मात मिलते ही पाक के बदले सुर, सिंधु पर बातचीत के लिए तैयार- रिपोर्ट

पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव ने कथित तौर पर भारत के जल शक्ति मंत्रालय के सचिव से कहा है कि वे उन विशिष्ट शर्तों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं जिन पर भारत आपत्ति जता रहा है;

Update: 2025-05-15 09:52 GMT
ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान ने अपना रुख इसलिए बदला क्योंकि भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद तत्काल प्रभाव से संधि को स्थगित कर दिया। प्रतीकात्मक तस्वीर

पाकिस्तान ने भारत द्वारा इंडस जल संधि (Indus Waters Treaty - IWT) को “तत्काल प्रभाव से निलंबित” किए जाने के बाद अपना रुख नरम करते हुए, अब पहली बार भारत की आपत्तियों पर बातचीत की पेशकश की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तज़ा ने भारत की जल शक्ति सचिव देबाश्री मुखर्जी को पत्र लिखकर इस पर चर्चा की इच्छा जताई है।

पाकिस्तान ने जताई चिंता

पत्र में मुर्तज़ा ने पाकिस्तान सरकार की ओर से उन बिंदुओं पर चर्चा की इच्छा जताई है जिन पर भारत को आपत्ति है। हालांकि, साथ ही उन्होंने भारत के निर्णय को “एकतरफा और अवैध” बताते हुए इसे “पाकिस्तानी जनता और उसकी अर्थव्यवस्था पर हमला” करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि संधि में कोई निष्कर्ष या समाप्ति का प्रावधान नहीं है, जिससे भारत का निर्णय आधारहीन है।

पाकिस्तान का बदला रवैया

पाकिस्तान का यह रुख खास मायने रखता है क्योंकि इससे पहले जनवरी 2023 और सितंबर 2024 में भारत द्वारा IWT की समीक्षा और संशोधन की दो औपचारिक नोटिस भेजे जाने के बावजूद पाकिस्तान ने कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया था। अब, 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद 7 मई को शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को हुई सैन्य क्षति के बाद पाकिस्तान ने बातचीत की इच्छा दिखाई है।

भारत की कार्रवाई और पाकिस्तान की चिंता

भारत ने हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर स्थित दो जलविद्युत परियोजनाओं में जलाशयों की सफाई (फ्लशिंग) और सिल्ट हटाने का कार्य शुरू किया, जिससे पाकिस्तान की ओर जल प्रवाह में अनियमितता आ गई। इस वजह से पाकिस्तानी किसान बुआई के मौसम में जल संकट से जूझ रहे हैं।

भारत का स्पष्ट रुख

पहलगाम हमले के दो दिन बाद जल शक्ति सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान को पत्र में लिखा था संधियों का पालन सद्भावना के साथ करना अनिवार्य है। लेकिन पाकिस्तान लगातार जम्मू-कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है, जिससे भारत के संधि के अंतर्गत अधिकारों का पूर्ण उपयोग प्रभावित हुआ है। पाकिस्तान ने भारत की वार्ता की मांग पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे यह स्वयं संधि का उल्लंघन है। भारत सरकार ने इसलिए इंडस जल संधि 1960 को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का निर्णय लिया है।”

भारत की शर्तें: कोई तीसरा पक्ष नहीं

सूत्रों के अनुसार, यदि भारत बातचीत के लिए तैयार होता है, तो वह यह सुनिश्चित करेगा कि यह पूरी तरह द्विपक्षीय प्रक्रिया हो, जिसमें कोई तीसरा पक्ष जैसे विश्व बैंक  शामिल न हो। वर्तमान विवाद निवारण तंत्र को लेकर भारत, पाकिस्तान और विश्व बैंक के दृष्टिकोण अलग-अलग हैं।भारत चाहता है कि संधि में “ग्रेडेड रिजॉल्यूशन सिस्टम” का स्पष्ट उल्लेख हो यानी पहले द्विपक्षीय स्तर पर, फिर विशेषज्ञ स्तर पर समाधान की कोशिश हो। भारत कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन और तटस्थ विशेषज्ञ की वर्तमान प्रणाली को समाप्त करना चाहता है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का कड़ा रुख

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान से किसी भी तरह की बातचीत केवल तभी संभव होगी जब वह सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करे और पाक-अधिकृत कश्मीर को भारत को सौंपने की दिशा में ठोस कदम उठाए।

इस पृष्ठभूमि में इस सप्ताह गृह मंत्री अमित शाह, जल संसाधन मंत्री पी. तातिल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर, और संबंधित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी एक महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहे हैं। यह बैठक IWT को निलंबित करने के भारत सरकार के निर्णय के बाद तीसरी उच्चस्तरीय बैठक होगी।

कूटनीतिक दबाव में पाकिस्तान झुका

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने केवल सैन्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि कूटनीतिक और जल संसाधन जैसे क्षेत्रों में भी पाकिस्तान पर दबाव बनाया है। इंडस जल संधि को निलंबित करने का भारत का निर्णय अब असर दिखा रहा है, और पाकिस्तान पहली बार गंभीर चर्चा के लिए तैयार दिखाई दे रहा है।

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत की शर्तों के अनुरूप पाकिस्तान कितना आगे बढ़ता है और क्या यह बातचीत केवल जल संधि तक सीमित रहेगी या एक व्यापक रणनीतिक समझ का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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