अलास्का में ट्रंप-पुतिन की मुलाकात, दुनियाभर की टिकी निगाहें

अलास्का की इस ट्रंप-पुतिन बैठक से न केवल यूक्रेन युद्ध को लेकर संभावित समाधान की उम्मीदें जुड़ी हैं, बल्कि भारत सहित कई देशों के साथ अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों पर भी इसका दूरगामी असर हो सकता है।;

Update: 2025-08-15 15:27 GMT

अमेरिका और रूस के शीर्ष नेताओं की मुलाकातें हमेशा से वैश्विक राजनीति में अहम मोड़ साबित होती रही हैं। शीत युद्ध के दौर से लेकर आज तक, जब भी इन दो महाशक्तियों के राष्ट्राध्यक्ष आमने-सामने हुए हैं, पूरी दुनिया ने उन्हें गंभीरता से देखा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अलास्का के जॉइंट बेस एल्मेनडॉर्फ-रिचर्डसन (Anchorage) में होने वाली मुलाकात को भी ऐसी ही ऐतिहासिक घटना माना जा रहा है। ये बैठक ऐसे समय पर हो रही है, जब यूक्रेन में युद्ध जारी है और अमेरिका ने भारत समेत कई देशों पर व्यापारिक दबाव बनाते हुए भारी टैरिफ लगाए हैं।

भारत द्वारा रूस से सस्ते तेल की खरीद पर अमेरिका ने 50% तक टैरिफ लगाया है। अमेरिकी वित्त सचिव ने हाल ही में संकेत दिए कि अगर यह बैठक अपेक्षित परिणाम नहीं देती तो भारत पर और अधिक शुल्क लगाए जा सकते हैं।

यूक्रेन युद्ध में शांति की पहल

बैठक से एक दिन पहले ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा कि वे इस बैठक के परिणाम को पहले पांच मिनट में ही समझ लेंगे। उन्होंने कहा कि अगर बैठक नकारात्मक रही तो वह जल्दी खत्म कर दी जाएगी और अगर सकारात्मक रही तो यूक्रेन में जल्द शांति लाई जा सकती है। ट्रंप ने दोहराया कि अगर वे 2022 में राष्ट्रपति होते तो पुतिन यूक्रेन पर हमला नहीं करते। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर रूस युद्ध खत्म करने पर सहमत नहीं होता तो उसे “गंभीर परिणामों” का सामना करना पड़ेगा।

भारत पर टैरिफ का असर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप ने यह भी दावा किया कि भारत पर लगाए गए टैरिफ ने रूस को बातचीत के लिए प्रेरित किया, क्योंकि वह अपना दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक खो रहा था।

रूस ने जताई उम्मीद

रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने उम्मीद जताई कि यह बैठक "उपयोगी संवाद" को आगे बढ़ाएगी। वहीं, राष्ट्रपति पुतिन ने भी ट्रंप के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि अमेरिका “ऊर्जावान और ईमानदार प्रयास” कर रहा है। पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने बताया कि यूक्रेन युद्ध इस बैठक का मुख्य विषय रहेगा, लेकिन व्यापक सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर भी चर्चा होगी।

हेलसिंकी के बाद पहली अहम बैठक

ट्रंप और पुतिन 2017-2021 के ट्रंप कार्यकाल के दौरान 6 बार मिल चुके हैं, जिनमें से हेलसिंकी बैठक सबसे विवादास्पद रही थी। यह बैठक रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन की किसी पश्चिमी देश में पहली आधिकारिक यात्रा भी है।

जेलेंस्की की गैरमौजूदगी से असहजता

बैठक में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की की गैरमौजूदगी ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में असहजता पैदा कर दी है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और अन्य यूरोपीय नेताओं ने कहा है कि यूक्रेन से जुड़ी किसी भी बातचीत में कीव को शामिल किया जाना चाहिए। ट्रंप ने सफाई दी कि ज़ेलेंस्की को जानबूझकर अलग नहीं किया गया और भविष्य में उनके साथ अलग से बैठक हो सकती है।

भारत की पैनी नजर

रूस से तेल खरीद में अमेरिका की नाराज़गी के चलते भारत इन वार्ताओं के परिणामों पर नजर रखे हुए है। अगर वार्ता विफल रही तो भारत के आयातित उत्पादों पर अमेरिकी टैरिफ और बढ़ सकते हैं।

आत्मनिर्भर भारत पर मोदी का संदेश

इस बैठक के कुछ ही घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश को संबोधित करते हुए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़े कदमों की घोषणा की। ऐसे में भारत के लिए यह वैश्विक घटनाक्रम व्यापार और कूटनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण बन गया है।

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