवासी बड़े होकर पेशेवर बन गए और क्षेत्र छोड़कर अधिक समृद्ध इलाकों में चले गए, जिससे वेंबली में नई प्रवासी लहर बस गई। पुराने परिवारिक घर अब लो-रेंट साझा आवास में बदल गए हैं, जिसमें 3-4 लोग एक कमरे में रहते हैं।
छोटे शहर की तरह बदल गया वेंबली
पिछले दशक में नए प्रवासियों की संख्या बढ़ने के साथ सिविक स्वास्थ्य और सफाई पर नकारात्मक असर पड़ा। ईलिंग रोड अब "छोटे शहर गुजरात" जैसी दिखने लगी है। फुटपाथ पर दुकानें फैली हैं। चाट और फर्सान स्टॉल से कचरा फैलता है। युवा मोबाइल पर जोर से बात करते हैं। डिलीवरी बॉय नियमों की अनदेखी करते हैं और सबसे बड़ी समस्या सार्वजनिक थूकना। बांग्लादेशियों में भी पान खाने की आदत है, लेकिन उनकी सिविक समझ बेहतर है। ब्रिक लेन और ईस्ट एंड में बांग्लादेशियों की आबादी होने के बावजूद पान के दाग नहीं दिखाई देते।
समुदाय पर कलंक
विडंबना यह है कि 2011 में गुजरात सरकार, तब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, ने गुटखा और तंबाकू युक्त पान मसाला पर बैन लगाया था। लेकिन हाल के प्रवासी, जिनका मूल गुजरात है, लंदन में वही आदत जारी रख रहे हैं। ब्रेंट काउंसिल की घोषणा के बाद राइट-विंग एक्टिविस्ट टोमी रॉबिन्सन ने X पर लिखा कि थर्ड वर्ल्ड आयात करें, थर्ड वर्ल्ड बन जाएं… हमें उन्हें प्रजनन के लिए भुगतान करना पड़ता है और उनकी थूक की सफाई पर भी। इस टिप्पणी पर विवाद हुआ; कुछ लोग उसे रैसिस्ट कह रहे थे, जबकि कुछ ब्रिटिश-भारतीयों ने उसे सही ठहराया।