शहबाज शरीफ को नवाज शरीफ की सलाह, भारत से युद्ध न होना ही बेहतर

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की तरफ से गीदड़भभकी जारी है। इन सबके बीच पाकिस्तानी मीडिया में कहा जा रहा है कि नवाज शरीफ ने शहबाज शरीफ से संयम की अपील की है।;

Update: 2025-04-28 05:22 GMT
शहबाज शरीफ, पाकिस्तान के पीएम हैं और नवाज शरीफ उनके बड़े भाई है। नवाज शरीफ भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब से भारत ने पाकिस्तान के आतंकियों के ठिकानों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं, तब से पाकिस्तान के हुक्मरानों में खलबली मची हुई है। बौखलाए पाकिस्तानी नेता अब भारत को गीदड़भभकियां दे रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा हड़बड़ी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ में दिखाई दे रही है, जिनकी बातों से साफ झलक रहा है कि वे दबाव में हैं।

भारत से कूटनीतिक तरीके से निपटें

पाकिस्तानी मीडिया ट्रिब्यून डॉट पीके की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शहबाज शरीफ को भारत के साथ तनाव न बढ़ाने और राजनयिक स्तर पर समस्याओं का समाधान निकालने की सलाह दी है। नवाज का कहना है कि भारत के साथ युद्ध किसी भी स्थिति में पाकिस्तान के लिए लाभकारी नहीं होगा और बातचीत का रास्ता ही सही विकल्प है।

सिंधु जल संधि निलंबन पर बुलाई बैठक

भारत द्वारा सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित करने के बाद पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की आपात बैठक बुलाई थी। इसी बैठक के फैसलों की जानकारी देने के लिए शहबाज शरीफ ने अपने बड़े भाई नवाज शरीफ को लाहौर स्थित उनके आवास 'जाती उमरा' बुलाया। इस बैठक में पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज भी मौजूद थीं।

शहबाज शरीफ ने इस दौरान नवाज को आश्वस्त करते हुए कहा कि पाकिस्तान भारत के किसी भी हमले का जोरदार जवाब देने के लिए तैयार है।

शहबाज की गीदड़भभकी पर नवाज की फटकार

हालांकि शहबाज की युद्धोन्मादी बातें सुनकर नवाज शरीफ ने उन्हें संयम बरतने और आक्रामक रुख से बचने की सलाह दी। PML-N के सूत्रों के अनुसार, नवाज ने स्पष्ट कहा कि सभी कूटनीतिक साधनों का इस्तेमाल कर भारत से टकराव को रोका जाना चाहिए। उनका मानना है कि पाकिस्तान के हित में शांति और बातचीत की नीति ही सही रास्ता है।

भारत के ऐक्शन से सकते में पाकिस्तान

भारत की कड़ी कार्रवाई से पाकिस्तान का नेतृत्व सकते में है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तो भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आयोग बनाने का प्रस्ताव तक रख दिया, जिसमें अमेरिका, ईरान, चीन, रूस और ब्रिटेन के प्रतिनिधियों को शामिल करने की बात कही गई।

हालांकि इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान पहले भी मुंबई हमले और पुलवामा जैसे मामलों में अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग कर चुका है, लेकिन बाद में अपने ही वादों से मुकर गया है। ऐसे में पाकिस्तान के इस प्रस्ताव पर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भरोसा करना मुश्किल है।

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