भारत-चीन संबंधों की नई शुरुआत, पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के मायने

India-China cooperation: इस एक घंटे की बैठक में कोई बड़ी घोषणा भले ही नहीं हुई. लेकिन भारत-चीन संबंधों में आए हालिया सुधार को मजबूती मिली है. मोदी और शी के बीच यह स्पष्ट समझ बनी कि साझा हित दोनों देशों के मतभेदों से कहीं अधिक हैं.;

Update: 2025-09-01 01:22 GMT

India-China relations: एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात ने दोनों देशों के संबंधों में नई ऊर्जा भर दी है. इस मुलाकात में रणनीतिक स्वायत्तता, व्यापार संतुलन और सीमा विवाद जैसे अहम मुद्दों पर सकारात्मक बातचीत हुई. भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव और वैश्विक स्तर पर अमेरिका की दबावपूर्ण व्यापार नीति के बीच प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने आपसी क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों पर एक नजरिया बढ़ाने का संकल्प लिया. दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि विकास के भागीदार हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में विशेष रूप से "रणनीतिक स्वायत्तता" का उल्लेख किया और कहा कि भारत और चीन दोनों इसे मानते हैं. इसलिए उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में भी इस बात का जिक्र किया गया — जो बीजिंग और मॉस्को दोनों के लिए आश्वस्त करने वाला संकेत है और अमेरिका को भी एक परोक्ष संदेश.

विवाद नहीं बनने देंगे मतभेद

दोनों नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि सीमा से जुड़े मुद्दों को राजनीतिक दृष्टिकोण से हल किया जाना चाहिए, जिससे दो देशों के लोगों के दीर्घकालिक हितों की रक्षा हो सके. दोनों ने यह भी दोहराया कि मतभेदों को विवाद में नहीं बदलने देना चाहिए और सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की.

व्यापार संतुलन और विकास पर जोर

मोदी और शी ने यह भी माना कि भारत-चीन की अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में मदद कर सकती हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने को द्विपक्षीय संबंधों के आगे बढ़ने के लिए आवश्यक बताया. शी जिनपिंग ने भारत के साथ व्यापार घाटा कम करने का भरोसा दिलाया. भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ाने तथा व्यापार घाटा कम करने के लिए राजनीतिक और रणनीतिक दिशा से आगे बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया.

सांस्कृतिक आदान-प्रदान

मोदी ने शी जिनपिंग को अगले साल भारत में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया, जिसे शी ने स्वीकार करते हुए भारत की आगामी अध्यक्षता का समर्थन देने की बात कही. दोनों नेताओं ने सीधी उड़ानों की बहाली और कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने जैसे कदमों का स्वागत किया और संपर्क बढ़ाने पर सहमति जताई.

सीमा प्रबंधन पर प्रगति

भारत-चीन विशेष प्रतिनिधियों (SRs) के बीच अगस्त में हुई बातचीत में सीमा निर्धारण के लिए एक विशेषज्ञ समूह बनाने पर सहमति बनी थी. इसके साथ ही सीमा प्रबंधन को प्रभावी बनाने और शांति बनाए रखने के लिए एक और कार्य समूह की स्थापना की जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस बैठक को "उपजाऊ" करार दिया और कहा कि “हमने सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के महत्व पर सहमति जताई और आपसी सम्मान, हित और संवेदनशीलता के आधार पर सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता दोहराई.”

Tags:    

Similar News