पुतिन‑ट्रंप वार्ता: क्या हुआ और क्या नहीं? 10 प्वाइंट्स में समझिए

इतनी प्रतीक्षा और नाटकीयता के बावजूद पुतिन-ट्रंप शिखर वार्ता बिना किसी ठोस परिणाम के समाप्त हो गई। युद्ध विराम की उम्मीदें अधूरी हैं और आने वाले हफ्तों में कूटनीति की दिशा तय करेगी कि क्या कोई “दूसरी बैठक” होगी या यूक्रेन युद्ध यूं ही चलता रहेगा।;

Update: 2025-08-16 03:54 GMT

अमेरिका के अलास्का स्थित सैन्य अड्डे जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बहुप्रतीक्षित शिखर वार्ता संपन्न हुई। यह ऐतिहासिक बैठक उस जमीन पर हुई जो शीत युद्ध के दौर की याद दिलाती है और जहां पुतिन ने करीब दस वर्षों में पहली बार अमेरिकी धरती पर कदम रखा। शांति और वैश्विक व्यापार के लिए इस बैठक से बड़ी उम्मीदें थीं। ट्रंप ने पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया — एक मुस्कान, दृढ़ हाथ मिलाना और राष्ट्रपति लिमोज़ीन में सवारी के साथ। रेड कार्पेट बिछा था और पृष्ठभूमि में शीत युद्ध के जमाने के लड़ाकू विमान B-2 और F-22 आसमान में उड़ान भर रहे थे। हालांकि, ड्रामा खूब हुआ लेकिन बैठक का नतीजा शून्य रहा।

बैठक के मुख्य बिंदु

1. संघर्षविराम की कोई सहमति नहीं बनी

ट्रंप की प्राथमिकता युद्धविराम कराना थी, लेकिन वे खुद बोले कि "हम वहां तक नहीं पहुंच पाए"। पुतिन ने किसी "समझ" की बात की, पर कोई ठोस विवरण नहीं दिया।

2. यूक्रेन की अनुपस्थिति पर भारी नाराज़गी

यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की इस बैठक में शामिल नहीं थे। कीव और यूरोपीय देशों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। हालांकि सप्ताह की शुरुआत में एक वर्चुअल बैठक हुई थी, लेकिन कई नेताओं ने इसे अनुचित बताया कि शांति वार्ता बिना यूक्रेन के हो रही है।

3. तीन घंटे चली सीमित बैठक

दोनों नेता करीब तीन घंटे तक एक सीमित टीम के साथ मिले। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव भी मौजूद थे। पहले से तय लंच मीटिंग को टाल दिया गया, जिससे संकेत मिला कि बातचीत अपेक्षा से पहले समाप्त हो गई।

4. ट्रंप बोले – 'यह सिर्फ माहौल बनाने की बैठक थी'

ट्रंप ने इस वार्ता को एक “प्रारंभिक बैठक” बताया, जिसका उद्देश्य भविष्य की संभावित त्रिपक्षीय वार्ता (जिसमें जेलेंस्की भी शामिल हो सकते हैं) के लिए आधार बनाना था।

5. प्रतिबंधों की धमकी के बावजूद स्थिति साफ नहीं

ट्रंप पहले चेतावनी दे चुके थे कि अगर प्रगति नहीं हुई तो रूस पर "गंभीर आर्थिक प्रतिबंध" लगाए जाएंगे। लेकिन कोई समझौता नहीं हुआ, जिससे अगला कदम अस्पष्ट है।

6. 'टेरिटरी स्वैप' पर चर्चा से बढ़ी चिंता

सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक रहा क्षेत्रीय अदला-बदली (Territory Swaps) का विचार। यह यूक्रेन और उसके सहयोगियों को परेशान कर रहा है। ट्रंप ने दोहराया कि वह यूक्रेन की ओर से कोई फैसला नहीं कर रहे और ज़मीन पर अंतिम निर्णय यूक्रेन का ही होगा।

7. पुतिन के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत

पश्चिमी देशों द्वारा अलग-थलग किए गए पुतिन के लिए यह वार्ता एक बड़ी राजनयिक जीत मानी जा रही है। रेड कार्पेट स्वागत और संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस ने उनके अंतरराष्ट्रीय कद को नया बल दिया है।

8. सवालों से परहेज

दोनों नेताओं ने सिर्फ तैयार बयान पढ़े और कोई सवाल नहीं लिया। संवाददाता सम्मेलन बेहद छोटा रहा और इससे आम जनता को खास जानकारी नहीं मिल सकी।

9. अब गेंद ट्रंप के पाले में

बिना किसी ठोस समाधान के बैठक खत्म हुई और अब ट्रंप पर दबाव है कि वे जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं से संपर्क करें। लेकिन कोई स्पष्ट योजना सामने नहीं आई है, जिससे यूक्रेन युद्ध फिलहाल जारी रहने की संभावना है।

10. भारत के लिए असमंजस की स्थिति

भारत भी इस परिस्थिति में उलझा हुआ है। बैठक के नतीजे निराशाजनक रहे। अमेरिकी अधिकारियों की हालिया टिप्पणियों ने चिंता बढ़ाई है कि भारत से आयातित वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क बढ़ सकता है।

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