क्या भारतीयों के लिए बढ़ जाएगी मुश्किल, यहां पर झलका ट्रंप का इरादा

इमिग्रेशन के मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप का रुख पहले से कड़ा रहा है। अब टॉम होमन को बार्डर जार के साथ साथ स्टीफन मिलर को नियुक्त कर इरादा साफ कर दिया है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-12 02:29 GMT

US Immigration Policy:  दुनिया भर के लोग अमेरिका को अपना ठिकाना बनाना चाहते हैं। आखिर अमेरिका लोगों की पसंद क्यों है। दरअसल यहां कामकाज का बेहतर अवसर बड़ी वजह है लिहाजा लोग बड़ी संख्या में गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में दाखिल होते हैं। इस तरह की समस्या से निपटने के लिए खासतौर से मैक्सिको से लगी सीमा पर डोनाल्ड ट्रंप(Donald Trump) ने सख्ती की थी। विदेशी नागरिक अमेरिकी सीमा में दाखिल ना हो सकें इसके लिए टॉम होमन और स्टीफन मिलर को फिर से जिम्मेदारी दी है। इमिग्रेशन और कस्टम एनफोर्समेंट के मुखिया रहे टॉम होमन को बॉर्डर जार (Tom Homan Border Czar) के पद पर नियुक्त किया है। इसके साथ ही वो निर्वासन (Deportation from America) का कामकाज भी देखेंगे। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप अपने सभी प्रचारों के दौरान इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा चुके हैं। उन्होंने कहा भी था कि सत्ता में आने पर अमेरिका का सबसे बड़ा निर्वासन अभियान को वो चलाएंगे। 

टॉम होमन (Tom Homan)के बारे में कहा जाता है कि वो अपने पहले कार्यकाल में इमिग्रेशन की नीति को सख्ती से उतारने में कामयाब रहे। जो बाइडेन (Joe Biden) के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कहा था कि अमेरिका की सीमाओं को अगर किसी ने ज्यादा सुरक्षित करने में भूमिका निभाई तो वो कोई और नहीं बल्कि ट्रंप थे। अब टॉम होमन का बॉर्डर जार बनना उन भारतीय नागरिकों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है जो अमेरिका जाना चाहते है। कानूनी तौर पर जब वो अमेरिका की सीमा में दाखिल नहीं हो पाते तो गैरकानूनी तरीकों का सहारा लेते हैं जिसे डंकी रूट(Dunki Route) भी कहा जाता है। इसके लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग करने वालों को करीब 60 से 70 हजार डॉलर तक भुगतान करते हैं। भारतीय करेंसी में यह रकम लाखों में होती है। सबसे बड़ी बात यह कि इस काम में जोखिम भी बहुत अधिक है। अब जब होमन को बॉर्डर जार की जिम्मेदारी दी गई है वैसी सूरत में बड़े पैमाने पर निर्वासन की संभावना बढ़ गई है। 

इसी तरह स्टीफेन मिलर को कानूनी इमिग्रेशन का भी विरोधी माना जाता है। उनके पहले कार्यकाल में एच-1 बी वीजा को रिजेक्ट करने की दर में तेजी देखी गई थी। इसके साथ ही एच 4 ईएडी के रिन्यू का काम भी धीमा हो गया। अब जब एक बार फिर मिलर ह्वाइट हाउस में वापसी कर चुके हैं इसका अर्थ यह हुआ कि ऐसे भारतीयों के लिए भी मुश्किल खड़ी हो सकती है जो एच-1 बी वैध वीजा पर अमेरिका में हैं। इसकी वजह से अमेरिका में काम कर रहे आईटी प्रोफेशनल्स की चिंता बढ़ गई है। 2020 में मिलर ने इस संबंध में अपने कड़े विचार व्यक्त किए जो इस बात की इशारा कर रहा था कि अगर उन्हें दोबारा मौका मिल सकता है तो उनका अगला कदम क्या हो सकता है। उनके बयान का मतलब साफ था कि एच-1 बी वीजा पर काम कर रहे करीब 60 फीसद भारतीयों को दिक्कत होगी। हालांकि इस मामले में इमिग्रेशन के वकीलों ने भी मोर्चा संभाल लिया है। उनका कहना है कि अगर मिलर अपने किसी खास एजेंडे पर आगे बढ़ते हैं तो अदालत का दरवाजा खुला है। 

Tags:    

Similar News