शेख हसीना को मौत की सज़ा सुनाए जाने के बाद बांग्लादेश में बड़ा बवाल, बंगबंधु का घर गिराने की कोशिश

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना को मौत की सज़ा के फैसले को ‘ऐतिहासिक’ बताया, जबकि हसीना ने इसे ‘पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित’ करार दिया।

Update: 2025-11-17 13:36 GMT
बांग्लादेश में उग्र प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों ने लाठीचार्ज, आंसू गैस का इस्तेमाल किया

बांग्लादेश की बर्खास्त प्रधानमंत्री शेख हसीना को ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ मामले में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भड़क उठे। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के घर के बचे हुए हिस्सों को गिराने की कोशिश की, जिसके दौरान उनकी सुरक्षा बलों से झड़प हो गई।

भीड़ को हटाने के लिए बलों ने लाठियों, साउंड ग्रेनेड और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। स्थानीय मीडिया ने पुलिस के हवाले से बताया है कि मीरपुर रोड पर कम से कम छह साउंड ग्रेनेड फटे। पुलिस के हवाले से बताया गया है कि प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए कई साउंड ग्रेनेड का इस्तेमाल किया गया। झड़पों में प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी दोनों घायल हुए, क्योंकि भीड़ ने पत्थर फेंके और पुलिस ने जवाब में लाठीचार्ज किया।

पहली बार पीछे हटाए जाने के बाद भी कुछ प्रदर्शनकारी फिर से पंथपथ स्थित स्क्वायर अस्पताल के पास इकट्ठा हो गए, जहां पुलिस ने और आंसू गैस के गोले दागे। इससे मीरपुर रोड और आसपास के इलाकों में ट्रैफिक पूरी तरह ठप हो गया और ज्यादातर दुकानें बंद हो गईं।

दिन में पहले, पुलिस ने मीरपुर रोड के दोनों तरफ स्थिति पर नियंत्रण कर लिया था, लेकिन दोपहर करीब 2:45 बजे, प्रदर्शनकारियों के आगे बढ़ने पर पुलिस पीछे हट गई। लगभग 3:05 बजे, सेना, पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) लाठियों और साउंड ग्रेनेडों के साथ आगे बढ़े और क्षेत्र पर दोबारा नियंत्रण कर लिया।

डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने पहले से ही दो पोकलैंड मशीनें (एक्स्कावेटर) ला रखी थीं, जिससे साफ है कि वे घर को तोड़ने की योजना बनाकर आए थे।

फरवरी में हुए प्रदर्शनों में इमारत के कुछ हिस्से पहले ही क्षतिग्रस्त किए जा चुके थे। पुलिस ने मुख्य गेट पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी है।

11:30 बजे से भीड़ जुटनी शुरू

गवाहों के अनुसार, सुबह करीब 11:30 बजे से लोग इकट्ठा होना शुरू हो गए थे और धानमोंडी 32 की ओर मार्च करते हुए बर्खास्त प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ नारे लगा रहे थे—“दिल्ली ना ढाका? ढाका, ढाका!”,  “बत्तीस ना छत्तीस? छत्तीस, छत्तीस!, “दलाली ना मुक्ति? मुक्ति, मुक्ति!” और “खूनी हसीना के फांसी चाहिए!”

डेली स्टार के अनुसार दिन में इससे पहले, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना को दी गई मौत की सजा को “ऐतिहासिक फैसला” बताया था। साथ ही जनता से अपील की कि वे शांत रहें, संयम दिखाएँ और जिम्मेदारी से काम करें। अदालत ने कहा कि हसीना इस हिंसा के दौरान हत्या करने के आदेश देने और उन्हें रोकने में असफल रहने—दोनों की जिम्मेदार थीं।

हालाँकि, पूर्व प्रधानमंत्री हसीना ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मेरे खिलाफ दिए गए फैसले एक धांधलीपूर्ण ट्रिब्यूनल द्वारा सुनाए गए हैं, जिसे एक गैर-निर्वाचित सरकार ने स्थापित और संचालित किया है, जिसका कोई जनादेश नहीं है।”

उन्होंने इस फैसले को “पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित” भी बताया।

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