ट्रंप-शी के बीच टेलीफोन पर बातचीत, तनाव के बीच संबंध सुधार की कवायद
Trump-Xi conversation: विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यापारिक तनाव को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है. हालांकि, दोनों देशों के बीच गहराता अविश्वास और समझौतों का उल्लंघन इस राह को कठिन बना रहा है.;
Trump-Xi telephone conversation: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच गुरुवार को टेलीफोन पर अहम बातचीत हुई. यह वार्ता ऐसे समय पर हुई है जब दोनों देशों के बीच व्यापार, टेक्नोलॉजी और छात्र वीजा जैसे कई मुद्दों को लेकर तनाव गहराया हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह फोन कॉल ट्रंप की ओर से किया गया था. यह बातचीत ट्रंप के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली औपचारिक चर्चा है.
व्यापार युद्ध फिर गर्माया
हाल के हफ्तों में अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे पर जिनेवा में हुए व्यापार समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया है कि उसने उस व्यापार समझौते को तोड़ा है, जो कुछ ही हफ्ते पहले किया गया था. ट्रंप ने Truth Social पर लिखा कि उनकी कड़े टैरिफ नीति ने चीन की अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया, जिससे फैक्ट्रियां बंद हो गईं और नागरिक असंतोष फैला. उन्होंने कहा कि चीन को स्थिर करने के लिए उन्होंने “तेज़ी से डील” की. लेकिन उन्हें धोखा दिया गया.
चीन की प्रतिक्रिया
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में चीनी छात्रों के वीजा रद्द कर दिए, चीनी टेक कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए और Huawei जैसी कंपनियों के लिए वैश्विक स्तर पर चिप सप्लाई रोकने की चेतावनी दी. इसके जवाब में चीन ने अमेरिका पर जिनेवा समझौते का "गंभीर उल्लंघन" करने का आरोप लगाया है.
जिनेवा समझौते पर सवाल
मई 2025 में जिनेवा में हुई बातचीत के बाद अमेरिका और चीन ने एक 90-दिन की टैरिफ स्थगन योजना पर सहमति जताई थी, जिससे व्यापार युद्ध में थोड़ी राहत मिली थी. लेकिन उसके बाद से दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ फिर से कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.
चीन के विदेश मंत्रालय ने भी इस फोन कॉल की पुष्टि की और बताया कि वार्ता ट्रंप की पहल पर हुई. इससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका अब फिर से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है.
आगे क्या?
इस बातचीत को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यापारिक तनाव को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है. हालांकि, दोनों देशों के बीच गहराता अविश्वास और बार-बार समझौतों का उल्लंघन इस राह को और कठिन बना रहा है. इस समय वैश्विक बाजारों की निगाहें इस वार्ता के परिणामों पर टिकी हैं. व्यापार, तकनीक और शिक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में इस तनाव का असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है.