मोदी–जिनपिंग मुलाक़ात: 10 महीने बाद रिश्ते सुधारने की पहल, सीमा पर शांति और सहयोग पर ज़ोर
व्यापार नीतियों को लेकर भारत-अमेरिका संबंधों में आई गिरावट के बीच नेताओं ने संबंधों को सुधारने के लिए 10 महीने में पहली बैठक की; पीएम मोदी ने सीमा पर शांति और स्थिरता का जिक्र किया;
By : The Federal
Update: 2025-08-31 06:36 GMT
India China Bilateral Talk: भारत और चीन के बीच संबंधों को नए सिरे से आगे बढ़ाने की कोशिश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रविवार को व्यापक वार्ता हुई। यह मुलाक़ात दोनों नेताओं के बीच लगभग 10 महीने बाद हुई है।
मोदी ने कहा कि भारत, चीन के साथ अपने संबंधों को आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर आधारित कर आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीमा पर शांति और सहयोग का संकल्प
टीवी पर प्रसारित अपने शुरुआती संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच सहयोग 2.8 अरब लोगों के कल्याण से जुड़ा हुआ है। उन्होंने पिछले साल हुए डिसएंगेजमेंट प्रोसेस के बाद सीमा पर बनी शांति और स्थिरता का उल्लेख किया। मोदी ने बताया कि भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि सीमा प्रबंधन पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों (Special Representatives) के बीच सहमति बनी है, जो सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों पर बातचीत का एक ढांचा है।
SCO अध्यक्षता पर बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने चीन की सफल शंघाई सहयोग संगठन (SCO) अध्यक्षता के लिए राष्ट्रपति शी को बधाई दी। यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब भारत–अमेरिका संबंध व्यापार और टैरिफ नीतियों को लेकर अचानक तनावपूर्ण हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों नेता दिन में आगे भी बातचीत कर सकते हैं। उनकी पिछली मुलाक़ात अक्टूबर 2024 में कज़ान (रूस) में BRICS सम्मेलन के दौरान हुई थी।
मोदी सोमवार को भारत लौटने से पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मिलने वाले हैं।
SCO शिखर सम्मेलन और भोज
रविवार शाम से SCO शिखर सम्मेलन की शुरुआत राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा आयोजित औपचारिक भोज से हुई। इस बार चीन SCO का घूर्णन अध्यक्ष है और 20 देशों के नेता “SCO प्लस” शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं। सदस्य देशों में रूस, भारत, ईरान, कज़ाख़स्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, बेलारूस और चीन शामिल हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज्जू पहले ही तियानजिन पहुंच चुके हैं।
नेपाल का आपत्ति दर्ज कराना
इस बीच, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शनिवार को शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान लिपुलेख मार्ग को लेकर आपत्ति जताई। भारत और चीन के बीच हुए इस समझौते को नेपाल ने चुनौती दी है और दावा किया है कि लिपुलेख उसकी भूमि है। भारत ने नेपाल के इस दावे को “न तो उचित और न ही ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित” कहकर खारिज कर दिया है।
ओली ने कहा कि नेपाल को उम्मीद है कि चीन इस मामले में सहयोग करेगा। हालांकि, चीनी विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान में इस विवाद का कोई उल्लेख नहीं किया गया।
चीन की सबसे बड़ी सैन्य परेड की तैयारी
सोमवार को होने वाला यह SCO शिखर सम्मेलन इस संगठन का अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन होगा। चीन के उप विदेश मंत्री लियू बिन ने कहा कि यह बैठक इस साल चीन के लिए सबसे अहम कूटनीतिक आयोजन होगी। राष्ट्रपति शी सम्मेलन में अपने मुख्य भाषण के दौरान “शंघाई स्पिरिट” को आगे बढ़ाने, समय की चुनौतियों का सामना करने और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने की अपनी दृष्टि और प्रस्ताव रखेंगे। दो दिवसीय सम्मेलन के बाद अधिकतर विदेशी नेता बीजिंग में 3 सितंबर को होने वाली चीन की सबसे बड़ी सैन्य परेड में भी शामिल होंगे। यह परेड जापान के ख़िलाफ़ प्रतिरोध युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध (एंटी-फासीस्ट युद्ध) में जीत की 80वीं वर्षगांठ को चिह्नित करेगी।