UAE में भारतीय महिला शहजादी खान को दी गई फांसी

मूल रूप से रहने वाली शहज़ादी खान के परिजनों ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, याचिका की सुनवाई के दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से अदालत को इस फांसी की जानकारी दी गयी.;

Update: 2025-03-03 13:52 GMT

Indian Woman Executed In UAE : संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय महिला शहजादी खान को 15 फरवरी 2025 को फांसी दे दी गई। यह जानकारी भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट को दी।

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की रहने वाली 33 वर्षीय शहजादी खान को अबू धाबी में चार महीने के बच्चे की हत्या के आरोप में मृत्युदंड सुनाया गया था।


विदेश मंत्रालय की पुष्टि

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि भारतीय दूतावास को 28 फरवरी को UAE सरकार से शहजादी खान की फांसी की आधिकारिक सूचना प्राप्त हुई।

उन्होंने आगे कहा कि "भारतीय प्रशासन हरसंभव सहायता दे रहा है और खान का अंतिम संस्कार 5 मार्च 2025 को किया जाएगा।"


शहजादी खान मामला: क्या है पूरा घटनाक्रम?

शहजादी खान अबू धाबी की अल वथबा जेल में बंद थीं। उन्हें एक चार महीने के शिशु की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी।

दिसंबर 2021: शहजादी खान कानूनी वीजा लेकर अबू धाबी गईं।

अगस्त 2022: उनके नियोक्ता ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसकी देखभाल के लिए उन्हें नियुक्त किया गया।

7 दिसंबर 2022: यह शिशु नियमित टीकाकरण के बाद चल बसा।


परिवार का दावा: जबरन कबूलनामा लिया गया

शहजादी के पिता शब्बीर खान की याचिका के अनुसार, दिसंबर 2023 में एक वीडियो सामने आया, जिसमें कथित तौर पर शहजादी ने बच्चे की हत्या की बात कबूल की।

हालांकि, परिवार का दावा है कि यह कबूलनामा प्रताड़ना और मारपीट के जरिए लिया गया। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि बच्चे के माता-पिता ने शव परीक्षण (पोस्टमार्टम) की अनुमति नहीं दी और आगे की जांच रोकने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए।


अदालतों और दया याचिका का हाल

सितंबर 2023: शहजादी की अपील खारिज कर दी गई।

28 फरवरी 2024: मौत की सजा बरकरार रखी गई।

मई 2024: पिता शब्बीर खान ने एक नई दया याचिका दायर की।

14 फरवरी 2025: शहजादी ने अपने पिता को फोन कर बताया कि उनकी फांसी तय हो चुकी है।

20 फरवरी 2025: पिता ने विदेश मंत्रालय से उनकी कानूनी स्थिति जानने की अपील की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।


अदालत का फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मामले को "दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद" करार दिया और याचिका को निस्तारित कर दिया।

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