भारत में लोकसभा तो अमेरिका में सीनेट के लिए क्रेज, आसान तरीके से समझें

भारत की सियासत में राज्यसभा का सदस्य बनना बैकडोर एंट्री मानी जाती है। लेकिन अमेरिका में नेता ऊपरी सदन यानी सीनेट का हिस्सा बनना अधिक पसंद करते हैं।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-10-07 05:23 GMT

US Parliamentary System:  भारत और अमेरिका दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। इन दोनों देशों के लोग अपने मुखिया का चुनाव करते हैं। भारत में जिस तरह से संसदीय सिस्टम में लोकसभा (निचला सदन) और राज्यभा (ऊपरी सदन) है। ठीक वैसे ही अमेरिका में निचले सदन को हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव और उच्च सदन को सीनेट कहा जाता है। लेकिन इन दोनों सदनों को लेकर नेताओं के बीच जो क्रेज है उसमें फर्क है। मसलन भारत में लोकसभा का सदस्य बनना अलग तरह की शख्सियत का अहसास कराता है। लोग उस शख्स को सीधे जनता से जुड़ा हुआ या उसे लोकप्रिय मानते हैं। लेकिन अमेरिका में रिवाज ठीक उलट है। यानी कि वहां पर नेता हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव से अधिक सीनेट का हिस्सा बनना पसंद करते हैं जबकि भारत में राज्यसभा का सांसद बनना मतलब बैकडोर एंट्री है। यहां पर हम उसी वजह को बताने की कोशिश करेंगे। 

हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव बनाम सीनेट
सीनेट में हर एक राज्य से सिर्फ दो सदस्यों का चुनाव होता है इसका आबादी से लेना देना नहीं है। अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं लिहाजा सीनेटर की संख्या 100 होती है। सदस्यों का चुनाव 6 साल के लिए होता है। हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव यानी भारत के लोकसभा की तरह। इसके लिए चुनाव राज्यों की जनसंख्या के आधार पर होता है। यानी जिस राज्य की आबादी अधिक वहां से सदस्यों की संख्या अधिक होती है। हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में कुल 435 सदस्य हैं। इसके सदस्यों का कार्यकाल सिर्फ दो साल होता है। सरकार चलाने के लिए हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव और सीनेट की भूमिका एक जैसी ही होती है। दोनों सदनों में बहुमत के आधार पर किसी बिल को पारित कराया जा सकता है। 

सीनेट के लिए क्रेज
अब सीनेट के लिए क्रेज क्यों है। पहली बात तो ये कि हर एक राज्य से सिर्फ दो सीनेटर यानी कि रुतबे में बढ़ोतरी। इसके अलावा कार्यकाल 6 साल का। हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के सदस्यों का कार्यकाल सिर्फ 2 साल का। लंबा कार्यकाल होने से शासन प्रशासन में भागीदारी लंबे समय तक रहती है। अगर आप बराक ओबामा को देखें तो राष्ट्रपति बनने से पहले वो सीनेटर थे। सीनेट के पास महत्वपूर्ण विषयों पर फैसले की शक्ति होती है। मसलन वो नेताओं के खिलाफ महाभियोग, राष्ट्रपति के कामकाज के बारे में सवाल जवाब, विदेशी मामलों में दखल देने का अधिकार रखता है और उसकी वजह से सीनेटर की पद और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। सीनेटर को गिरफ्तारी से आजादी मिलती है। सत्र के दौरान उसे सिविल सूट के केस में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

अमेरिका में सीनेटर होने का मतलब उसके आगे की राजनीति की संभावना को बल मिलता है। कई ऐसे सीनेटर रहे जिन्हें सर्वोच्च कुर्सी पर बैठने का मौका मिला। अब्राहम लिंकन, लिंडन बी जानसन, रिचर्ड निक्सन, जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और जो बाइडेन राष्ट्रपति बनने से पहले सीनेटर रहे। 

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